Friday, October 31, 2014

अकेडमिक टीम के द्वारा साधना मिश्रा की याचिका पर


नमस्कार दोस्तो-

अकेडमिक टीम के द्वारा साधना मिश्रा की याचिका पर जब कोर्ट में सुनवाई हो रही थी तब कोर्ट रूम में हमारे साथ विनीत सिंह और आजमगढ़ के साथी राजेश्वर यादव जी भी मौजूद थे| कल की कोर्ट रूम की बातो को टेट वालो ने अपने साथियों को सही से ना बताकर वो बताया जो हुआ ही नहीं था|
कल हमारे हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता श्री-एस-के-कालिया जी ने सबसे पहले अपना पक्ष रखना प्रारंभ किया जिस पर हमारे अधिवक्ता के द्वारा बतलाया गया की शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के सेक्शन 23 के तहत यूनियन ऑफ़ इंडिया के पत्र दिनांक 31 मार्च 2010 को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् (एन-सी-टी-ई) को कक्षा 1 से कक्षा 8 तक के अध्यापको की नियुक्ति हेतु न्यूनतम योग्यताओ के निर्धारण के लिए अकेडमिक ऑथोरिटी बनाया गया था जिसके अनुपालन में एन-सी-टी-ई के पत्र दिनांक 23-08-2010 को न्यूनतम योग्यताये तय की गई जिसमे टेट को पात्रता परीक्षा माना गया| एन-सी-टी-ई ने जिसके बाद 11-02-2011 को पात्रता परीक्षा करवाये जाने सम्बन्धित दिशा निर्देर्स जारी किये जिसमे एन-सी-टी-ई के द्वारा टेट के अंको का वेटेज भर्ती प्रक्रिया में दिए जाने को कहा है जबकि यूनियन ऑफ़ इंडिया के पत्र दिनांक 31 मार्च 2010 और शिक्षा शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के सेक्शन 23 के तहत राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् (एन-सी-टी-ई) को केवल न्यूनतम योग्यताओ को निर्धारण करने का अधिकार है जबकि सिलेक्शन तय करना अपोइन्टमेंट ऑथोरिटी का काम है| 11-02-2011 के पत्र को जारी करके एन-सी-टी ई ने सिलेक्शन प्रोसीजर तय कर दिया|जिसके साथ उन्होंने एन-सी-टी-ई और आर-टी-ई एक्ट समेत 12वे,15वे,16,वे संसोधन समेत कई विन्दुओ पर चर्चा की और सभी बताओ को माननीय वी-के-शुक्ला ने सभी विन्दुओ को नोट किया और हमारे अधिवक्ता की सभी बातो से सहमत हुए| जब हमारे अधिवक्ता के द्वारा बतलाया गया की वर्तमान याची ने इन विन्दुओ को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका फाइल की थी जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने लिबर्टी देकर वापिस हाई कोर्ट को भेज दिया जिस पर जज साहब ने कहा की कोर्ट ने ऐसा क्यों किया नहीं तो 90% केसों में पेंडिंग पड़े केस का रेफरेंस देते ही उस केस से जोड़ दिया जाता है माननीय वी-के-शुक्ला जी ने कहा की आप के अधिवक्ता ने कोर्ट को सही से बताया नह्बी होगा जिस पर हमारे अधिवक्ता ने कहा की हमारे अधिवक्ता ने पेंडिंग पड़ी याचिकाओ के विषय में बतलाया था तभी तो लिबर्टी देते समय उन्होंने इस बात का जिक्र किया है की इस मामले को हाईकोर्ट अपने आधार पर निर्णय दे और यहाँ पर पेंडिंग याचिकाओ से कोई फर्क नहीं पड़ेगा जिस पर जज साहब ने कहा चलो अब हम इसको सुनकर डीसाईड करते है| बाद में वी-के शुक्ला जी ने कहा की सुप्रीम कोर्ट में भूसन जी का ही आर्डर गया था और उसके बाद उन्होंने कहा शायद इस मामले में एपी-शाही जी के अध्यक्षता में लार्जेर बेंच भी बनी थी और किन विन्दुओ पर बनी थी जिस पर अभिषेक श्रीवास्तव ने लार्जेर बेंच बन्ने के कारणों को बताया साथ ही बताया की12 वा संसोधन पर भूसन जी ने कहा था की यह भर्ती एन-सी-टी ई के गाइडलाइन पर होगी और उसमे टेट के अंको को कुछ नंबर दिए जाने की बात कही गई है इसलिए टेट के अंको को महत्व ना दिए जाने के कारन 15 वा संसोधन एन-सी-टी ई की गाइडलाइन के विपरीत होने के कारन अल्ट्रा वायरस कर दिया है | बाद में वी-के-शुक्ला जी ने अभिषेक श्रीवास्तव से पुछा की 12वे संसोधन में 10 से लेकर बी-ए-ड को कोई महत्व नहीं दिया तो उन्होंने जबाब दिया की इसको महत्व दिया है जिसका 45% होगा वो फॉर्म डाल सकता है जिस पर जज साहब ने कहा की ऐसे तो टेट में 60% माँगा गया है ये तो आप न्यूनतम योग्यता की बात कर रहे है में इनको महत्व दिए जाने की बात पूछ रहा हूँ| बाद में जज साहब ने कहा की आप कह रहे है है की 12 वा संसोधन एन-सी-टी ई से बांड है जबकि यह तो जस्ट उल्टा प्रतीत हो रहा है इसमें जो न्यूनतम योग्यता होनी चाहिए उसको हायर योग्यता बना दिया और जो हायर होनी चाहिए उसको न्यूनतम बना दिया जिस पर हमारे अधिवक्ता ने कहा सर एन-सी-टी ई की 11-02-2011 के योग्यता वाले कॉलम को पढ़कर सुनाया जिसमे साफ लिखा है की यह केवल नियुक्ति के लिए न्यूनतम योग्यता है और इसको पास कर लेने से किसी को चयन का अधिकार प्राप्त नहीं हो जाता है तथा हमारे अधिवक्ता ने कोर्ट को बतलाया की 15 और 16वा संसोधन एन-सी-टी-ई की गाइडलाइन के मुताबिक है क्योकि जो भी योग्यते एन-सी-टी-ई ने दी है वो सब इन संसोधन में है और साथ ही टेट को न्यूनतम योग्यता माना है जो की 15 और 16वे संसोधन में न्यूनतम योग्यता को मन गया है| जिस पर अभिषेक श्रीवास्तव ने कहा की टेट के कुछ अंक दिए जाने को कहा है जिस पर जज साहब ने कहा कुछ का अर्थ तो ये होता है किसी ने 90 नंबर पाए हो तो उसका 10 नंबर दे दो जैसे हाईस्कूल के 20 और 12वी के 30 इसकी क्रम में इसके भी कुछ नंबर 5 या 10 जिस पर अभिषेक श्रीवास्तव ने कहा की इसके नंबर इसलिए नहीं दिए कक्योंकी हाईस्कूल,इंटर,स्नातक और बी-एड अलग अलग बोर्ड विश्वविधालय के होते है जबकि टेट तो 1 ही संस्था के द्वारा होता है जिस पर जज साहब ने कहा तो अलग अलग होने से क्या फर्क पड़ेगा| उन्होंने कहा की जब टेट मात्र न्यूनतम योग्यता है तो केवल इसके अंको को चयन का अधर कैसे बनाया जा सकता है जिसके बाद अभिषेक श्रीवास्तव कोर्ट को अलग अलग आर्डर बताने लगे जिस पर जज साहब ने कहा की सभी आर्डर सबमिट करिए तब बताइयेगा|
अकेडमिक टीम ने अपना काम पूरी लगन और ईमानदरी से किया था लेकिन हमारे ही ग्रुप के कुछ लोगो को सूचना चाहिए थी इसलिए उन्होंने हमारी योजना के क्रियान्वन और अपने जॉब पाने में थोड़ी देर करवा दी नहीं तो कल इससे भी अधिक हो सकता था लेकिन कल इस भर्ती को हाईकोर्ट के फ़ाइनल आर्डर पर प्रभावी कर दिया है ऐसे में यदि फ़ाइनल आर्डर इनके खिलाफ आता है तो हमको इन्हें बहार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट नहीं जाना पड़ेगा क्योकि इनकी सेवा की समाप्ति हाईकोर्ट के फ़ाइनल आदेश आते ही स्वता समाप्त हो जाएगी| कुछ टेट के नशेडी टाइप के लोग कह रहे है की जब तक हाईकोर्ट का फ़ाइनल आदेश आयेगा तब तक हमारी नियुक्ति सुप्रीमकोर्ट पूरी करवा देगा तो में उनको बताना चाहता हूँ की अभी तक जब इनकी नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के फ़ाइनल आदेश पर थी तब ये कहते थे की अब सुप्रीम कोर्ट में याचिका सिविल में चली गई है और इसका नंबर 5 साल बाद आयेगा अब कहने लगे है की वहा से फ़ाइनल हो जायेगा लेकिन जब तक हाई कोर्ट से फ़ाइनल आदेश नहीं आ जायेगा तब तक सुप्रीम कोर्ट में पड़ी याचिकाओ पर फ़ाइनल आदेश नहीं आयेगा| दूसरी बात टेट के पैर्विकारो का कहना है की हम अब कोर्ट से समय मागते रहेगे जिस पर हमने इनकी इस योजना को समाप्त करने के लिए अपने अधिवक्ता को अवगत करा दिया है जिसका असर इनको तब समज में आयगा जब ये कोर्ट से और समय मांगेगे| लास्ट में यही कहना चाहूगा अपनी भर्ती उस दिन तक हर हाल में फिर से प्रारंभ हो जाएगी जिस दिन अपनी भर्ती पर रोक लगी थी| सभी अकेडमिक समर्थको से एक अपील है की टीम के कार्यो पर अपना विश्वास बनाये रखे और अब टीम को अप सभी सहयोगियों के सहयोग की जरूरत है|

By
Anshul Mishra

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