Tuesday, November 26, 2013

इंतजार के बाद इंसाफ

पांच वर्ष से अधिक समय तक पूरे देश के लिए रहस्यमय सवाल बने आरुषि-हेमराज हत्या मामले में आखिरकार सीबीआइ अदालत ने अपना फैसला सुना दिया और इस दोहरे हत्याकांड के लिए आरुषि के ही माता-पिता को दोषी ठहराया। डेंटिस्ट राजेश तलवार और उनकी पत्नी नूपुर को हत्या के साथ-साथ सुबूत मिटाने का भी दोषी पाया गया है। यह मामला कई कारणों से बेहद चर्चित और नाटकीय रहा। 15 मई, 2008 की रात नोएडा में तलवार परिवार के फ्लैट में ही आरुषि की हत्या के बाद पहले दिन से इस मामले में अदालत का फैसला आने तक न जाने कितने उतार-चढ़ाव आए। अब सीबीआइ अदालत कल यानी मंगलवार को तलवार दंपती को सजा सुनाएगी। हत्या के मामले में आजीवन कारावास से लेकर मौत की सजा तक दी जा सकती है, लेकिन ऐसा लगता नहीं कि अदालत इस मामले को दुर्लभ में दुर्लभतम की श्रेणी में रखेगी। निश्चित ही आरुषि-हेमराज की मर्डर मिस्ट्री को आगे भी ध्यान से देखा जाएगा। लोग इस मामले का सच जानना चाहते थे और एक समय ऐसा लगने लगा था कि इसकी सच्चाई कभी सामने नहीं आ सकेगी। यह स्वाभाविक ही है कि इस मामले की गुत्थी सुलझाने में काफी समय लगा, लेकिन इसके लिए केवल सीबीआइ को दोष नहीं दिया जा सकता। 1इस मामले का एक विचित्र पहलू यह है कि यह तलवार दंपती ही थे जिन्होंने उत्तर प्रदेश पुलिस की जांच-पड़ताल पर भरोसा न होने कारण इस हत्याकांड की सीबीआइ से जांच कराने के पक्ष में आवाज बुलंद की थी। ऐसा ही हुआ और यह मामला सीबीआइ के पास आ गया। सीबीआइ ने अपनी जांच-पड़ताल कई दिशा में की। यह बात सत्य है कि सीबीआइ भी अंतत: उसी नतीजे पर पहुंची जो उत्तर प्रदेश पुलिस की थी, लेकिन इस आधार पर यह नहीं कहा जा सकता कि यूपी पुलिस ने अपना काम एकदम सही तरह से किया था। उसने कई स्तर पर लापरवाही का परिचय दिया और यह भी एक कारण है कि सीबीआइ को अपनी जांच-पड़ताल पूरी करने में इतना लंबा समय लग गया। यूपी पुलिस के कामकाज की एक बानगी यह है कि उसने आरुषि की हत्या की जांच करते हुए घर की ठीक तरह से तलाशी भी नहीं ली और इसके चलते हेमराज की भी हत्या होने और उसकी लाश छत पर पड़ी होने का तथ्य काफी बाद में सामने आ सका। 1यह लगभग तय है कि सीबीआइ अदालत के फैसले से असंतुष्ट तलवार दंपती ऊंची अदालत में अपील करेंगे और संभव है कि उच्च न्यायालय अथवा उच्चतम न्यायालय में यह फैसला पलट जाए, जैसा कि अन्य अनेक मामलों में हो चुका है, लेकिन फिलहाल तो इस सवाल का जवाब सामने आ ही चुका है कि आरुषि और हेमराज की हत्या किसने की? आरुषि-हेमराज हत्या मामला एक नजीर की तरह है और इसमें जांच एजेंसियों के साथ- साथ समूचे न्यायिक तंत्र और नीति-नियंताओं के लिए भी सबक छिपे हैं। अपने देश में जांच एजेंसियों के कामकाज पर सवाल उठते ही रहे हैं। सीबीआइ तो खास तौर पर ऐसे सवालों का निशाना बनती रही है। इसी मामले में ही जब सीबीआइ अपने लॉ डिपार्टमेंट के सुझाव पर फाइनल रपट लगाने के फैसले पर पहुंची थी तब भी उसके कामकाज पर उंगली उठाई गई थी और अब जब अदालत ने उसकी जांच-पड़ताल को सही माना है तब भी एक वर्ग उसके कामकाज पर सवाल खड़े कर रहा है। सीबीआइ को ज्यादातर जटिल-हाई प्रोफाइल मामले ही तफ्तीश के लिए मिलते हैं, लेकिन हर कोई उससे फटाफट सच तक पहुंचने की अपेक्षा करता है। किसी को सीबीआइ के ढांचे पर भी निगाह डालनी चाहिए। उसके सामने काम की जैसी चुनौती है उसके अनुरूप संसाधन कहां हैं? 1जांच की दृष्टि से तो उत्तर प्रदेश पुलिस ने इस मामले को समाप्त ही कर दिया था। उसने तमाम महत्वपूर्ण सुबूतों को या तो एकत्र नहीं किया या उन्हें नष्ट हो जाने दिया। क्राइम सीन से फिंगर प्रिंट तक सही तरीके से नहीं लिए गए और आरुषि के कमरे की पूरी तरह तलाशी तक नहीं ली गई। यूपी पुलिस की जांच-पड़ताल के बाद तो यह केस एक तरह से मर गया था। सीबीआइ के पास जब यह मामला आया तो जांच और सच तक पहुंचने की चुनौती बहुत गंभीर हो चुकी थी। अदालत का फैसला आ जाने के बाद यह कहा जा सकता है कि सीबीआइ को जो काम सौंपा गया था उसे उसने सफलतापूर्वक पूरा कर दिया। जो लोग केस बंद करने के सीबीआइ के आग्रह पर सवाल उठा रहे थे उन्हें यह समझना चाहिए कि सीबीआइ ने यह फैसला अपने लॉ डिपार्टमेंट की सिफारिश पर लिया था। जब अदालत ने सीबीआइ की फाइनल रपट को ठुकरा दिया तो इस एजेंसी को मामले की नए सिरे से जांच करनी ही थी। सीबीआइ अदालत का फैसला पूर्वाग्रह से प्रेरित होने के आरोप को एक दोषी की स्वाभाविक शिकायत के रूप में ही लिया जाना चाहिए। अदालत जिस किसी को दोषी ठहरा देती है वह इसी तरह की बातें करता है। कभी वह कहता है कि उसे झूठा फंसाया गया है तो कभी उसे मामले में राजनीतिक साजिश नजर आती है। आज तलवार दंपती भी ऐसी ही शिकायत करते नजर आ रहे हैं, जबकि मामला साफ है कि अदालत ने सीबीआइ की जांच-पड़ताल को सही माना। 1देश में न्यायिक तंत्र की बदहाली किसी से छिपी नहीं है। हर कोई इसकी खामियों से परिचित हैं, यहां तक कि सरकार भी, लेकिन इन खामियों को दूर करने की दिशा में कुछ ठोस हो नहीं पा रहा है। दुनिया में न्यायिक तंत्र का एक पैमाना यह है कि हर दस लाख लोगों में 50 जज होने चाहिए, लेकिन अपने देश में हालत यह है कि जजों के केवल 18000 पद हैं और उनमें भी एक चौथाई के लगभग खाली पड़े हैं। उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय के मामले में भी स्थिति कोई बहुत अच्छी नहीं है। न्यायाधीशों के कुल 895 पदों के सापेक्ष करीब 280 पद रिक्त पड़े हुए हैं। इस स्थिति में आप त्वरित न्याय की आशा कैसे कर सकते हैं। न्यायिक तंत्र की खामियों के मामले में तो स्थिति यह है कि मरीज भी सरकार है और डॉक्टर भी वही। स्थिति कितनी खराब है, इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक मामला लगभग डेढ़ सौ सालों से लंबित है। यह एक बानगी है कि हमने न्याय के प्रति कैसी उदासीनता अपना ली है। यह सही है कि जांच और अदालती निर्णयों की अपनी एक प्रक्रिया होती है, लेकिन यह भी एक सच है इस तरह के चर्चित मामलों में देश की जनता की अपेक्षा यही होती है कि न्याय शीघ्र से शीघ्र मिले। हमारे नीति-नियंताओं को न्यायिक तंत्र की खामियों को दूर करने के लिए बिना किसी देरी के ठोस कदम उठाने होंगे। इस मामले में केवल एक-दूसरे के ऊपर जिम्मेदारी डालकर अपने कर्तव्य की इतिश्री करते रहना सही नहीं है। 1(लेखक सीबीआइ के पूर्व निदेशक हैं)11ी2स्रल्ल2ीAं¬1ंल्ल.ङ्घे1

सबसे बड़ी गुत्थी16यह स्वाभाविक ही है कि इस मामले की गुत्थी सुलझाने में काफी समय लगा, लेकिन इसके लिए केवल सीबीआइ को दोष नहीं दिया जा सकता1 16



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जनवरी तक होगी पहले बैच के प्रशिक्षित शिक्षामित्रों की नियुक्ति


•नियुक्ति के लिए डायट पहुंचा शासनादेश
•टीईटी पास या सभी शिक्षामित्र बनेंगे शिक्षक,रहस्य बरकरार
• अमर उजाला ब्यूरो
हापुड़। जिले के खंड शिक्षा कार्यालर्यों पर प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे प्रथम बैच के शिक्षामित्रों के लिए अच्छी खबर है। इन शिक्षामित्रों को जनवरी 2014 तक नियुक्ति देने के लिए डायट में शासनादेश पहुंच गया है। हालांकि अभी तक यह रहस्य नहीं खुला है कि टीईटी पास या सभी शिक्षामित्र शिक्षक बनेंगे। बता दें कि जिले के प्रथम बैच में 280 शिक्षामित्र प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।
प्रमुख सचिव सुनील कुमार द्वारा भेजे गये शासनादेश का हवाला देते हुए डायट प्राचार्य डा.निशा अस्थाना ने बताया कि जिले के खंड शिक्षा कार्यालर्यों में प्रथम बेच के जिन शिक्षामित्रों का दूरस्थ शिक्षा विधि से दो वर्षीय प्रशिक्षण चल रहा है। उन्हें जनवरी 2014 तक परिषदीय सरकारी स्कूलों में नियुक्ति दी जायेगी। हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि टीईटी उत्तीर्ण शिक्षामित्रों को शिक्षक बनाया जायेगा या फिर सभी शिक्षामित्र शिक्षक बनेंगे।
हालांकि शिक्षामित्र उम्मीद लगाये बैठे हैं कि प्रदेश सरकार उन्हें टीईटी मुक्त रखेगी। किंतु शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत बिना टीईटी उत्तीर्ण कोई भी प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक नहीं बन सकता।
आदर्श शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष संजय कुमार शर्मा ने बताया कि जनवरी 2014 तक शिक्षामित्रों की तैनाती हो जायेगी तो उन्हें परेशानी का सामना नहीं करना पडे़गा। किंतु प्रदेश सरकार जल्द यह तय भी कर दे कि टीईटी पास या सभी शिक्षामित्र शिक्षक बनेंगे तो बेहतर होगा। वैसे भी कई शिक्षामित्रों ने टीईटी उत्तीर्ण कर ली है। प्रथम बैच में जिला हापुड़ के ब्लॉक धौलाना, हापुड़, सिंभावली और गढमुक्तेश्वर के 70-70 शिक्षामित्रों का प्रशिक्षण पूरा हो चुका है।


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सचिन को भारत रत्न पीआईएल- आदेश सुरक्षित

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने हमारे द्वारा सचिन तेन्दुलकर को भारत रत्न दिए जाने के फैसले के खिलाफ दायर पीआईएल पर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया| याचिका सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर द्वारा दायर की गयी थी|
Nutan Thakur copyनूतन ठाकुर के वकील अशोक पाण्डेय ने कहा कि क्रिकेट का खेल खेल कम और तमाशा ज्यादा है, जो देश की प्रगति में सीधे बाधक है और इस प्रकार देश विरोधी है| उन्होंने कहा कि जहां पद्म पुरस्कारों के लिए निश्चित दिशानिर्देश दिए गए हैं, वहीँ भारत रत्न के लिए कोई दिशा निर्देश नहीं हैं जो सुप्रीम कोर्ट द्वारा बालाजी राघवन तथा एस पी आनंद बनाम भारत सरकार के आदेश के उल्लंघन में है क्योंकि यह पुरस्कार अकेले प्रधानमंत्री की संस्तुति पर दे दी जाती है, जिसमे ना तो पारदर्शिता है और ना ही सार्वभौमिकता|
केंद्र सरकार की तरफ से के सी कौशिक, अतिरिक्त सोलिसिटर जनरल ने अब तक के भारत रत्न पुरस्कारों से सम्मानित व्यक्तियों की सूची प्रस्तुत की. जस्टिस इम्तियाज़ मुर्तजा और जस्टिस डी के उपाध्याय की बेंच ने दोनों पक्षों की बात सुन कर अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया|
  
याचिकाकर्ता श्रीमती ठाकुर दम्पति ने भारत रत्न देने की प्रक्रिया को भी चुनौती दी है जिसमे उन्होंने ये पुरस्कार एक वृहद् कमिटी द्वारा दिए जाने और इस कमिटी द्वारा अब तक देश के समस्त वास्तविक रूप से महान भारतीय जैसे अशोक, अकबर, कालिदास, कबीर, कंबन आदि को दिए जाने की मांग की है ताकि ये पुरस्कार अपने नाम को वास्तविक रूप से साकार कर सकें|


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रसोइयों को अब ऑनलाइन मानदेय

 लखनऊ। बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में मिड-डे-मील योजना के तहत बच्चों का खाना बनाने वाली रसोइयों को समय से मानदेय देने की व्यवस्था की जाएगी। पहले चरण में इनका ऑनलाइन ब्योरा तैयार किया जाएगा और इसके बाद उनके खाते में मानदेय दिया जाएगा। इस संबंध में बेसिक शिक्षा अधिकारियों से विचार-विमर्श किया जा रहा है। इस संबंध में शीघ्र ही आदेश जारी कर दिया जाएगा।
  • शिक्षा मित्रों को मिला ऑनलाइन मानदेय
         शिक्षा मित्रों को सितंबर और अक्तूबर का मानदेय ऑनलाइन देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

                                                     
  • इन्हें मिलेगा अब ऑनलाइन मानदेय
लखनऊ । बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में मिड-डे-मील योजना के तहत बच्चों का खाना बनाने वाली रसोइयों को समय से मानदेय देने की व्यवस्था की जाएगी।

पहले चरण में इनका ऑनलाइन ब्यौरा तैयार किया जाएगा और इसके बाद उनके खाते में मानदेय दिया जाएगा।

इस संबंध में बेसिक शिक्षा अधिकारियों से विचार-विमर्श किया जा रहा है। जल्द ही आदेश जारी करने की तैयारी है।

रसोइयों को एक हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय दिया जा रहा है। इसके बाद भी अक्सर रसोइयों को समय से मानदेय नहीं मिल पाता है।

सरकार चाहती है कि रसोइयों का मानदेय ऑनलाइन कर दिया जाए।

सचिव बेसिक शिक्षा नीतीश्वर कुमार कहते हैं कि व्यवस्था लागू होने के बाद गड़बड़ी की संभावना समाप्त हो जाएगी और समय से मानदेय मिलने लगेगा।



खबर साभार : अमर उजाला
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Monday, November 25, 2013

NCTE TET EXAM टी ई टी पात्रता वर्सस अहर्ता (TET onliy Qualifying OR Selection cum Qualifying Exam)

टी ई टी पात्रता वर्सस अहर्ता
NCTE TET EXAM टी ई टी पात्रता वर्सस अहर्ता (TET onliy Qualifying OR Selection cum Qualifying Exam)

मुझे आश्चर्य इस बात का है कि प्रिंट  मीडिया पिछले 2 सालों से एक ही बात कहता आ रहा कि - टी ई टी परीक्षा एक पात्रता परीक्षा है और किसी पात्रता परीक्षा को चयन का आधार कैसे बनाया जा सकता है , कुछ एक्सपर्ट भी ऐसी ही बात बता रहे थे ।

हालाँकि सरकार कि धांधली आदि के आधार पर जो भी मजबूरी रही हो कि टी ई टी परीक्षा को चयन का आधार न बनाते हुए पात्रता परीक्षा में बदल दिया जाये
लेकिन मीडिया कि क्या मजबूरी थी'कि एन सी टी ई गाइड लाइन को गलत रूप से प्रचारित करे ।

मीडिया ने कभी जानने कि कोशिश करी कि अगर टी ई टी परीक्षा पात्रता परीक्षा है तो'आखिर क्यूँ एन सी टी ई गाइड लाइन ने -
१. टी ई टी अंको को चयन में महत्व (वेटेज ) देने को लिखा
२. अभ्यर्थीयों के अंक सुधार हेतु टी ई टी परीक्षा में पुन : शामिल होने कि बात लिखी

देश के अन्य राज्यों में भी टी ई टी के अंको को इसी एन सी टी ई गाइड लाइन के अनुरूप वेटेज दिया जा रहा है

देश के मीडिया को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए सही जानकारियां सामने लाना चाहिए
इतनी बड़ी भर्ती को इलेकट्रोनिक मीडिया ने भी बहुत कम कवरेज दिया है ।

सरकार के अपने दायित्व हैं और मीडिया के अपने , सरकार ने अपने अनुसार धांधली कि अनियमितताओं (अगर कुछ हैं तो ) के आधार पर  टी ई टी परीक्षा को पात्रता परीक्षा में बदल दिया , लेकिन मीडिया में एन सी टी ई नियमावली कि परिभाषा ही गलत आने लगी, यह नहीं होना चाहिए । 


See Also :
http://naukri-recruitment-result.blogspot.in/2012/04/uptet-small-article.html
 http://naukri-recruitment-result.blogspot.in/2012/03/uptet-blog-editorial-2.html
http://naukri-recruitment-result.blogspot.in/2012/01/uptet-blog-editorial-selection-of.html

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Download KVS (TGT, PGT, PRT) Exam Admit Card 2013

Kendriya Vidyalaya Sangathan (KVS) 
18 - Institutional Area, Shahid Jeet Singh Marg, New Delhi – 110016
Download KVS (TGT, PGT, PRT) Exam Admit Card :
EXAM SHEDULE IS SHOWING ON KVS SITE.

THIS IS THE LINK TO DOWNLOAD THE ADMIT CARD..
https://www.jobapply.in/KVS2013AdmitFinal/KVS2013AdmitCard.asp

Prospective Exam Date is : 15th Deember 2013



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High Court of Delhi Stenographer Jobs 2013

High Court of Delhi, New Delhi invites applications from the Indian Nationals for engagement as Stenographers, initially 10 in numbers, in the Delhi High Court purely on contract basis. The selected candidates will have no right to claim regular / continuing service as 'Stenographer' in this Court. The last date for receipt of application is 20th December 2013.
Post Name
No of Posts
Age Limit
Pay Scale
Stenographers
10
32 years as on 30/12/2013
Rs.25000/-per month
Educational Qualifications: Graduate with speed of not less than 100 w.p.m. in shorthand (English) and typing speed (English) of 40 w.p.m. on computer with proficiency in computer. (Only candidates with above proficiency in Shorthand and typing need to apply).
How To Apply: Willing candidates may submit their applications giving necessary particulars i.e (1) Name of the candidate, (2) Father's Name, (3) Postal Address for correspondence with telephone number & e-mail address (4) Permanent address, (5) Date of Birth (as recorded in the matriculation certificate), (6) Age as on 1.1.2013, (7) Educational and Technical Qualification, (8) Relevant Experience (to attach experience certificate) (9) Place where presently working and nature of work, along with two recent passport size photographs duly attested by a Gazetted Officer, accompanied by attested copies of certificate in regard to date of birth, qualifications and experience to "The Joint Registrar(Estt.-I), 2nd Floor, Administrative Block, Delhi High Court Compound, New Delhi." on or before 20/12/2013.
Detailed Notification Here>>


 
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आसान नहीं होगी टीईटी मेरिट पर शिक्षक भर्ती.......





मिले अंकों का मिलान करना होगी बड़ी चुनौती, परीक्षा की पारदर्शिता भी संदेह के घेरे में
शैलेंद्र श्रीवास्तव
लखनऊ। परिषदीय स्कूलों में टीईटी मेरिट के आधार पर शिक्षक बनने की राह युवाओं को जितनी आसान लग रही है, उतनी दिख नहीं रही। इसमें विभागीय अधिकारियों के सामने कई चुनौतियां होंगी। सबसे बड़ी चुनौती टीईटी में मिले अंकों का मिलान करना होगा। वजह, माध्यमिक शिक्षा परिषद ने वर्ष 2011 में आयोजित टीईटी का रिजल्ट जारी होने के बाद 5,49,724 अभ्यर्थियों के अंकों में फेरबदल किया था। ऐसे में यह पता लगाने में जरूर कठिनाई आएगी कि कितनों के अंक सही बढ़ाए गए थे कितनों के गलत, क्योंकि अंक बढ़ाने के घोटाले के आरोप में तत्कालीन माध्यमिक शिक्षा निदेशक को गिरफ्तार किया गया था।
उत्तर प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक बनने की योग्यता स्नातक बीटीसी है, पर शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने परिषदीय स्कूलों में बीएड वालों को टीईटी पास करने पर ही शिक्षक रखने की अनुमति राज्यों को दी थी। उत्तर प्रदेश में नवंबर 2011 में टीईटी आयोजित करते हुए रिजल्ट जारी किया गया। हाईकोर्ट के आदेश पर अंक संशोधन के लिए अभ्यर्थियों से आवेदन लिए गए और 5,49,742 के अंकों में बदलाव हुए। कुछ के अंक बढ़ाए गए तो कुछ के कम हो गए।
अंक बढ़ाने के नाम पर हुई धांधली के आरोप में तत्कालीन माध्यमिक शिक्षा निदेशक को गिरफ्तार कर लिया गया था। टीईटी में धांधली और विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने के चलते उस समय शिक्षक भर्ती प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई। सत्ता बदलने के साथ ही शिक्षक भर्ती का मानक टीईटी मेरिट के स्थान पर शैक्षिक मेरिट कर दिया गया और इसके आधार पर आवेदन लिए गए। हाईकोर्ट ने अब पुन: टीईटी मेरिट पर शिक्षक भर्ती का आदेश दिया है।
विभागीय जानकारों की मानें तो टीईटी मेरिट पर शिक्षक भर्ती में कई पेंच हैं। टीईटी में धांधली के दौरान कुल कितने अभ्यर्थियों के अंक बढ़ाए गए, अभी तक इसकी जांच नहीं हुई है। इसके अलावा परीक्षा की पारदर्शिता भी संदेह के घेरे में है। वर्ष 2011 की टीईटी में जहां बंपर युवा पास हुए, वहीं टीईटी 2013 में रिजल्ट का प्रतिशत काफी कम रहा। यह भी संदेह पैदा करता है। टीईटी मेरिट के आधार पर यदि शिक्षकों की भर्ती हुई तो इसके प्रमाण पत्रों के मिलान में भी दिक्कत सकती है। वजह, धांधली के दौरान कुछ दस्तावेज इधर-उधर होना स्वाभाविक है।
संशोधन के दौरान 5,49,724 अभ्यर्थियों के अंकों में किया गया था बदलाव
एनसीटीई की अधिसूचना
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने 23 अगस्त 2010 को अधिसूचना जारी करते हुए कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद कक्षा 8 तक के स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य होगी। इसमें कहा गया है कि टीईटी पात्रता परीक्षा है कि अर्हता परीक्षा।
 


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