Friday, December 6, 2013

यूपीएससी की नीतियों के खिलाफ दिल्ली में प्रदर्शन



उत्तर प्रदेश, बिहार से आए सैकड़ों प्रतियोगी छात्रों ने निकाला मार्च

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली : दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बिहार से आए सैकड़ों प्रतियोगी छात्रों ने एक बार फिर संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की नीतियों के खिलाफ विरोध जताया है। गुरुवार को मंडी हाउस पर एकत्रित हुए छात्रों ने संसद भवन की तरफ कूच कर दिया लेकिन उन्हें जंतर-मंतर के समीप रोक दिया गया। यहां बैरिकेड तोड़ने पर पुलिस ने बल का प्रयोग किया। प्रदर्शनकारी छात्रों और पुलिस के बीच हाथापाई भी हुई। छात्रों ने संसद भवन थाने के समीप ही एक सभा की, जिसे सांसद डीपी त्रिपाठी ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि यूपीएससी की नीतियां अलोकतांत्रिक हैं। इससे गरीब तबके का छात्र, अंग्रेजी न जानने वाला छात्र इस प्रतियोगी परीक्षा को उत्तीर्ण नहीं कर पाएगा। वह यह मामला संसद के इसी सत्र में उठाएंगे। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष अकबर चौधरी ने कहा कि यह विडंबना है कि सरकार अंग्रेजी को विदेशी भाषा की श्रेणी से नहीं हटा रही, जबकि पर्शियन को विदेशी भाषा की श्रेणी से हटा रही है जिसमें बड़ी संख्या में छात्र परीक्षा में बैठते हैं और उत्तीर्ण भी होते हैं।

विरोध-प्रदर्शन में दिल्ली, अलीगढ़, पटना, इलाहाबाद विश्वविद्यालय सहित जामिया इस्लामिया के छात्रों ने भी भागीदारी की और अपनी बात रखी। गौरतलब है कि यूपीएससी द्वारा नए पाठ्यक्रम में किए गए बदलाव के बाद आयु सीमा में छूट न मिलने, परीक्षा में बैठने के लिए अधिक मौका न देने और पर्शियन भाषा को विदेशी भाषा की श्रेणी से हटाने से छात्रों में आक्रोश व्याप्त है। वे इन मुद्दों को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन उनको आयोग की तरफ से कोई आश्वासन नहीं मिला है।संघ लोक सेवा आयोग की नीतियों के खिलाफ नई दिल्ली में गुरुवार को प्रदर्शन करते प्रतियोगी छात्र।
 


See also: http://uptetpoint.wapka.me/index.xhtml

शिक्षक भर्ती संस्थाओं पर प्रश्नचिह्न




उच्च शिक्षा : शिक्षकों के 1100 पदों पर भर्ती अटकी
प्राथमिक शिक्षा : 72825 सहायक शिक्षकों की भर्ती का पुरसा हाल नहीं
माध्यमिक शिक्षा :5000 से अधिक टीजीटी-पीजीटी की भर्ती रुकी
हरिशंकर मिश्र, इलाहाबाद
लगभग दो साल से ठप पड़ी भर्तियों ने सूबे में शिक्षकों की भर्ती करने वाली संस्थाओं के वजूद पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सिर्फ प्राथमिक ही नहीं, माध्यमिक और उच्च शिक्षा में भी पिछले दो साल से शिक्षकों की भर्ती नहीं हो पा रही है। कहीं अदालती विवाद तो कहीं सरकार की उदासीनता ने इन चयन बोर्ड को सफेद हाथी साबित कर दिया है। ऐसे में युवाओं का आक्रोश सड़क पर आ जाना स्वाभाविक ही है।
बुधवार को इलाहाबाद माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड पर फूटा युवाओं का गुस्सा यूं ही नहीं है। इस चयन बोर्ड में शुरू से ही नियुक्तियां विवादों में रही हैं। बसपा शासन में चयन बोर्ड को कई परीक्षाओं के रिजल्ट संशोधित करने पड़े और सदस्यों की आपसी खींचतान, मारपीट और झगड़ों की वजह से बोर्ड चर्चा में रहा। सपा की सरकार आने के बाद हालात सुधरने की उम्मीद थी लेकिन बोर्ड एक कदम भी आगे न चल सका। बोर्ड से जुड़े अधिकारी भी स्वीकारते हैं कि यदि लखनऊ खंडपीठ में चल रहे वाद में तत्कालीन सचिव ने जाकर सही तथ्य सामने रखे होते तो अब तक परीक्षा पूरी हो चुकी होती। टीजीटी-पीजीटी के पांच हजार पदों पर छह लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने आवेदन किया है। 2011 में घोषित इन रिक्तियों को लेकर लंबा इंतजार अभ्यर्थियों में बेचैनी का सबब है।
इससे भी विषम स्थिति उच्च शिक्षा में नियुक्तियों की है। अशासकीय डिग्री और पीजी कॉलेजों में प्रवक्ता और प्राचार्य के रिक्त पदों पर पिछले छह वर्ष से चयन नहीं हो पा रहा है। सरकार इस ओर से कितनी उदासीन है, इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि आयोग में लगभग डेढ़ वर्ष से अध्यक्ष तक की नियुक्ति नहीं की जा सकी है। सदस्यों के भी सभी पद रिक्त हैं। आयोग द्वारा 2010 में शिक्षकों के 1100 पदों पर नियुक्तियों की घोषणा के बाद इसे अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका।
बेसिक शिक्षा परिषद की नियुक्तियां अदालती विवादों से निकल ही नहीं पा रही हैं। बसपा शासन में टीईटी मेरिट के आधार 72825 नियुक्तियां शुरू हुईं तो चुनाव आड़े आ गया। उसके बाद सपा शासन ने शुरू की तो अदालती विवादों के भंवरजाल से ही नहीं निकल पा रही हैं। इनमें विलंब से छात्रों-युवाओं में आक्रोश व्याप्त है।
 


See also: http://uptetpoint.wapka.me/index.xhtml

निजी बीटीसी कॉलेजों को संबद्धता अब आसान नहीं



अमर उजाला ब्यूरो

लखनऊ। प्रदेश में निजी बीटीसी कॉलेज खोलना अब आसान नहीं होगा। कॉलेज प्रबंधन को पहले मानक पूरे करने होंगे और इसके बाद संबद्धता के लिए आवेदन करना होगा। इसके बाद भी निजी बीटीसी कॉलेजों को संबद्धता प्रमाण तब दिया जाएगा कि जब वे सभी मानक पूरे होने का प्रमाण पत्र देंगे। बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविंद चौधरी ने इस संबंध में अधिकारियों को निर्देश दे दिए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य समिति की संस्तुति पर 67 कॉलेजों को संबद्धता प्रमाण पत्र जारी करने से पहले अनिवार्य रूप से शपथ पत्र ले लिया जाए।

उत्तर प्रदेश में वर्ष 2009 से हाईकोर्ट के आदेश पर राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद से मान्यता लेने वाले संस्थाओं को संबद्धता देने की प्रक्रिया शुरू की गई है। प्रदेश में मौजूदा समय 524 निजी कॉलेज चल रहे हैं। राज्य समिति ने 67 और कॉलेजों को संबद्धता देने का प्रस्ताव शासन को भेजा था। बेसिक शिक्षा मंत्री ने कॉलेजों को शर्तों के आधार पर संबद्धता देने की अनुमति दी है।

राम गोविंद चौधरी ने कहा है कि संबद्धता प्रमाण पत्र जारी करने से पहले कॉलेजों से शपथ पत्र लिया जाएगा कि वे सभी मानक पूरे कर चुके हैं। इसके बाद शासन निदेशालय स्तर के अधिकारियों को मौके पर भेजकर इसकी जांच कराई जाएगी। जांच में यदि कोई कमी मिली तो संबंधित कॉलेजों की संबद्धता रद्द कर दी जाएगी। उनके निर्देश के आधार पर राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) से कॉलेज प्रबंधन से शपथ लेने को कहा गया है।

मानक पूरे होने का देना होगा शपथ पत्र

गड़बड़ी मिली तो समाप्त होगी संबद्धता
 


See also: http://uptetpoint.wapka.me/index.xhtml

टीईटी के लिए विज्ञापन 10 को




अमर उजाला ब्यूरो
लखनऊ। शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) के लिए इस बार 10 दिसंबर को विज्ञापन निकालकर आवेदन लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। पहले विभागीय वेबसाइट पर ऑनलाइन पंजीकरण कराना होगा और इसके बाद -चालान बनवाने के साथ आवेदन किए जा सकेंगे। परीक्षा 22 23 फरवरी को होगी और परिणाम 27 मार्च को जारी किए जाएंगे। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के प्रस्ताव पर बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविंद चौधरी ने मंजूरी दे दी है। इसका शासनादेश शुक्रवार को जारी किए जाने की तैयारी है।
बेसिक शिक्षा विभाग चाहता है कि इस बार टीईटी समय से आयोजित करा ली जाए और इसका परिणाम भी समय से ही जारी कर दिया जाए। टीईटी के लिए स्नातक में 50 फीसदी अंक पाने वाले पात्र होंगे, यदि किसी को स्नातक में 45 फीसदी अंक मिले हैं और उसे परास्नातक में 50 फीसदी अंक मिले हैं बीएड कर रखा है तो उसे आवेदन के लिए पात्र माना जाएगा। इस बार उर्दू भाषा टीईटी में बीएड वालों को भी बैठने का मौका दिया जाएगा। टीईटी की जिम्मेदारी पूर्व की तरह इस बार भी परीक्षा नियामक प्राधिकारी को ही दी गई है। जिसे स्तर पर होने वाली परीक्षा के लिए जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में कमेटियां बनाई जाएंगी।
 


See also: http://uptetpoint.wapka.me/index.xhtml

Thursday, December 5, 2013

अब 6 दिन लगेंगे CBSE के सभी स्कूल

दिल्ली: सीबीएसई के स्कूलों में 2015 से सप्ताह में छह दिन स्कूल जाना होगा। बोर्ड ने यह प्रावधान शिक्षा के अधिकार कानून को देखते हुए किया है, जिसमें कहा गया है कि स्कूलों में सप्ताह में कम से कम 45 घंटे पढ़ाई होनी चाहिए।
cbseसीबीएसई ने बताया कि 2015 से स्कूलों के लिए जो कैरिकुलम आरटीई कानून के मुताबिक है उसके मुताबिक स्कूलों में 45 घंटे का काम होना चाहिए, जिसके बाद स्कूलों को एक दिन में में 6 घंटा 10 मिनट के हिसाब से छह दिन काम करना होगा।
सीबीएसई की ओर से शिक्षकों को कहा गया है कि वह स्कूल के बाद एक घंटा और 20 मिनट रुककर प्लानिंग, तैयारी और आगे के दिनों के काम करने को लेकर तैयारी करेंगे।
  
शिक्षकों को एक से लेकर पांचवीं क्लास तक पूरे साल में कम से कम 1200 घंटे केवल पढ़ाने होंगे। इनमें से 200 घंटे वह स्कूल से पहले या बाद में उन छात्रों को पढ़ाने में दे सकते हैं जो कमजोर छात्र हैं।
स्कूल के लिए यह निर्देश है कि वह एक दिन में 8 क्लास ही रखेंगे, जिसमें पहली से लेकर पांचवीं क्लास 45 मिनट की होगी और उसके बाद क्लास 40 मिनट के होंगे।
अन्य अपटेड लगातार हासिल करने के लिए अमर उजाला फेसबुक पेज ज्वाइन करें.


See also: http://uptetpoint.wapka.me/index.xhtml