Thursday, November 28, 2013

अब शिक्षक 2 दिसंबर से करेंगे प्रदेशव्यापी संघर्ष : 18 दिसम्बर को लखनऊ में प्रदर्शन

लखनऊ। प्रदेश भर के कर्मचारियों द्वारा आंदोलन करने के बाद अब शिक्षक अपनी लंबित मांगों को लेकर दो दिसंबर से प्रदेशव्यापी संघर्ष करेंगे। यह संघर्ष तीन चरणों में होगा और इसमें शिक्षक महासंघ के आवाहन पर प्रदेश के प्राथमिक शिक्षक, जूनियर हाई स्कूल शिक्षक, माध्यमिक शिक्षक, अरबी मदरसा शिक्षक, संस्कृत शिक्षक आदि महासंघ से जुड़े लगभग पांच लाख शिक्षक शामिल होंगे।

उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेशीय मंत्री एवं प्रवक्ता डा. आरपी मिश्र ने बताया कि संघर्ष के प्रथम चरण में दो दिसंबर से सात दिसंबर तक प्रत्येक शिक्षक विरोध स्वरूप बाहों मे काली पट्टी बांध कर शिक्षण कार्य करेगंे। संघर्ष के दूसरे चरण में नौ दिसंबर को प्रदेश के जिला मुख्यालयों पर शिक्षक महासंघ के सभी घटकों के शिक्षक धरना प्रदर्शन करेगें और जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौपेगें। डा. मिश्र ने बताया कि यदि सरकार द्वारा फिर भी मांगों में कोई कार्यवाही नहीं की गई तो 18 दिसंबर को शिक्षक महासंघ से जुड़े सभी घटकों के लगभग पांच लाख शिक्षक प्रदेश की राजधानी लखनऊ में विशाल प्रदर्शन करेगें। उन्होंने बताया कि प्रदेशीय संघर्ष को जनपद लखनऊ में सफल बनाने की रणनीति निर्धारित करने के लिए 30 नवंबर को क्वीन्स इंटर कालेज में 3 बजे जिला संगठन की बैठक होगी।


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बाल अधिकार संरक्षण आयोग गठित करने को मंजूरी : सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यूपी सरकार ने उठाया कदम

प्रदेश में राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के गठन की मंजूरी यूपी सरकार द्वारा दे दी गयी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यूपी सरकार ने  यह कदम उठाया है। बताते चलें कि देश के 19 राज्यों ने राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग बना लिया है लेकिन उत्तर प्रदेश में अब तक इसका निर्माण नहीं हुआ है।
शिक्षा अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार कानून के सही अनुपालन के लिए इसका गठन अनिवार्य है। उत्तर प्रदेश में शिक्षा के अधिकार कानून को लागू हुए भले ही तीन वर्ष बीत गए हों लेकिन इसके तहत बच्चों के अधिकारों की निगरानी का ढांचा अब तक नदारद था। कानूनी बाध्यता के बावजूद अभी तक उप्र में राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग नहीं गठित हो पाया है। बाल अधिकारों की उपेक्षा पर जहां राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग सरकार से जवाब-तलब कर चुका है, वहीं सुप्रीम कोर्ट भी फटकार लगा चुका है।
आरटीई की धारा 31 में दी गई व्यवस्था के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर बाल अधिकारों के संरक्षण का दायित्व एनसीपीसीआर पर है। वहीं प्रदेश स्तर पर यह दारोमदार राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग पर है। राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग का कर्तव्य है कि वह आरटीई के तहत बच्चों के अधिकारों का संरक्षण करे और उन्हें प्रभावी ढंग से क्रियान्वित करने के उपाय सुझाये। आयोग को शिक्षा के अधिकार कानून के उल्लंघन की शिकायतों की पड़ताल करने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है। बच्चों के अधिकारों के हनन की शिकायतों की सुनवाई के मामले में आयोग को वही अधिकार हासिल हैं जो बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, 2005 की धारा 14 व 24 के तहत प्राप्त हैं।
आरटीई की बाध्यता के बावजूद उप्र में राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की भूमिका शून्य है। नियमावली में प्रावधान है कि राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग का गठन होने तक राज्य सरकार बच्चों के हितों के संरक्षण के लिए अंतरिम व्यवस्था के तहत शिक्षा अधिकार संरक्षण प्राधिकरण का गठन करेगी। रेपा का गठन आरटीई लागू होने के छह माह में ही हो जाना चाहिए था लेकिन उप्र में इसका गठन भी नहीं हो पाया है।
देश के 27 राज्य/केंद्र शासित प्रदेश ऐसे हैं जिनमें राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग या रेपा का गठन हो चुका है। जिन 19 राज्यों में राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की स्थापना हो चुकी है उनमें असम, बिहार, छत्ताीसगढ़, दिल्ली, गोवा, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, गुजरात, मणिपुर, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, उत्ताराखंड, तमिलनाडु व पश्चिम बंगाल शामिल हैं। इसके अलावा जिन राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में रेपा का गठन हो चुका है उनमें अंडमान व निकोबार द्वीप समूह, मिजोरम, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, दादरा एवं नगर हवेली, दमन व दियू, मेघालय व त्रिपुरा शामिल हैं।


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टीईटी भर्ती: फीस वापस ले चुके आवेदक परेशान



जागरण संवाददाता,
सहारनपुर : राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के निर्देश के बाद फीस वापस ले चुके आवेदक अपनी स्थिति साफ करने के लिए पूछताछ में जुट गए हैं। वर्ष-2011 की प्रक्रिया में जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान पटनी में 1.15 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन पत्र किए थे। पहले अभ्यर्थियों को पांच जिलों में फीस (500/200 रुपये) के साथ आवेदन करने की छूट थी। बाद में हाईकोर्ट के आदेश पर एक जिले में फीस जमा कराने वाले अभ्यर्थी को यह छूट
दे दी गई थी कि वह ड्राफ्ट की फोटो कापी लगाकर अन्य जिलों में आवेदन कर सकता था। निर्देश पर फीस वापसी : राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद द्वारा दिसंबर 2012 में सभी जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण  संस्थानों(डायट)को भेजे निर्देशों में कहा गया था कि वर्ष-2011 के आवेदकों से प्रत्यावेदन लेकर उनकी फीस वापसी सुनिश्चित की जाए।
डायट प्राचार्य मंजू सिंह के मुताबिक संस्थान को तीन हजार आवेदनों के साथ मूल ड्राफ्ट प्राप्त हुए थे। आवेदकों द्वारा फीस वापसी को दिए गए प्रत्यावेदनों के बाद करीब 2600 चेक आवेदकों को वापस भेजे जा चुके है।
असमंजस मे उलझ गए आवेदक : डायट से फीस वापस ले चुके अभ्यर्थी राकेश कुमार, मयंक, प्रेरणा, विभा असमंजस में हैं। अपने आवेदन पत्र की स्थिति के बारे में ये अभ्यर्थी विभागीय अधिकारियों से संपर्क साध रहे हैं। नहीं होने देंगे नुकसान : टीइटी उत्तीर्ण संघर्ष मोर्चा के जिलाध्यक्ष संजय कुमार का कहना है कि परिषद के निर्देश के बाद ही अभ्यर्थियों द्वारा फीस वापस ली गई थी। नियुक्ति प्रक्रिया में ऐसे अभ्यर्थियों को बाहर नहीं किया जा सकता। उनका कहना था कि प्रमाणपत्रों के सत्यापन के दौरान अभ्यर्थियों से पुन: फीस का ड्राफ्ट लेकर उन्हें प्रक्रिया में शामिल किया जाना चाहिए।
 


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Wednesday, November 27, 2013

नवसृजित जनपद के कारण निवास जनपद से भिन्न जनपद में कार्यरत शिक्षकों का विकल्प पत्र


  • गूगल डॉक में देखने व पीडीएफ में डाउनलोड करने के लिए (यहाँ) क्लिक करें |

 
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टी ई टी अभ्यर्थीयों की पीड़ा


TET Candidates Having Problem with Amar Ujala News - Where it claimed as per RTE, TET Exam is Only Qualifying TEST


आज कल बहुत से टी ई टी अभ्यर्थीयों में अमर उजाला कि एक खबर dated 24/11/2013 के प्रति नाराजगी है जिसमें टी ई टी परीक्षा को आर  टी ई / एन सी टी ई गाइड लाइन
के आधार पर सिर्फ पात्रता परीक्षा दर्शाया गया है ,


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 See : एनसीटीई की अधिसूचना
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने 23 अगस्त 2010 को अधिसूचना जारी करते हुए कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद कक्षा 8 तक के स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य होगी। इसमें कहा गया है कि टीईटी पात्रता परीक्षा है न कि अर्हता परीक्षा

News Source : Amar Ujala (24.11.13) / Lucknow Edition
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अमर उजाला एक सम्मानित और अच्छा न्यूज़ पेपर है , और लगता है कि यह खबर न्यूज़ पेपर में भूल चूक से छप गयी है और ऐसी भूल कभी कभार हो जाती है आखिर हम  सभी इंसान हैं
परन्तु सोशल मीडिया में इस खबर को लेकर जबर्दस्त नाराजगी व्यक्त की गई है
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About NCTE Guidelines :

School managements (Government, local bodies, government aided and unaided)
9(b) should give weightage to the TET scores in the recruitment process;
(http://www.ncte-india.org/RTE-TET-guidelines%5B1%5D%20%28latest%29.pdf)

A person who has qualified TET may also appear again for improving
his/her score (Pt. No. 11)
http://www.ncte-india.org/RTE-TET-guidelines[1]%20(latest).pdf

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About Court Order :

While deciding the Issue No.3 we have already held that the guidelines
dated 11.2.2011, issued by the National Council for Teacher Education
require the State to give weightage of the marks obtained in the
'Teacher Eligibility Test' Examination -2011 in appointment on the
post of Teachers. The guidelines dated 11.2.2011 issued by the
National Council for Teacher Education have been held to be binding. A
Full Bench of this Court in Shiv Kumar Sharma (Supra) in paragraph 88
(as quoted above) has already laid down that the State Government has
to give weightage to the marks of the Teacher Eligibility Test in the
recruitment process. In view of the binding nature of the guidelines
dated 11.2.2011, issued by the National Council for Teacher Education
and the decision of the Full Bench of this Court in Shiv Kumar
Sharma's case (Supra) the State Government could not have taken any
decision to ignore the weightage of the marks of the Teacher
Eligibility Test Examination-2011

Source : Source :
http://elegalix.allahabadhighcourt.in/elegalix/WebShowJudgment.do?judgmentID=2927338




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मैंने कोर्ट का आर्डर पढ़ा था और उसमें पाया कि राज्य सरकार  ने टी ई टी परीक्षा कि अनियमितताओं को दूर करने के लिए ही इस परीक्षा को पात्रता परीक्षा में बदला था
और बाद में कोर्ट ने देखा कि टी ई टी परीक्षा में ऐसी कोई गम्भीर समस्या नहीं हुई है और लाखों अभ्यर्थीयों को कुछेक लोगों द्वारा (अगर है तो )
की गयी गलतियों की सजा नहीं मिलनी चाहिए । कोर्ट ने एन सी टी ई कि टी ई टी परीक्षा से सम्बंधित गाइड लाइन भी देखी और बताया कि टी ई टी परीक्षा के अंक चयन के लिए उपयोगी हैं


टी ई टी मेरिट धारक दो वर्षों से अपनी भर्ती के मानसिक यंत्रणा झेल रहे हैं और जब कोई पात्रता व अर्हता को लेकर सही व्याख्या नहीं करता और इस से उनके केरियर को खिलवाड़ सी लगती है तो वे नियंत्रण खो बैठते हैं और यही हाल  इस समय सोशल मीडिया में उनकी प्रतिक्रियाओं को देखते हुए लग रहा है

अभ्यर्थीयों कि  तरफ से आशा है कि एक प्रतिष्ठित अख़बार भूल सुधार करते हुए शिक्षा के अधिकार अधिनियम में टी ई टी परीक्षा कि सही जानकारी शीघ्र से देगा जो उनसे गलती से छप गयी है

अगर हमें अपनी जानकारी में कुछ संशोधित करना है तो हमें बताएं , हम अपने ब्लॉग पर सही जानकारी पब्लिश कर देंगे
आखिर हम भी इंसान हैं और हमसे भी भूल चूक हो सकती है


टी ई टी अभ्यर्थीयों में इस बात को लेकर भी नाराजगी है कि जब धांधली / अनियमितता वाली बात को कोर्ट के समक्ष देखा जा चुका  है और
उसको परीक्षा परिणाम में ऐसी कोई गम्भीर समस्या नहीं दिखाई दी तो अब किस बात की धांधली की बात की जा रही है ,
गलत प्रश्नो से अंक तो सभी के बढ़े थे जिसको न्यून करने के लिए भी तो टी ई टी मेरिट ही सही है ,
अभ्यर्थीयों का कहना है कि अगर न्यूज़ पेपर के पास साक्ष्य हैं तो वह कोर्ट को दे सकता है और ऐसे अभ्यर्थीयों का भर्ती होने से बहार करवा  सकता है ,
मगर ऐसा कहना कि हम  सभी ने धांधली कि तो यह गलत है , अमर उजाला के पास साक्ष्य हैं तो वह अदलत में दे ।

अभ्यर्थी ये भी कहते हैं कि अभी कुछ समय पहले बी टी सी धारियों का चयन इसी टी ई टी अंक पत्र से हुए तो वो धांधली वाले अंक पत्र नहीं थे क्या

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We published this info to attract attention of Amar Ujala News paper, And shortly we remove this
page / info. 
Yeh Sunne Mein / Dekhne Mein Aayaa hai Ki Amar Ujala Paper ne Abhee News Ka Khandan Nahin Kiyaa Hai,
Na Hee Koee Mafee Mangee Hai.

Agar Khabar Ke Baare Mein Hamse Koee Bhool Chook Huee To Comment ke madhyam se avgat karayen, sheegrata se sahee kee jayegee.

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लल्लन मिश्रा को उ.प्र. प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष पद से तत्काल बर्खास्त करें–हाइकोर्ट

 lallan mishra adhyaksh prathmik shikshk sanghलखनऊ। लल्लन मिश्रा को हत्या और साइकल चोरी के आरोप में अदालत से सजा हो चुकी थी। नियमानुसार सजायाफ्ता व्यक्ति न तो सरकारी सेवा में रह सकता है और न ही सोसायटी रजिस्ट्रेशन के तहत पंजीकृत और सरकार से मान्यता प्राप्त किसी भी संस्था और संघ का पदाधिकारी बन सकता है। लेकिन लल्लन मिश्रा ने अपनी सजा का तथ्य छुपाकर न केवल नौकरी पा ली थी बल्कि वो उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष भी बन गये। उनके गृह जनपद रायबरेली के कुछ शिक्षकों ने जब इसकी शिकायत संघ की प्रदेश कार्यसमिति और अधिकारियों से की तो जांचोपरान्त लल्लन मिश्रा को संघ की प्रांतीय कार्यसमिति ने बहुमत के आधार पर प्रस्ताव पारित कर संघ की संवैधानिक व्यबस्था के तहत अध्यक्ष पद से निलम्बित कर दिया था। प्रकरण मा.उच्चन्यायालय में पहुँच गया था जिसकी आज सुनवाई थी। जिसमें उच्च न्यायलय ने भी उन्हें तत्काल पद से हटाने के निर्देश रजिस्ट्रार ,फर्म्स सोसायटीज एवं चिट्स लखनऊ को दिए हैं।  
ज्ञात हो कि फर्रुखाबाद में विजय बहादुर यादव भी लल्लन ग्रुप के सदस्य माने जाते है और प्राथमिक शिक्षक संघ के विवादित स्यंभू जिलाअध्यक्ष बने रहते है|


आरुषि के कातिल मम्‍मी-पापा नूपुर और राजेश तलवार को धारा- 302 के तहत उम्रकैद

nupur talwarगाजियाबाद की विशेष सीबीआई अदालत के जज श्‍याम लाल ने मंगलवार को आरुषि-हेमराज हत्‍याकांड के दोषी राजेश और नूपुर तलवार को आईपीसी की धारा- 302 के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई है. इसके अलावा धारा 201 एक तहत दोनों को पांच-पांच साल की सजा सुनाई गई है. वहीं, राजेश तलवार को धारा 203 के तहत अतिरिक्‍त एक साल की सजा भी दी गई है.
इससे पहले अदालत ने सोमवार को नूपुर और राजेश तलवार को बेटी आरुषि और हेमराज के कत्‍ल के लिए दोषी ठहराया था. पढ़ें: इस मर्डर मिस्‍ट्री में कब क्‍या हुआ…
सजा के ऐलान से पहले दोपहर 2:10 पर सजा पर बहस की गई. इस दौरान सीबीआई के वकील आरके सैनी ने कहा कि यह मामला रेयरस्‍ट ऑफ द रेयर की श्रेणी में आता है, क्योंकि मई 2008 में आरुषि और नौकर हेमराज तलवार दंपति के नोएडा स्थित घर में मृत पाए गए थे और उनके गले रेते हुए थे, इसलिए राजेश और नूपुर तलवार को सजा-ए-मौत मिलनी चाहिए.
  
वहीं, बचाव पक्ष के वकील ने यह कहते हुए तलवार दंपति के लिए रहम की अपील की कि उनके मुवक्किलों का कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं है. उन्‍होंने कहा कि केस की सुनवाई के दौरान जो भी बातें कहीं गईं हैं वो सिर्फ कहानी भी हो सकती है क्‍योंकि इस केस में कोई गवाह नहीं है. वारदात की रात जो कुछ भी वह क्षणिक आवेश का नतीजा था इसलिए इस केस को रेयरस्‍ट ऑफ द रेयर नहीं माना जा सकता.

नूपुर की तबीयत बिगड़ी

वहीं, डासना जेल में नूपुर तलवार की मंगलवार सुबह तबीयत खराब हो गई. उनका ब्‍लड प्रेशर अचानक बढ़ गया और उन्‍हें एसीडिटी हो गई. डॉक्‍टरों ने कोर्ट भेजने से पहले उनकी जांच की और उन्‍हें दवा दी.
दरअसल, सोमवार रात नूपुर ने जेल में खाना नहीं खाया था, जिसके बाद जेल सुप्रीटेंडेंट ने उन्‍हें खाना खाने के लिए कहा और कहा कि अगर उन्‍होंने बात नहीं मानी तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. इसके बाद नूपुर ने खाना तो खाया, लेकिन वह रातभर सोई नहीं और बीच-बीच में उठती रहीं. डॉक्‍टर का कहना है कि यही वजह है कि उनका बीपी बढ़ने के साथ ही उन्‍हें एसीडिटी की परेशानी भी हो गई.

अदालत ने लगाई ये धाराएं

अदालत ने दोनों को आईपीसी की धारा 302 (हत्‍या ) के तहत दोषी ठहराया है. इसके अलावा राजेश तलवार को आईपीसी की धारा 203 (गलत एफआईआर दर्ज कराने के दोषी), 201 (सबूत मिटाना)और 34 (कॉमन इंटेंशन) के तहत दोषी माना है. वहीं, नूपुर को 302 के अलावा धारा 201 और 34 के तहत दोषी ठहराया है.
हमने आरुषि को नहीं मारा: तलवार दंपति
फैसले के बाद राजेश और नूपुर तलवार की ओर से मीडिया में एक बयान जारी किया गया है, जिसमें कहा गया है कि वे फैसले से नाखुश हैं. बयान के मुताबिक, ‘हम फैसले से बहुत दुखी हैं. हमें एक ऐसे जुर्म के लिए जिम्‍मेदार ठहराया गया है, जो हमने किया ही नहीं. लेकिन हम हार नहीं मानेंगे और न्‍याय के लिए लड़ाई जारी रखेंगे.’

‘सीबीआई की गरिमा बचाने की कोशिश’

तलवार दंपति की एक रिश्‍तेदार ने फैसले के बाद कहा, ‘ट्रायल की जरूरत ही क्‍या थी. लोगों को पहले से पता था क्‍या होने वाला है. सीबीआई की गरिमा को बचाने के लिए सच को झूठ की परतों में दबा दिया गया.’ उधर, बचाव पक्ष के वकील ने इस फैसले को गलत माना है. उन्‍होंने कहा कि ये गैरकानूनी है. तलवार दंपति की वकील रेबेका जॉन ने कहा है कि वे फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे.
आरुषि हत्‍याकांड अब तक
16 मई 2008 को आरुषि की हत्‍या के बाद उसके पिता राजेश तलवार 23 मई 2008 को गिरफ्तार कर लिया गया था. इस हाईप्रोफाइल केस ने पुलिस को छका कर रख दिया. पुलिस बार-बार बयान बदलती रही और केस किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पा रहा था, जिसके बाद 31 मई 2008 को केस सीबीआई के सुपुर्द कर दिया गया. जून में राजेश तलवार के कंपाउंडर कृष्णा को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया गया. 10 दिन बाद तलवार के दोस्त के नौकर राजकुमार और विजय मंडल को भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया गया था.
सीबीआई जांच कर रही थी, लेकिन दिसबंर 2010 में आखिरकार सीबीआई थक गई और क्लोजर रिपोर्ट यह कहते हुए दाखिल की गई कि उसे राजेश तलवार पर ही शक है, लेकिन उसके खिलाफ कोई सबूत नहीं है. उसके बाद तलवार दंपति इस क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ कोर्ट चले गए. कोर्ट ने भी रिपोर्ट को रिजेक्ट कर दिया और एक नाटकीय घटनाक्रम में तलवार दंपति को फिर से समन जारी कर दिया और सीबीआई को दोबारा मामला चलाने का आदेश दिया गया.
फरवरी 2011 में गाजियाबाद की स्पेशल कोर्ट ने राजेश तलवार और नूपुर तलवार पर ट्रायल शुरू करने के आदेश दिए सीबीआई कोर्ट ने अदालत में मौजूद ना रहने पर तलवार दंपति के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी कर दिया. अप्रैल 2011 में नुपुर तलवार को गिरफ्तार कर लिया गया.
आखिरकार मई 2011 में कोर्ट ने राजेश तलवार और नूपुर तलवार पर हत्याकांड को अंजाम देने और सबूत मिटाने का आरोप तय कर दिया. सितबंर 2011 में नूपुर तलवार को जमानत मिल गई. अप्रैल 2013 में सीबीआई के अधिकारी ने कोर्ट में कहा कि आरुषि और हेमराज की हत्या तलवार दंपति ने ही की है. सीबीआई ने कोर्ट को ये भी बताया कि आरुषि और हेमराज आपत्तिजनक अवस्था में मिले थे.
बचाव पक्ष के वकील ने 3 मई को स्पेशल कोर्ट के सामने अपील की कि व‍ह 14 हवाहों को कोर्ट में बुलाए. सीबीआई ने इस अपील का विरोध किया. 6 मई 2013 को तलवार की इस अर्जी को ट्रायल कोर्ट ने खारिज कर दिया. साथ में राजेश और नूपुर के बयानों को रिकॉर्ड करने के भी आदेश दिए. 13 मई को सुप्रीम कोर्ट ने तलवार दंपत्ति को कड़ी फटकार लगाते हुए उनकी अर्जी को खारिज कर दिया. कुल मिलाकर तारीख बढ़ती गई और आखिरकार लंबे इंतजार के बाद आरुषि और हेमराज को न्‍याया मिल ही गया.
एक नजर इस मर्डर मिस्‍ट्री पर कि कब क्‍या हुआ-
16 मई, 2008: आरुषि तलवार को नोएडा स्थित अपने घर में मृत पाया गया, उसके गले की नस कटी हुई थी. नेपाली घरेलू नौकर हेमराज पर हत्या का शक.
17 मई 2008: हत्‍या के अगले ही दिन नौकर हेमराज का शव तलवार के घर की छत पर मिला.
18 मई 2008: पुलिस ने कहा कि हत्या का तरीका किसी दक्ष सर्जरी करने वाले द्वारा किया गया जान पड़ता है.
23 मई 2008: आरुषि के पिता दंत चिकित्‍सक राजेश तलवार दोहरी हत्या के लिए गिरफ्तार किए गए.
31 मई 2008: तत्‍कालीन मायावती सरकार ने मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपा.
13 जून 2008: पुलिस ने राजेश तलवार के कंपाउंडर कृष्णा को गिरफ्तार किया. 10 दिनों बाद तलवार दंपत्ति के चिकित्सक मित्र का नौकर और तलवार के पड़ोसी का नौकर विजय मंडल भी गिरफ्तार किया गया.
12 जुलाई 2008: सीबीआई द्वारा सबूत जुटा पाने में असफल रहने पर डॉ. राजेश को जमानत दी गई.
5 जून 2010: सीबीआई ने तलवार दंपत्ति पर नार्को जांच के लिए अदालत में याचिका दाखिल की.
29 दिसंबर 2010: सीबीआई ने मामला बंद करने की रिपोर्ट दाखिल की और कहा कि मुख्य संदिग्ध आरुषि के पिता राजेश तलवार हैं, लेकिन उनके खिलाफ सबूत नहीं हैं.
25 जनवरी 2011: राजेश तलवार पर गाजियाबाद अदालत परिसर में एक युवक द्वारा हमला किया गया.
9 फरवरी 2011: गाजियाबाद की विशेष अदालत ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट खारिज कर दी और कहा कि आरुषि-हेमराज हत्या मामले में राजेश और नुपुर तलवार पर मामला चलाया जाए. दंपत्ति पर हत्‍या के बाद सबूत मिटाने का भी आरोप है. गाजियाबाद की एक सीबीआई अदालत ने दंपत्ति के खिलाफ अदालत में उपस्थित नहीं होने के लिए जमानती वारंट जारी किया.
14 मार्च 2012: सीबीआई ने अदालत में राजेश तलवार की जमानत याचिका खारिज करने की अपील की.
30 अप्रैल 2012: आरुषि की मां नूपुर तलवार को गिरफ्तार किया गया.
3 मई 2012: सत्र अदालत ने नूपुर तलवार की जमानत याचिका खारिज की.
25 मई 2012: तलवार दंपत्ति पर गाजियाबाद अदालत ने हत्या, सबूत मिटाने और षडयंत्र रचने का आरोप लगाया.
25 सितंबर 2012: नूपुर तलवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जमानत दी गई.
अप्रैल 2013: सीबीआई अधिकारी ने अदालत से कहा कि आरुषि और हेमराज की हत्या राजेश तलवार ने की. सीबीआई ने कहा कि हत्‍या के वक्‍त आरुषि और हेमराज को आपत्तिजनक स्थिति में देखा गया था.
3 मई 2013: बचाव पक्ष के वकील ने एक विशेष अदालत में पूर्व सीबीआई संयुक्त निदेशक अरुण कुमार (गवाह के रूप में) सहित 14 लोगों को समन भेजने के लिए याचिका दाखिल की. सीबीआई ने याचिका का विरोध किया.
6 मई 2013: निचली अदालत ने 14 लोगों को समन भेजने की तलवार की याचिका खारिज की. उसने राजेश और नूपुर तलवार के रिकॉर्डेड बयान लेने के आदेश दिए.
18 अक्टूबर 2013: सीबीआई ने जिरह बंद की और कहा कि तलवार दंपत्ति ने जांच को गुमराह किया है.
12 नवंबर 2013: अदालत ने अपना फैसला 25 नवंबर तक के लिए सुरक्षित रख लिया.
25 नवंबर 2013: सीबीआई की अदालत ने राजेश और नूपुर तलवार को हत्‍या का दोषी करार दिया.
रिश्‍तों के कत्‍ल की कहानी
संभव नहीं है कि आरुषि का दिल मां की धड़कन के साथ ना धड़कता हो. अंसभव है कि नूपुर तलवार की धड़कन बेटी के साथ ना जुड़ी हो. 14 बरस जिन हाथों ने गीली मिट्टी की तरह अपनी बच्ची को गूथा हो, उसे जिंदगी जीने की एक शक्ल दी, उसी की हत्या. अदालत का फैसला तो ऐलान होने के साथ ही संबंधों के दायरे में रुक सा गया.
मम्मी-पापा ने हत्या की. आरुषि की हत्या के बाद मम्मी-पापा को लेकर साढे पांच बरस लगातार जिस जख्म को समूचा समाज कुरेदता रहा साढे पांच बरस बाद अदालत ने उसी जख्म को बीमारी करार दिया. तो मम्मी-पापा के लिए सजा शुरू हुई या फिर सजा खत्म हुई. सजा का ऐलान मंगलवार को होगा, लेकिन इससे बड़ी सजा हो क्या सकती है, जो फैसला अदालत ने दिया. इसलिए अब बदलते समाज के आईने में रिश्‍तों को नए सिरे से खोजना जरूरी है.
जिस समाज, जिस परिवेश और जिस जीवन को आरुषि के मम्मी-पापा जी रही थे वह मध्यम वर्ग की चकाचौंध की चाहत और खुले जीवन की आकांक्षा समेटे हुए है. महानगरों के लिए खुलापन जिंदगी जीने का आक्सीजन बन चुका है और यहीं से शुरू होता है कच्ची-मीठी सरीखा आरुषि का जीवन और उसे उसी समाज, उसी परिवेश के अनुकुल बनाने में लगे मम्मी-पापा.
तो क्या मम्मी-पापा परंपरा और आधुनिकता के बीच जा फंसे जहां खुलापन और चकाचौंध अपनी हद में सुकून देता है, लेकिन बेटी को कटघरे में खड़ा जानता है और खुद किसी भी हद तक जाने को तैयार. असल मुश्किल यही है और शायद बीते साढे पांच बरस तक पुलिस, सीबीआई से लेकर समाज के सामने जिरह करते मम्मी-पापा का दर्द भी यही है और सुकुन भी यही कि बेटी के हत्यारे मम्मी-पापा हैं.
यह ऐसा फैसला है, जिसने देश की सबसे बडी मर्डर मिस्ट्री को बदलते भारत की उस नई शक्ल जो जोड़ दिया है, जो अभी तक रिश्‍तों की डोर थाम कर जिंदगी जीने का मुखौटा पहने रहता था. कभी ऑनर किलिंग कहकर सीना तानने से नहीं कतराता तो कभी आवारा पूंजी को ही जिंदगी का सच मान चकाचौंध की उड़ान भरने से नही घबराता. तो इस नए भारत में आपका स्वागत है|
 

40 हजार संविदा कर्मियों की होगी भर्ती

akhileshलखनऊ: मुलायम के अधूरे सपने को पूरा करते हुए यूपी के सीएम अखिलेश यादव ने सूबे में बंपर भर्तियों का एलान किया है। वाल्मीकि समाज की ओर से आयोजित की गई सफाई कर्मचारियों की रैली को संबोधित करते हुए अखिलेश यादव ने यह घोषणा की। अखिलेश ने कहा कि जब मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे, तो उन्होंने एक लाख सफाई कर्मचारियों की भर्ती करने का ऐलान किया था, लेकिन उसमें से 65 हजार भर्तियां ही हो सकी थीं।
  
अब सरकार ने उस वादे को पूरा करने ‌के लिए नगरीय निकायों में संविदा पर 35 हजार सफाई कर्मचारियों की भर्ती करने का फैसला लिया है।

मंच पर आजम ने की मांडवाली

अखिलेश ने यह ऐलान किया ही था कि सपा के कद्दावर नेता आजम खां बीच में ही लपककर बोल पड़े, ‘अरे, कुछ तो बढ़ा दीजिए।’ इस पर अखिलेश ने कहा कि ठीक है 40 हजार सफाई कर्मचारियों की भर्ती की जाएगी। यह देखकर हजारों की तादाद में मौजूद सफाई कर्मचारियों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी।
इसके अलावा, अखिलेश ने कुछ अन्य अहम घोषणाएं भी कीं। उन्होंने कहा कि देहाड़ी मजदूरी करने वाले मजदूरों को अब 150 रुपये की जगह 250 रुपये भुगतान किया जाएगा।

पक्की नौकरी पर भी विचार

अखिलेश ने सौगातों का पिटारा खोला, तो उसमें से एक के बाद एक खुशखबरी निकली। अखिलेश ने प्रदेश के लाखों संविदाकर्मियों को बताया कि जल्द ही उन्हें पक्की नौकरी देने के‌ लिए एक हाई पॉवर कमेटी का भी गठन किया जाएगा। यह कमेटी विचार करगी कि किन्हें संविदा से हटाकर पक्की नौकरी दी जा सकती है।

सरकार देगी पांच लाख रुपये

इतना ही नहीं, सफाई कर्मचारियों के घरों में होने वाली शादियों के लिए अनुदान देने को भी एक कमेटी बनाने की बात अखिलेश ने की। उन्होंने बताया कि सीवर सफाई कर्मचारियों के लिए भी जरूरी उपकरणों की व्यवस्‍था सरकार करवाएगी। इसके अलावा, मृतकों के परिवार को पांच लाख रुपये भी दिए जाएंगे।

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