जागरण
ब्यूरो, लखनऊ : भविष्य में
राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में
एलटी ग्रेड शिक्षकों
की भर्ती में
परास्नातक (पीजी) को बोनस
अंक दिये जाने
की व्यवस्था खत्म
होगी। मुख्यमंत्री अखिलेश
यादव ने उप्र
अधीनस्थ शिक्षा (प्रशिक्षित स्नातक
श्रेणी) सेवा नियमावली
में संशोधन के
प्रस्ताव को मंजूरी
दे दी है।
अब कैबिनेट से
इस प्रस्ताव को
मंजूरी दिलाने की कवायद
की जा रही
है।
नियमावली
में राजकीय माध्यमिक
विद्यालयों में शिक्षकों
की भर्ती के
लिए अनिवार्य शैक्षिक
योग्यता स्नातक है। नियमावली
में प्रावधान है
कि यदि कोई
अभ्यर्थी स्नातक के साथ
परास्नातक प्रथम श्रेणी में
उत्तीर्ण है तो
उसे 15, द्वितीय श्रेणी में
10 और तृतीय श्रेणी
में पांच बोनस
अंक दिये जाएंगे।
राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान
के तहत जूनियर
हाईस्कूलों से उच्चीकृत
किये गए राजकीय
हाईस्कूलों में एलटी
ग्रेड के पुरुष
संवर्ग के 1425 शिक्षकों की
भर्ती प्रक्रिया पिछले
साल अगस्त में
शुरू हुई थी।
इस भर्ती प्रक्रिया
के दौरान स्नातक
स्तर पर लिये
गए विषयों से
अलग विषय में
परास्नातक करने वाले
अभ्यर्थियों को भी
बोनस अंक दिये
गए। इस प्रावधान
को लेकर कुछ
अभ्यर्थियों ने हाई
कोर्ट का दरवाजा
खटखटाया।
अभ्यर्थियों
का तर्क था
कि यदि भौतिकी
विषय के लिए
आवेदन करने वाले
अभ्यर्थी ने स्नातक
स्तर पर बीएससी
करने के बाद
अंग्रेजी में परास्नातक
किया हो तो
उसे बोनस अंक
देने का क्या
औचित्य है। अदालत
ने शासन को
इस मामले में
हस्तक्षेप करने को
कहा था। इस
पर मंडल स्तर
पर होने वाली
यह भर्तियां रोक
दी गई थीं।
सचिव माध्यमिक शिक्षा
जितेंद्र कुमार ने बताया
कि नियमावली के
तहत एलटी ग्रेड
शिक्षकों की नियुक्ति
के लिए अनिवार्य
शैक्षिक योग्यता स्नातक है।
नियमावली बनाते समय यह
सोचा गया होगा
कि जो लोग
स्नातक के विषय
से ही परास्नातक
हैं, वे उस
विषय में ज्यादा
दक्ष होंगे। इसलिए
परास्नातक को बोनस
अंक दिये जाने
की व्यवस्था की
गई थी लेकिन
एलटी ग्रेड के
पुरुष शिक्षकों की
भर्ती के दौरान
यह पता चला
कि इस प्रावधान
का दुरुपयोग किया
जा रहा है।
लिहाजा शासन ने
एलटी ग्रेड शिक्षकों
की भर्ती में
बोनस अंक देने
की व्यवस्था को
खत्म करने का
फैसला किया है।
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