Tuesday, December 3, 2013

14 हजार बीएड छात्रों का प्रवेश अधर में




गोरखपुर (एसएनबी)। कई कोशिशों के बाद भी बीएड प्रवेश परीक्षा 2013 में शामिल अभ्यर्थियों को प्रवेश के लिए लुभाने में नाकामयाब रहे महाविद्यालयों का उच्चतम न्यायालय की शरण में जाने का दांव उल्टा साबित हुआ है। प्रवेश परीक्षा में शामिल न होने वाले छात्रों का प्रवेश तो ये नहीं ही ले सकेंगे, प्रवेश परीक्षा में शामिल जिन अभ्यर्थियों का एडमिशन इन महाविद्यालयों ने स्वयं लिया है, उनके लिए भी संकट पैदा हो गया है। उच्चतम न्यायालय ने पिछले हफ्ते अपने आदेश में यह स्पष्ट किया है कि 16 सितम्बर 2013 के बाद जो भी प्रवेश बीएड में हुए हैं, सारे अवैध माने जाएंगे। यानी करीब 14 हजार विद्यार्थियों का बीएड में हुआ प्रवेश निरस्त हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अधिकांश कालेज प्रभावित होंगे। बीएड प्रवेश परीक्षा 2013 का जिम्मा दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय को मिला था। इस परीक्षा में करीब 3 लाख 78 हजार अभ्यर्थी शामिल हुए। पर, इस वर्ष काउंसलिंग में अभ्यर्थियों का रुझान काफी कम देखा गया। प्रथम काउंसलिंग के बाद काफी अधिक सीटें खाली रह जाने पर शासन के आदेश पर पूल काउंसलिंग करायी गयी।
 


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अब इन्टर पास ही बन सकेंगे लेखपाल


कमल दुबे/एसएनबीलखनऊ। राजस्व विभाग और चकबंदी विभाग में अब इन्टर पास ही बन सकेंगे लेखपाल। अभी तक इन दोनों विभागों में लेखपाल पद पर भर्ती के लिए न्यूनतम योग्यता हाईस्कूल थी जिसे प्रस्तावित लेखपालों की नयी भर्ती में न्यूनतम योग्यता को बढ़ाकर इन्टर किया जा रहा है। नयी भर्ती के मद्देनजर दोनों विभाग मंत्रिपरिषद की मंजूरी को नयी नियमावली लाने जा रहे हैं, जिसमें इनकी योग्यता का पैमाना बदलने के साथ-साथ चयन की प्रक्रिया और परीक्षा व साक्षात्कार में अंकों के निर्धारण की पुरानी व्यवस्था को भी बदला जा रहा है। राजस्व विभाग और चकबंदी विभाग में करीब 8710 लेखपालों की सीधी भर्ती की जानी है, जिसमें करीब 5900 राजस्व लेखपाल और 2810 चकबंदी लेखपाल हैं। इसके लिए राज्य सरकार दोनों विभागों को काफी पहले हरी झण्डी भी दे चुकी है। नयी भर्ती करने से पहले दोनों ही विभागों में नियमावली में संशोधन किया जा रहा है। जानकारों का कहना है कि सपा की पिछली सरकार में चकबंदी विभाग में लेखपालों की भर्ती बंदोबस्त अधिकारी (एसओसी) के स्तर से बनी कमेटी करती थी, लेकिन बसपा शासनकाल में बदलाव करके इसे जिलाधिकारी के अधीन कर दिया गया था। चयन की पुरानी व्यवस्था को लाने के लिए चकबंदी विभाग ने जो नियमावली तैयार की है, उसमें कई अन्य बदलाव भी किये गये हैं। इसमें सबसे अहम लेखपाल की न्यूनतम शैक्षिक योग्यता को इन्टर किया जाना है। इसके अलावा परीक्षा के 70 अंक और इन्टरव्यू के 30 अंक किये जा रहे हैं। अभी दोनों के परीक्षा और साक्षात्कार के अंको का निर्धारण 80 और 20 है। प्रस्तावित चकबंदी विभाग की प्रस्तावित नियमावली को अंतिम रूप दिया जा चुका है और इस पर अब कैबिनेट की मंजूरी होनी है। उच्चपदस्थ सूत्रों का कहना है कि ऐसे ही राजस्व लेखपालों की नयी भर्ती के लिये जो नियमावली प्रस्तावित की गई है उसमें शैक्षिक न्यूनतम योग्यता को इन्टर करने के साथ ही कई अन्य बदलाव किये जा रहे हैं। जानकार सूत्रों का कहना है कि नियमावली में बदलाव के चलते ही दोनों ही विभागों में लेखपालों की भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं हो पा रही है, जबकि इन पदों को भरे जाने की सारी औपचारिकताओं को पूरा किया जा चुका है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि नियमावली को मंजूरी के बाद अगले माह लेखपाल पदों की भर्ती प्रक्रिया के शुरू होने की उम्मीद है।
चकबंदी लेखपालों की भर्ती में जिलाधिकारियों को अलग-थलग करने की तैयारी परीक्षा और साक्षात्कार के नम्बरों के निर्धारण में भी होगा बदलाव

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नियुक्ति के लिए सड़क पर उतरे आवेदक

 • अमर उजाला ब्यूरो
इलाहाबाद। प्रदेश सरकार के रवैये से नाराज शिक्षक और प्रशिक्षु दोनों उसके विरोध में उतर गए हैं। पुरानी लंबित मांगों को लेकर परिषदीय विद्यालयों ने जहां शिक्षकों ने सोमवार से काली पट्टी बांधकर विरोध दर्ज कराना शुरू किया तो वहीं हाईकोर्ट के निर्णय के बाद भी अपनी तक 72825 पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने के विरोध में सैकड़ों प्रशिक्षुओं ने जोरदार प्रदर्शन किया।
टीईटी पास सैकड़ों आवेदकों ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से शिक्षा निदेशालय तक जुलूस निकाला। हाथों में नियुक्ति की मांग को लेकर तख्तियां और बैनर लेकर प्रशिक्षु यूनियन हाल से हिंदु हॉस्टल पहुंचे लेकिन वहां से सिविल लाइंस जाने पर पुलिस ने उन्हें रोक दिया। इस दौरान आवेदकों और पुलिस में झड़प भी हुई। इसके बाद रास्ता बदलकर प्रशिक्षु शिक्षा निदेशालय पहुंचे। जहां बेसिक शिक्षा परिषद सचिव संजय सिन्हा की अनुपस्थिति में संयुक्त सचिव को ज्ञापन सौंपा। इसके बाद आवेदकों ने वहीं पर सभा की। आवेदक संजीव मिश्रा ने कहा कि हाईकोर्ट के निर्णय के बाद भी सरकार क्यों भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं कर रही है। जबकि एनसीईटीई के मानक पर मार्च 2014 के बाद बीएड डिग्रीधारियों की प्राथमिक विद्यालयों में नियुक्ति नहीं होगी। मंगलवार को आवेदक डीएम को भी ज्ञापन सौंपेंगे। इसके साथ ही लखनऊ में भी बैठक होगी। प्रदर्शन में मोहम्मद अली, उमाशंकर पटेल, सदानंद मिश्रा, शिव कुमार यादव, सुजीत सिंह, राकेश यादव, मोबीन, राजेश पांडेय, सत्यप्रकाश पांडेय समेत सैकड़ों टीईटी पास आवेदक प्रदर्शन में मौजूद रहे।



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मांगें पूरी नहीं होने से रोष


उन्नीस को सड़कों पर उतरेंगे शिक्षा मित्र
•अमर उजाला ब्यूरो
संभल। अपनी मांग के समर्थन में शिक्षा मित्र 19 दिसंबर को अस्थायी मुख्यालय बहजोई के सामने प्रदर्शन करेंगे। शिक्षामित्रों का आरोप है कि मुख्यमंत्री के आश्वासन के बावजूद शिक्षा मित्रों को टीईटी से मुक्त करने का शासनादेश जारी नहीं किया गया है।
आदर्श शिक्षा मित्र वेलफेयर एसोसिएशन की शेर खां सराय में इमरान तुर्की के आवास पर आयोजित बैठक में जिलाध्यक्ष श्रीराम सैनी ने कहाकि मुख्यमंत्री ने सूबे के 1.73 लाख शिक्षा मित्रों में 60 लाख बीटीसी प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं। मुख्यमंत्री ने वादा किया था कि बीटीसी प्रशिक्षण के बाद बिना टीईटी के उन्हें सहायक अध्यापक पदों पर समायोजित किया जाएगा लेकिन अभी तक शासनादेश जारी नहीं किया गया है। कहा कि संभल में भी जिलाधिकारी कार्यालय पर धरना देकर प्रदर्शन किया जाएगा। लोक सभा चुनाव में भी सपा का विरोध करेंगे। इसमें महिलाल यादव, वीरपाल यादव, शफीक, अंकित सक्सेना, अनेश राघव, जावेद अहमद, ताहिर हुसैन, नासिर, फरजाना, रुबिना, आफताब आदि रहे। संचालन सलमान तुर्की ने किया।

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बेसिक शिक्षकों की स्थानान्तरण / समायोजन नीति, 2012

बेसिक शिक्षकों की स्थानान्तरण / समायोजन नीति, 2012








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शिक्षा मित्र जहां पढ़ा रहे वहीं बनेंगे शिक्षक : नियमावली में संशोधन का प्रस्ताव तैयार

  •  टीईटी के विकल्प पर भी हो रहा विचार

लखनऊ। बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में पढ़ा रहे शिक्षा मित्रों को उसी स्कूल में शिक्षक बनाने की तैयारी है। उत्तर प्रदेश अध्यापक सेवा नियमावली में इसका प्रावधान किया जा रहा है। रही बात टीईटी की अनिवार्यता की तो इसके विकल्पों पर भी विचार किया जा रहा है, तकि शिक्षा मित्रों के शिक्षक बनने की राह आसान हो सके।
बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में 1.70 लाख शिक्षा मित्र हैं। राज्य सरकार इनको दो वर्षीय पत्राचार बीटीसी का प्रशिक्षण देकर शिक्षक बनाना चाहती है। पहले चरण के शिक्षा मित्रों का प्रशिक्षण पूरा होने के बाद चौथे सेमेस्टर की परीक्षाएं भी हो चुकी हैं। सरकार के सामने इन शिक्षा मित्रों को शिक्षक बनाने की सबसे बड़ी चुनौती है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद कक्षा 8 तक स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए टीईटी पास होना अनिवार्य कर दिया गया है। बेसिक शिक्षा निदेशालय ने इसके आधार पर ही नियमावली संशोधन का प्रस्ताव तैयार किया है।
शिक्षा मित्र टीईटी देने को तैयार नहीं है। इसलिए बेसिक शिक्षा विभाग बीच का रास्ता निकालना चाहता है। इसमें भाषा टीईटी कराई जा सकती है या राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) से अनुमति लेकर इन्हें टीईटी में छूट दी जा सकती है। रही बात हाईकोर्ट के आदेश की तो एनसीटीई से अनुमति के बाद राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ विशेष अनुज्ञा याचिका दाखिल करने पर विचार करेगी। पर बेसिक शिक्षा विभाग ने यह तय कर लिया है कि शिक्षा मित्रों को उसी स्कूल में शिक्षक बनाया जाएगा जहां वे मौजूदा समय पढ़ा रहे हैं। ऐसा इसलिए किया जाएगा ताकि शिक्षक बनने के बाद ये दूसरे जिलों में स्थानांतरण का दबाव न बनाएं।


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Monday, December 2, 2013

शिक्षक भर्ती पर टीईटी पास अभ्यर्थियों में दो फाड़



शैक्षिक मेरिट पर भर्ती के लिए जाएंगे सुप्रीम कोर्ट
लखनऊ (ब्यूरो) प्राइमरी स्कूलों में 72,825 शिक्षकों की भर्ती को लेकर टीईटी पास बीएड अभ्यर्थियों में दो फाड़ हो गया है। एक गुट टीईटी मेरिट पर भर्ती चाहता है तो दूसरा शैक्षिक मेरिट पर। शैक्षिक मेरिट से भर्ती की मांग को लेकर एक गुट की बैठक रविवार को लक्ष्मण मेला मैदान में हुई। तय किया गया कि इस मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खट-खटाया जाएगा।
72,825 शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया नवंबर 2011 में शुरू की गई थी, लेकिन कभी टीईटी तो कभी शैक्षिक मेरिट के आधार पर भर्ती संबंधी आदेशों के चलते भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई। हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि भर्ती टीईटी मेरिट पर की जाए। वहीं, शैक्षिक मेरिट समर्थक संघ के अध्यक्ष प्रवीण प्रभात ने कहा है कि टीईटी मेरिट पर भर्ती हुई तो इसमें कई बधाएं आएंगी।
 


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टीईटी पास अभ्यार्थियों के साथ अन्याय : भाजपा



लखनऊ। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. मनोज मिश्र ने आरोप लगाया है कि टीईटी उत्तीर्ण हजारों अभ्यार्थियों के साथ सपा सरकार घोर अन्याय कर रही है। हाईकोर्ट के निर्देश के बावजूद चयन प्रक्रिया में विलंब किया जा रहा है। इन अभ्यर्थियों के लिए 31 मार्च 2014 तक का समय बहुत महत्वपूर्ण है। नियम के अनुसार इसके बाद बीएड डिग्री धारक टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थी प्राइमरी शिक्षा में नियुक्ति के हकदार नहीं होंग।
 


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