Thursday, December 5, 2013

एलटी ग्रेड भर्ती में बोनस अंक नहीं




जागरण ब्यूरो, लखनऊ : भविष्य में राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती में परास्नातक (पीजी) को बोनस अंक दिये जाने की व्यवस्था खत्म होगी। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उप्र अधीनस्थ शिक्षा (प्रशिक्षित स्नातक श्रेणी) सेवा नियमावली में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। अब कैबिनेट से इस प्रस्ताव को मंजूरी दिलाने की कवायद की जा रही है।
नियमावली में राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती के लिए अनिवार्य शैक्षिक योग्यता स्नातक है। नियमावली में प्रावधान है कि यदि कोई अभ्यर्थी स्नातक के साथ परास्नातक प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण है तो उसे 15, द्वितीय श्रेणी में 10 और तृतीय श्रेणी में पांच बोनस अंक दिये जाएंगे। राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत जूनियर हाईस्कूलों से उच्चीकृत किये गए राजकीय हाईस्कूलों में एलटी ग्रेड के पुरुष संवर्ग के 1425 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पिछले साल अगस्त में शुरू हुई थी। इस भर्ती प्रक्रिया के दौरान स्नातक स्तर पर लिये गए विषयों से अलग विषय में परास्नातक करने वाले अभ्यर्थियों को भी बोनस अंक दिये गए। इस प्रावधान को लेकर कुछ अभ्यर्थियों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
अभ्यर्थियों का तर्क था कि यदि भौतिकी विषय के लिए आवेदन करने वाले अभ्यर्थी ने स्नातक स्तर पर बीएससी करने के बाद अंग्रेजी में परास्नातक किया हो तो उसे बोनस अंक देने का क्या औचित्य है। अदालत ने शासन को इस मामले में हस्तक्षेप करने को कहा था। इस पर मंडल स्तर पर होने वाली यह भर्तियां रोक दी गई थीं। सचिव माध्यमिक शिक्षा जितेंद्र कुमार ने बताया कि नियमावली के तहत एलटी ग्रेड शिक्षकों की नियुक्ति के लिए अनिवार्य शैक्षिक योग्यता स्नातक है। नियमावली बनाते समय यह सोचा गया होगा कि जो लोग स्नातक के विषय से ही परास्नातक हैं, वे उस विषय में ज्यादा दक्ष होंगे। इसलिए परास्नातक को बोनस अंक दिये जाने की व्यवस्था की गई थी लेकिन एलटी ग्रेड के पुरुष शिक्षकों की भर्ती के दौरान यह पता चला कि इस प्रावधान का दुरुपयोग किया जा रहा है। लिहाजा शासन ने एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती में बोनस अंक देने की व्यवस्था को खत्म करने का फैसला किया है।
 


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शिक्षकों ने काली पट्टी बांधकर किया विरोध


•अमर उजाला ब्यूरो
चंदौसी। बेसिक शिक्षा परिषद के शिक्षक अपनी मांगों के लेकर आंदोलित हो गए हैं। काली पट्टी बांध कर शिक्षण कार्य करने का सिलसिला चल रहा है जो आठ दिसंबर तक जारी रहेगा। शिक्षकों का कहना है कि वह सरकार के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं क्योंकि सरकारी शिक्षकों की मांगों को पूरा नहीं कर रही है।
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ और उत्तर प्रदेशीय जूनियर शिक्षक संघ ने दो दिसंबर से काली पट्टी बांध कर विरोध प्रदर्शन शुरू किया था। जिले में जूनियर शिक्षक संघ की अध्यक्ष संतोष यादव और महामंत्री सेवाराम दिवाकर ने बताया कि शिक्षकों का आंदोलन सफलता के साथ चल रहा है। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष दिनेश चंद्र शर्मा ने बताया कि शिक्षक महासंघ के आह्वान पर आंदोलन किया जा रहा है। इसके तहत 9 दिसंबर को बहजोई में पैदल मार्च और प्रदर्शन होगा। यदि सरकार फिर भी नहीं चेती तो 18 दिसंबर को लखनऊ में बड़ी रैली होगी। एक लाख से अधिक शिक्षक जुटेंगे।
आठ तक काली पट्टी बांधकर शिक्षण कार्य करेंगे शिक्षक


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Wednesday, December 4, 2013

Principal Vacancy in School

नए कलेवर में दिखेंगी बेसिक शिक्षा परिषद की किताबें

  • दूसरे राज्यों में किताबों की जांच करने के लिए भेजी गईं दो टीमें 
लखनऊ। निजी स्कूलों की तर्ज पर अब बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित प्राथमिक, उच्च प्राथमिक विद्यालयों एवं सहायता प्राप्त स्कूलों में कक्षा एक से आठ तक बच्चों को दी जाने वाली निशुल्क पाठ्य पुस्तकें भी नए कलेवर में नजर आएंगी। इन किताबों की क्वालिटी सुधारने के लिए कवर और कागज को पहले की अपेक्षा ज्यादा अच्छा किया जाएगा। इसके लिये दूसरे राज्यों में किताबों की जांच करने के लिए दो टीमें भेजी गईं हैं | 
  • मेरठ और गोरखपुर के अफसर टीम में शामिल
दूसरे राज्यों में किताबों की क्वालिटी की जांच करने के लिए राज्य परियोजना निदेशालय के निर्देश पर दो टीमें हरियाणा और बिहार भेजी गई हैं। इनमें मेरठ मंडल के मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक (बेसिक), उप शिक्षा निदेशक (डीडीआर) व बेसिक शिक्षा अधिकारी की टीम बनाकर हरियाणा भेजा गया है। जबकि गोरखपुर मंडल के मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक (बेसिक), उप शिक्षा निदेशक और बेसिक शिक्षा अधिकारी की टीम को बिहार भेजा गया है। ये टीमें अपनी रिपोर्ट सर्व शिक्षा अभियान को सौंपेंगे। जिसके बाद उस पर बैठक कर निर्णय लिया जाएगा। 


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सुप्रीम कोर्ट जाएगी सरकार: 72825 शिक्षक भर्ती

  • मुख्यमंत्री ने की उच्च स्तरीय बैठक
  • सभी पहलुओं पर किया गया विचार
  • मुख्यमंत्री ने की उच्च स्तरीय बैठक
  • सभी पहलुओं पर किया गया विचार
  • सड़क पर उतरे बेरोजगार


इलाहाबाद : कोर्ट के आदेश के बावजूद प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षकों की रुकी भर्ती को लेकर कोई कदम उठाए जाने से टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों में असमंजस की स्थिति है। रुकी नियुक्ति शुरू कराने को लेकर सैकड़ों अभ्यर्थी सड़क पर उतरे।
जागरण ब्यूरो, लखनऊ : प्राथमिक स्कूलों में 72825 शिक्षकों की भर्ती के मामले में राज्य सरकार ने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ विशेष अनुज्ञा याचिका में सुप्रीम कोर्ट जाएगी। मंगलवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद इस पर सहमति बनी है।1बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविंद चौधरी, मुख्य सचिव जावेद उस्मानी, सचिव बेसिक शिक्षा नीतीश्वर कुमार और बेसिक शिक्षा विभाग के अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में हुई इस बैठक में को लेकर हाई कोर्ट के फैसले का पालन करने या उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने से जुड़े सभी पहलुओं पर विचार किया गया। हाई कोर्ट ने 20 नवंबर को मायावती सरकार के फैसले को बहाल करते हुए शिक्षकों की भर्ती अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) की मेरिट के आधार पर ही करने का आदेश दिया है। साथ ही अदालत ने सरकार द्वारा अध्यापक सेवा नियमावली में किए गए 15वें संशोधन को रद कर दिया है। बैठक में चर्चा हुई कि यदि हाई कोर्ट के फैसले पर अमल किया गया तो मोअल्लिम--उर्दू उपाधिधारकों की मांग पर उर्दू शिक्षकों के 4280 पदों पर चालू की गई भर्ती प्रक्रिया भी अटक जाएगी। साथ ही जूनियर हाईस्कूलों में विज्ञान और गणित विषयों के 29334 पदों पर शिक्षकों की भर्ती के लिए जारी प्रक्रिया भी फंस जाएगी। एक दिक्कत यह भी है कि उसने अध्यापक सेवा नियमावली में 15वां संशोधन करने के बाद शैक्षिक मेरिट के आधार पर तकरीबन दस हजार शिक्षकों की भर्तियां कर ली हैं। इन भर्तियों को लेकर भी कानूनी पेच फंस सकता है। इस पहलू पर भी गौर हुआ कि यदि सरकार हाई कोर्ट के फैसले को मान भी ले तो इस निर्णय से असंतुष्ट अभ्यर्थी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे ही। तब भी भर्ती प्रक्रिया फंसेगी।


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Tuesday, December 3, 2013

14 हजार बीएड छात्रों का प्रवेश अधर में




गोरखपुर (एसएनबी)। कई कोशिशों के बाद भी बीएड प्रवेश परीक्षा 2013 में शामिल अभ्यर्थियों को प्रवेश के लिए लुभाने में नाकामयाब रहे महाविद्यालयों का उच्चतम न्यायालय की शरण में जाने का दांव उल्टा साबित हुआ है। प्रवेश परीक्षा में शामिल न होने वाले छात्रों का प्रवेश तो ये नहीं ही ले सकेंगे, प्रवेश परीक्षा में शामिल जिन अभ्यर्थियों का एडमिशन इन महाविद्यालयों ने स्वयं लिया है, उनके लिए भी संकट पैदा हो गया है। उच्चतम न्यायालय ने पिछले हफ्ते अपने आदेश में यह स्पष्ट किया है कि 16 सितम्बर 2013 के बाद जो भी प्रवेश बीएड में हुए हैं, सारे अवैध माने जाएंगे। यानी करीब 14 हजार विद्यार्थियों का बीएड में हुआ प्रवेश निरस्त हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अधिकांश कालेज प्रभावित होंगे। बीएड प्रवेश परीक्षा 2013 का जिम्मा दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय को मिला था। इस परीक्षा में करीब 3 लाख 78 हजार अभ्यर्थी शामिल हुए। पर, इस वर्ष काउंसलिंग में अभ्यर्थियों का रुझान काफी कम देखा गया। प्रथम काउंसलिंग के बाद काफी अधिक सीटें खाली रह जाने पर शासन के आदेश पर पूल काउंसलिंग करायी गयी।
 


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अब इन्टर पास ही बन सकेंगे लेखपाल


कमल दुबे/एसएनबीलखनऊ। राजस्व विभाग और चकबंदी विभाग में अब इन्टर पास ही बन सकेंगे लेखपाल। अभी तक इन दोनों विभागों में लेखपाल पद पर भर्ती के लिए न्यूनतम योग्यता हाईस्कूल थी जिसे प्रस्तावित लेखपालों की नयी भर्ती में न्यूनतम योग्यता को बढ़ाकर इन्टर किया जा रहा है। नयी भर्ती के मद्देनजर दोनों विभाग मंत्रिपरिषद की मंजूरी को नयी नियमावली लाने जा रहे हैं, जिसमें इनकी योग्यता का पैमाना बदलने के साथ-साथ चयन की प्रक्रिया और परीक्षा व साक्षात्कार में अंकों के निर्धारण की पुरानी व्यवस्था को भी बदला जा रहा है। राजस्व विभाग और चकबंदी विभाग में करीब 8710 लेखपालों की सीधी भर्ती की जानी है, जिसमें करीब 5900 राजस्व लेखपाल और 2810 चकबंदी लेखपाल हैं। इसके लिए राज्य सरकार दोनों विभागों को काफी पहले हरी झण्डी भी दे चुकी है। नयी भर्ती करने से पहले दोनों ही विभागों में नियमावली में संशोधन किया जा रहा है। जानकारों का कहना है कि सपा की पिछली सरकार में चकबंदी विभाग में लेखपालों की भर्ती बंदोबस्त अधिकारी (एसओसी) के स्तर से बनी कमेटी करती थी, लेकिन बसपा शासनकाल में बदलाव करके इसे जिलाधिकारी के अधीन कर दिया गया था। चयन की पुरानी व्यवस्था को लाने के लिए चकबंदी विभाग ने जो नियमावली तैयार की है, उसमें कई अन्य बदलाव भी किये गये हैं। इसमें सबसे अहम लेखपाल की न्यूनतम शैक्षिक योग्यता को इन्टर किया जाना है। इसके अलावा परीक्षा के 70 अंक और इन्टरव्यू के 30 अंक किये जा रहे हैं। अभी दोनों के परीक्षा और साक्षात्कार के अंको का निर्धारण 80 और 20 है। प्रस्तावित चकबंदी विभाग की प्रस्तावित नियमावली को अंतिम रूप दिया जा चुका है और इस पर अब कैबिनेट की मंजूरी होनी है। उच्चपदस्थ सूत्रों का कहना है कि ऐसे ही राजस्व लेखपालों की नयी भर्ती के लिये जो नियमावली प्रस्तावित की गई है उसमें शैक्षिक न्यूनतम योग्यता को इन्टर करने के साथ ही कई अन्य बदलाव किये जा रहे हैं। जानकार सूत्रों का कहना है कि नियमावली में बदलाव के चलते ही दोनों ही विभागों में लेखपालों की भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं हो पा रही है, जबकि इन पदों को भरे जाने की सारी औपचारिकताओं को पूरा किया जा चुका है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि नियमावली को मंजूरी के बाद अगले माह लेखपाल पदों की भर्ती प्रक्रिया के शुरू होने की उम्मीद है।
चकबंदी लेखपालों की भर्ती में जिलाधिकारियों को अलग-थलग करने की तैयारी परीक्षा और साक्षात्कार के नम्बरों के निर्धारण में भी होगा बदलाव

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नियुक्ति के लिए सड़क पर उतरे आवेदक

 • अमर उजाला ब्यूरो
इलाहाबाद। प्रदेश सरकार के रवैये से नाराज शिक्षक और प्रशिक्षु दोनों उसके विरोध में उतर गए हैं। पुरानी लंबित मांगों को लेकर परिषदीय विद्यालयों ने जहां शिक्षकों ने सोमवार से काली पट्टी बांधकर विरोध दर्ज कराना शुरू किया तो वहीं हाईकोर्ट के निर्णय के बाद भी अपनी तक 72825 पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने के विरोध में सैकड़ों प्रशिक्षुओं ने जोरदार प्रदर्शन किया।
टीईटी पास सैकड़ों आवेदकों ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से शिक्षा निदेशालय तक जुलूस निकाला। हाथों में नियुक्ति की मांग को लेकर तख्तियां और बैनर लेकर प्रशिक्षु यूनियन हाल से हिंदु हॉस्टल पहुंचे लेकिन वहां से सिविल लाइंस जाने पर पुलिस ने उन्हें रोक दिया। इस दौरान आवेदकों और पुलिस में झड़प भी हुई। इसके बाद रास्ता बदलकर प्रशिक्षु शिक्षा निदेशालय पहुंचे। जहां बेसिक शिक्षा परिषद सचिव संजय सिन्हा की अनुपस्थिति में संयुक्त सचिव को ज्ञापन सौंपा। इसके बाद आवेदकों ने वहीं पर सभा की। आवेदक संजीव मिश्रा ने कहा कि हाईकोर्ट के निर्णय के बाद भी सरकार क्यों भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं कर रही है। जबकि एनसीईटीई के मानक पर मार्च 2014 के बाद बीएड डिग्रीधारियों की प्राथमिक विद्यालयों में नियुक्ति नहीं होगी। मंगलवार को आवेदक डीएम को भी ज्ञापन सौंपेंगे। इसके साथ ही लखनऊ में भी बैठक होगी। प्रदर्शन में मोहम्मद अली, उमाशंकर पटेल, सदानंद मिश्रा, शिव कुमार यादव, सुजीत सिंह, राकेश यादव, मोबीन, राजेश पांडेय, सत्यप्रकाश पांडेय समेत सैकड़ों टीईटी पास आवेदक प्रदर्शन में मौजूद रहे।



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