Monday, November 25, 2013

छह नहीं, अब मिलेंगे 25 हजार रुपये महीने वेतन



नियमित भी होंगे कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों के शिक्षक

राजकेश्वर सिंह, नई दिल्ली

आम चुनाव की ओर बढ़ रही सरकार दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यक समुदाय की लड़कियों की पढ़ाई को और दुरुस्त करेगी। कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों (केजीबीवी) के चलाने के नियम-कायदों में कई सालों बाद बड़ा बदलाव उसकी इसी रणनीति का हिस्सा है। इन विद्यालयों में जहां अब तक अस्थायी शिक्षकों को महज पांच-छह हजार रुपये महीने की तनख्वाह पर रखा जाता था। अब वहां सिर्फ नियमित शिक्षक होंगे, बल्कि उनका वेतन भी 25 हजार रुपये होगा।

सूत्रों के मुताबिक, अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदाय की लड़कियों को छठी, सातवीं और आठवीं कक्षा की पढ़ाई के जिस मकसद से ये आवासीय (रेजीडेंशियल) स्कूल खोले गए हैं, उसे ज्यादा प्रभावी बनाने के लिए योजना में कुछ बदलाव बहुत जरूरी हो गए थे। पढ़ाई की गुणवत्ता को सुधारने के लिए योग्य प्रशिक्षित शिक्षकों का होना जरूरी है। शिक्षा का अधिकार कानून के प्रावधानों की रोशनी में भी प्रशिक्षित शिक्षकों का होना जरूरी है। लिहाजा, इन विद्यालयों में अब स्थायी शिक्षक रखे जाएंगे और उनका वेतन 25 हजार रुपये महीने होगा। स्कूलों के खर्च में केंद्र राज्यों के बीच बंटवारे के क्रम में केंद्र अभी एक शिक्षक के मद में प्रतिमाह पांच से छह हजार रुपये महीने तक का भुगतान करता है। हालांकि, मानव संसाधन विकास मंत्रलय के उच्चपदस्थ सूत्रों का तर्क यह भी है इन विद्यालयों के शिक्षकों हॉस्टल आदि के रखरखाव भोजन आदि के खर्च में 2002 के बाद से कोई बदलाव ही नहीं हुआ है। मसलन, हॉस्टल में रहने वाली एक बालिका के खाने पर अब भी रोजाना 30 रुपये ही मिलते हैं, जबकि, महंगाई बहुत ज्यादा बढ़ गई है। सरकार अब इसे भी बढ़ाकर 50 रुपये रोजाना करने जा रही है। गौरतलब है कि इस समय देश में कुल 3600 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय चल रहे हैं। इन विद्यालयों में पढ़ने वाली 75 प्रतिशत लड़कियां अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े अल्पसंख्यक समुदाय की हैं। जबकि, 25 प्रतिशत लड़कियां गरीबी रेखा के नीचे वाले जीवन यापन करने वाले परिवारों से होती हैं। इन विद्यालयों की स्थापना के पीछे एक मकसद यह भी था कि गरीब वंचित तबकों की पांचवीं कक्षा तक पढ़ाई कर चुकी लड़कियों को कम से कम आठवीं तक की पढ़ाई के लिए दूरदराज के स्कूलों तक भटकना पड़े।
 


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सबसे बड़ी अदालत पहुंची एआरओ परीक्षा की लड़ाई




Updated on: Sun, 24 Nov 2013 07:32 PM (IST)

जागरण ब्यूरो, इलाहाबाद : विवादों में रही इलाहाबाद हाईकोर्ट की सहायक समीक्षा अधिकारी परीक्षा-2009 के असफल अभ्यर्थियों ने अपनी लड़ाई अभी जारी रखी है। अब खंडपीठ के फैसले को विशेष अनुमति याचिका के जरिए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए उच्च न्यायालय के साथ सफल उम्मीदवारों को नोटिस जारी की है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट की सहायक समीक्षा अधिकारी परीक्षा-2009 शुरू से ही विवादों में रही है। इस परीक्षा में 308 उम्मीदवार चयनित घोषित हुए थे। परिणाम घोषित होने के तत्काल बाद ही असफल अभ्यर्थियों ने परिणाम को लेकर याचिका दाखिल की थी। उनका आरोप था कि चयन सूची में आरक्षण नियमों का पूरी तरह पालन नहीं किया गया। परीक्षा शुरू हो जाने के बाद बीच में ही नियमों में बदलाव किया गया। याची प्रसून तोमर अन्य अभ्यर्थियों का कहना था कि इसकी वजह से उनके परिणाम प्रभावित हुए और वे चयनितों की सूची से बाहर हो गए। एकल न्यायाधीश ने इस याचिका पर पुरानी सूची निरस्त कर नए सिरे से सूची बनाने का निर्देश दिया था। इसके बाद हाईकोर्ट ने खंडपीठ में अपील की। खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश के फैसले को निरस्त कर परीक्षा परिणाम को सही ठहराया था। इस फैसले के खिलाफ याची प्रसून तोमर अन्य ने विशेष अनुमति याचिका दायर की है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और न्यायमूर्ति सी नागप्पन ने याचिका स्वीकार कर ली है। याचियों की ओर से अधिवक्ता जितेंद्र कुमार ने बहस की।
 


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लोअर सबार्डिनेट का रिजल्ट जल्द, आयोग ने दिया आश्वासन




लखनऊ (उप ब्यूरो) लोअर सबार्डिनेट 2008 और 2009 का रिजल्ट जल्द ही घोषित कर दिया जाएगा। इस आशय का आश्वासन उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दिया है। आयोग ने कहा है कि 2008 की परीक्षा का परिणाम तैयार है। उच्च न्यायालय में लंबित वाद में आदेश होते ही परिणाम घोषित कर दिया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि लोअर सबार्डिनेट 2008-09 में 2500 पद हैं। इसका रिजल्ट काफी समय से रुका हुआ है। इसको लेकर प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के सचिव सुधीर सिंह अन्य चार सदस्यों ने याचिका भी दायर की थी जिसे अदालत ने यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया था कि जब विज्ञप्ति ही चैलेंज हैं तो इस याचिका का क्या अर्थ है। बाद में समिति के अधिवक्ता संतोष कुमार श्रीवास्तव ने स्पेशल अपील की थी जिस पर अदालत ने अतिशीघ्र रिजल्ट देने का निर्देश दिया था। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति की एक बैठक में इस बात पर संतोष जताया गया कि लंबित रिजल्ट जल्द ही घोषित किया जा सकता है। बैठक में यह भी फैसला किया गया कि समिति सिपाही भर्ती में चल रही सुनवाई में भी पक्षकार बनेगी। इसमें आरक्षण के मसले पर समिति की ओर से पक्ष रखा जाएगा।
 


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