Friday, December 6, 2013

टीईटी के लिए विज्ञापन 10 को




अमर उजाला ब्यूरो
लखनऊ। शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) के लिए इस बार 10 दिसंबर को विज्ञापन निकालकर आवेदन लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। पहले विभागीय वेबसाइट पर ऑनलाइन पंजीकरण कराना होगा और इसके बाद -चालान बनवाने के साथ आवेदन किए जा सकेंगे। परीक्षा 22 23 फरवरी को होगी और परिणाम 27 मार्च को जारी किए जाएंगे। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के प्रस्ताव पर बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविंद चौधरी ने मंजूरी दे दी है। इसका शासनादेश शुक्रवार को जारी किए जाने की तैयारी है।
बेसिक शिक्षा विभाग चाहता है कि इस बार टीईटी समय से आयोजित करा ली जाए और इसका परिणाम भी समय से ही जारी कर दिया जाए। टीईटी के लिए स्नातक में 50 फीसदी अंक पाने वाले पात्र होंगे, यदि किसी को स्नातक में 45 फीसदी अंक मिले हैं और उसे परास्नातक में 50 फीसदी अंक मिले हैं बीएड कर रखा है तो उसे आवेदन के लिए पात्र माना जाएगा। इस बार उर्दू भाषा टीईटी में बीएड वालों को भी बैठने का मौका दिया जाएगा। टीईटी की जिम्मेदारी पूर्व की तरह इस बार भी परीक्षा नियामक प्राधिकारी को ही दी गई है। जिसे स्तर पर होने वाली परीक्षा के लिए जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में कमेटियां बनाई जाएंगी।
 


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Thursday, December 5, 2013

अब 6 दिन लगेंगे CBSE के सभी स्कूल

दिल्ली: सीबीएसई के स्कूलों में 2015 से सप्ताह में छह दिन स्कूल जाना होगा। बोर्ड ने यह प्रावधान शिक्षा के अधिकार कानून को देखते हुए किया है, जिसमें कहा गया है कि स्कूलों में सप्ताह में कम से कम 45 घंटे पढ़ाई होनी चाहिए।
cbseसीबीएसई ने बताया कि 2015 से स्कूलों के लिए जो कैरिकुलम आरटीई कानून के मुताबिक है उसके मुताबिक स्कूलों में 45 घंटे का काम होना चाहिए, जिसके बाद स्कूलों को एक दिन में में 6 घंटा 10 मिनट के हिसाब से छह दिन काम करना होगा।
सीबीएसई की ओर से शिक्षकों को कहा गया है कि वह स्कूल के बाद एक घंटा और 20 मिनट रुककर प्लानिंग, तैयारी और आगे के दिनों के काम करने को लेकर तैयारी करेंगे।
  
शिक्षकों को एक से लेकर पांचवीं क्लास तक पूरे साल में कम से कम 1200 घंटे केवल पढ़ाने होंगे। इनमें से 200 घंटे वह स्कूल से पहले या बाद में उन छात्रों को पढ़ाने में दे सकते हैं जो कमजोर छात्र हैं।
स्कूल के लिए यह निर्देश है कि वह एक दिन में 8 क्लास ही रखेंगे, जिसमें पहली से लेकर पांचवीं क्लास 45 मिनट की होगी और उसके बाद क्लास 40 मिनट के होंगे।
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दंगे में घायल हो गए तो यूपी सरकार देगी 400 रुपये मासिक पेंशन

 लखनऊ: दंगे में घायलों को पेंशन देने के लिए रानी लक्ष्मी बाई पेंशन योजना में कुछ नए नियम बढ़ा दिए गये हैं। मासिक पेंशन के लिए अब उम्र की कोई सीमा नहीं होगी। जाति और धर्म का बंधन भी नहीं होगा। बस,दावेदार ‘दंगा घायल’ होना चाहिए।
dangaमुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अगुवाई वाली मंत्रिपरिषद ने 27 अगस्त के बाद मुजफ्फरनगर, शामली, बागपत और मेरठ दंगों के घायलों को चार सौ रुपया मासिक पेंशन का फैसला किया है। पहली बार किसी राज्य सरकार की ओर से दंगे के घायलों को पेंशन देने के फैसले को लागू कराने के लिए रानी लक्ष्मी बाई पेंशन योजना के नियमों में कुछ नये नियम जोड़े जा रहे हैं और कुछ नियमों को शिथिल भी किया गया है। सूत्रों का कहना है कि नए नियमों के तहत अब घायलों में आर्थिक स्थिति का प्रमाण पत्र नहीं देना होगा। सूत्रों कहना है कि पहले से चले आ रहे नियमों में एक और नियम बढ़ाया जा रहा है कि अगर दंगे का कोई घायल पात्रता श्रेणी में नहीं आ रहा है तो नियम को शिथिल माना जाए और उसे चार सौ रुपए मासिक पेंशन मुहैया करायी जाए।
  
समाज कल्याण मंत्री अवधेश प्रसाद ने कहा कि देश में पहली बार किसी राज्य सरकार ने दंगे में घायलों को पेंशन देने का फैसला लिया है। रानी लक्ष्मी बाई योजना के तहत चार सौ रुपए प्रतिमाह की दर से पेंशन दी जाएगी। इसके लिए योजना के नियमों को शिथिल कर दिया गया है, जल्द ही शासनादेश जारी हो जाएगा।
पीड़ितों के लिए नियम शिथिल
-दंगा में घायल व्यक्ति से आर्थिक स्थिति का प्रमाण पत्र नहीं लिया जाएगा।
- रानी लक्ष्मी बाई पेंशन योजना का लाभ देने में जाति, धर्म की बाध्यता नहीं होगी।
- घायल अगर पूर्व में निर्धारित मानकों में पात्र नहीं है, तब भी उसे पेंशन योजना का लाभ दिया जाएगा।
-दंगे में घायलों को पेंशन देने के लिए नियम को शिथिल माना जाएगा।
कब शुरू हुई योजना : प्रदेश सरकार ने 23 मई 2012 को रानी लक्ष्मी बाई पेंशन योजना शुरू की थी, जिसके समाज कल्याण विभाग के जरिए 9 जुलाई 2012 को लागू किया गया।

लाभार्थियों की संख्या :
मौजूदा समय में रानी लक्ष्मी बाई पेंशन योजना पाने वाले परिवारों की संख्या 25 लाख के करीब है। इसमें बीपीएल सूची में शामिल होने से जो छूटे, अन्य किसी पेंशन योजना से वंचित को पेंशन मिलती है।



टीईटी की मुश्किलें: Akhir Kyo Sarkar SC Jane par Majboor Hue

By Daink Jagran:

  • 2011 की मेरिट के सत्यापन में दिक्कतें
  • रिजल्ट में संशोधन के छह हजार आवेदन लंबित
  • परीक्षा प्राधिकारी के पास टीईटी का रिजल्ट भी उपलब्ध नहीं
  • निरस्त विज्ञापन के आधार पर चयन में कठिनाई

जागरण ब्यूरो, लखनऊ : परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 72825 शिक्षकों की भर्ती के मामले में हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का सरकार का फैसला यूं ही नहीं है। हाईकोर्ट के आदेश से सहमी सरकार को उर्दू शिक्षकों के साथ ही जूनियर हाईस्कूल के गणित और विज्ञान शिक्षकों की भर्ती पर ग्रहण लगने का खतरा तो है ही, अदालत के फरमान को अमली जामा पहनाने में आने वाली व्यावहारिक दिक्कतों ने भी महकमे के अधिकारियों की पेशानी पर बल डाल दिए हैं।
हाईकोर्ट के आदेश पर अमल करते हुए 30 नवंबर 2011 के विज्ञापन के आधार पर शिक्षकों की भर्ती करने में सबसे बड़ी समस्या आवेदनों की भारी भरकम संख्या है। उस समय 68 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था, जो मैनुअल थे। बीएड अर्हताधारकों को शिक्षक नियुक्त करने की अंतिम तारीख 31 मार्च 2014 है। बेसिक शिक्षा महकमे के लिए मैनुअली प्राप्त हुए 68 लाख आवेदनों के आधार पर चयन प्रक्रिया को चार महीने में निपटाना संभव नहीं है। एक और व्यावहारिक दिक्कत यह है कि टीईटी के रिजल्ट की शुचिता पर तो सवालिया निशान लगा है लेकिन उसकी मेरिट का सत्यापन किया जाना संभव नहीं है। वजह यह कि टीईटी 2011 आयोजित कराने वाले यूपी बोर्ड के परीक्षा प्राधिकारी ने बेसिक शिक्षा विभाग को बताया है कि उनके पास टीईटी का रिजल्ट उपलब्ध नहीं है। परीक्षा से जुड़े अभिलेख पुलिस अभिरक्षा में हैं और अभी भी उनके कार्यालय में परीक्षाफल संशोधन के तकरीबन छह हजार आवेदन पत्र लंबित हैं। शुचिता के मद्देनजर ही मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति की सिफारिश के आधार पर शासन ने टीईटी को सिर्फ पात्रता परीक्षा बनाया। हाईकोर्ट ने 30 नवंबर 2011 के जिस विज्ञापन के आधार पर शिक्षकों की भर्ती करने को कहा है, वह विज्ञापन निरस्त होने के बाद बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों का आवेदन शुल्क वापस किया जा चुका है। जिन अभ्यर्थियों ने आवेदन शुल्क नहीं लिया, उनके बैंक ड्राफ्ट की वैधता छह महीने बीतने के बाद खत्म हो चुकी है। ऐसे में निरस्त किए गए विज्ञापन के आधार पर चयन की कार्यवाही करने में कठिनाई है। वहीं यदि सरकार पुराने विज्ञापन के आधार पर चयन की कार्यवाही करती है तो उसे नये विज्ञापन के तहत प्राप्त हुए 68,98,070 अभ्यर्थियों को उनका आवेदन शुल्क वापस करने में नाकों चने चबाने होंगे।

By Amar Ujala: 



शिक्षकों की भर्ती शैक्षिक मेरिट पर करेगी सरकार
हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी
लखनऊ (ब्यूरो)। राज्य सरकार प्राइमरी स्कूलों में 72,825 शिक्षकों की भर्ती शैक्षिक मेरिट के आधार पर ही करेगी। इसके लिए हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अगले हफ्ते विशेष अनुज्ञा याचिका (एसएलपी) दाखिल की जाएगी। इसके लिए देश के नामी वकीलों को हायर करने के लिए अधिकारियों की एक टीम दिल्ली भेजी गई है, ताकि फैसला जल्द आ सके और लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने से पहले भर्ती प्रक्रिया शुरू हो जाए।
प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में 72,825 शिक्षकों की भर्ती की कवायद नवंबर, 2011 से शुरू हुई थी जो अभी तक चल रही है। तत्कालीन बसपा सरकार ने 30 नवंबर, 2011 को टीईटी मेरिट पर भर्ती का विज्ञापन निकाला था, लेकिन सत्ता बदलने के बाद सपा सरकार ने 7 दिसंबर, 2012 को शैक्षिक मेरिट के आधार पर भर्ती का विज्ञापन निकालकर आवेदन लिया। टीईटी पास कुछ बीएड वालों ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खट-खटाया। इस पर हाईकोर्ट ने 20 नवंबर को राज्य सरकार को टीईटी मेरिट पर शिक्षकों की भर्ती का आदेश दिया।
बेसिक शिक्षा विभाग का मानना है कि टीईटी मेरिट पर शिक्षकों की भर्ती के लिए यदि उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा अध्यापक सेवा नियमावली बदली गई तो बीटीसी, विशिष्ट बीटीसी और उर्दू शिक्षकों की हुई 11,008 नियुक्तियां फंस जाएंगी। इसके अलावा उच्च प्राइमरी स्कूलों में विज्ञान व गणित के शिक्षकों की होने वाली भर्ती भी आगे चलकर फंस सकती है। शैक्षिक मेरिट से शिक्षकों की भर्ती में कोई समस्या नहीं आएगी, जबकि टीईटी मेरिट से शिक्षकों की भर्ती में अधिकतम 7200 टीईटी पास बीएड वालों को ही फायदा हो सकता है। सचिव बेसिक शिक्षा नीतीश्वर कुमार के इस प्रस्ताव को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी स्वीकार कर लिया है। इसके आधार पर सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल करने का निर्णय किया गया है।


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सरकार के फैसले से टीईटी अभ्यर्थी मायूस




आंदोलन और तेज करने की तैयारी
जाब्यू, इलाहाबाद : सूबे में 72825 प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती मामले में सरकार के सुप्रीम कोर्ट जाने के फैसले ने टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को मायूस कर दिया है। इस निर्णय के बाद भर्ती को लेकर दबाव बना रहे अभ्यर्थियों का आंदोलन और तेज होने के आसार हैं। हालांकि इन अभ्यर्थियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कैविएट पहले ही दाखिल की जा चुकी है। अभ्यर्थी विधि विशेषज्ञों से भी संपर्क कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट जाने के पीछे सरकार की जो भी मजबूरियां हों लेकिन अभ्यर्थी इसे कड़े फैसले की संज्ञा देते हैं। अभ्यर्थियों में एक संजीव मिश्र कहते हैं-‘पहले ही इस मामले में काफी देरी हो चुकी है। सरकार को हाईकोर्ट के निर्णय का अनुपालन करना चाहिए। जाहिर है कि भर्तियों को जानबूझकर लटकाया जा रहा है।वैसे अभ्यर्थियों को इस बात की आशंका थी कि सरकार सुप्रीम कोर्ट जा सकती है। इसलिए हाईकोर्ट के फैसले के दूसरे ही दिन मुख्य याची शिवकुमार पाठक अन्य ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल कर दी थी। इसके पीछे उद्देश्य था कि सरकार की ओर से विशेष अनुमति याचिका दायर होने के बाद उनको भी अपना पक्ष रखने का अवसर मिल सके।
अभ्यर्थियों में सरकार के फैसले से इसलिए भी आक्रोश है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने इलाहाबाद आगमन पर इस बात के संकेत दिए थे कि सरकार शायद सुप्रीम कोर्ट जाए। उन्होंने कहा था कि युवाओं को अधिक से अधिक नौकरी उनकी प्राथमिकता में है। हालांकि इसके बाद भी अभ्यर्थियों का आंदोलन जारी था। बेसिक शिक्षा निदेशालय पर उनका प्रदर्शन लगातार जारी है। लखनऊ में भी प्रदर्शन कर चुके हैं। इस मुद्दे को लेकर आंदोलन कर रहे टीईटी मोर्चा के सुजीत सिंह कहते हैं कि आंदोलन को प्रदेशव्यापी बनाया जाएगा।
 


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