Wednesday, November 19, 2014

दूरदराज तैनात शिक्षकों को आवासीय भत्ता

  • बेहतर शिक्षा व्यवस्था के लिए प्रत्येक जिले में बनेंगे मॉडल स्कूल
  • पहली कक्षा से होगी अंग्रेजी की पढ़ाई
  • 2016 तक दूर होगी शिक्षकों की कमी

लखनऊ। प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोबिन्द चौधरी ने मंगलवार को विधानसभा में बताया कि सरकार दूरस्थ क्षेत्रों के विद्यालयों में तैनात अध्यापकों को भी शहरों की तरह आवासीय भत्ता देने की तैयारी कर रही है। इससे अध्यापक दूरदराज के स्कूलों में भी जाने को तैयार होंगे।
उन्होंने स्वीकार किया कि आवासीय भत्ते के कारण ज्यादातर शिक्षक राजनीतिक दबाव डलवाकर शहरों में तैनाती हासिल करने में सफल हो जाते हैं। उन्होंने विधायकों और कार्यकर्ताओं से अध्यापकों की तैनाती में दबाव डालने का अनुरोध करते हुए कहा कि शीघ्र ही सभी विद्यालयों में अध्यापकों की तैनाती हो जाएगी। श्री चौधरी ने बताया कि प्रत्येक जिले में कुछ मॉडल स्कूल बनाये जा रहे हैं, जहां पहली कक्षा से अंग्रेजी पढ़ायी जाएगी।
भाजपा की बिमला सिंह एवं धर्मपाल सिंह के सवाल के जवाब में विभागीय मंत्री ने बताया कि निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 38 के अन्तर्गत यूपी में निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियमावली 2011 लागू की गयी है। इसके तहत बेसिक स्कूलों में प्रत्येक 30 छात्रों पर एक शिक्षक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 35 छात्रों पर एक शिक्षक की नियुक्ति किये जाने का प्रावधान है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2012 से 2014 तक अभी 72825 शिक्षकों की भर्ती की गयी है और 29233 शिक्षकों की भर्ती जारी है। 2016 तक 1.29 लाख शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पूरी हो जाएगी, जिसके बाद अध्यापकों की कमी दूर हो जाएगी। उन्होंने बताया कि अभी जहां पर शिक्षकों की कमी है, वहां पर एक शिक्षक के साथ 2 शिक्षामित्रों की तैनाती की गयी है। शिक्षामंत्री ने बताया कि सरकार प्राइमरी शिक्षा से ही अंग्रेजी को बढ़ावा देने की तैयारी कर रही है ताकि प्राइवेट स्कूलों से कम्पटीशन लिया जा सके। इसके लिए प्रत्येक जिले में कुछ मॉडल स्कूल बनाये जा रहे हैं, जहां पहली कक्षा से अंग्रेजी पढ़ायी जाएगी। इसके लिए ऐसे अध्यापकों की तैनाती की जाएगी, जो पूरी शिक्षा अंग्रेजी में देने में सक्षम हो।

विद्यालयों में शौचालय के लिए 23226 करोड़ : बेसिक शिक्षामंत्री ने भाजपा के धर्मपाल सिंह के सवाल के जवाब में बताया कि प्रदेश में 7171 प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में शौचालय नहीं है। इसके लिए वर्ष 2014-15 में 3318 विद्यालयों में शौचालय के निर्माण के लिए 23226 करोड़ की धनराशि केन्द्र सरकार से मिली है, जिसे जिलों को जारी कर दिया गया है। इसके अलावा 1845 प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में सार्वजनिक उपक्रमों के माध्यम से शौचालयों का निर्माण कराया जा रहा है। इसी प्रकार इन विद्यालयों में पेयजल की सुविधा के लिए केन्द्र से Rs 15 हजार प्रति विद्यालय की दर से Rs 4885 करोड़ की धनराशि मिली है।

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