Saturday, November 16, 2013

एक सज्जन बनारस पहुँचे।




स्टेशन पर उतरे ही थे कि एक लड़का दौड़ता आया,
‘‘मामाजी! मामाजी!’’ — लड़के ने लपक कर चरण छूए।
वे पहचाने नहीं।
बोले — ‘‘तुम कौन?’’
‘‘मैं मुन्ना। आप पहचाने नहीं मुझे?’’
‘‘मुन्ना?’’ वे सोचने लगे।
‘‘हाँ, मुन्ना। भूल गये आप मामाजी!
खैर, कोई बात नहीं, इतने साल भी तो हो गये।
मैं आजकल यहीं हूँ।’’
‘‘अच्छा।’’
‘‘हां।’’
मामाजी अपने भानजे के साथ बनारस घूमने लगे।
चलो, कोई साथ तो मिला। कभी इस मंदिर, कभी उस मंदिर।
फिर पहुँचे गंगाघाट। बोले कि "सोच रहा हूँ, नहा लूँ!"
‘‘जरूर नहाइए मामाजी!
बनारस आये हैं और नहाएंगे नहीं, यह कैसे हो सकता है?’’
मामाजी ने गंगा में डुबकी लगाई।
हर-हर गंगे!
बाहर निकले तो सामान गायब, कपड़े गायब!
लड़का... मुन्ना भी गायब!
‘‘मुन्ना... ए मुन्ना!’’
मगर मुन्ना वहां हो तो मिले।
वे तौलिया लपेट कर खड़े हैं।
‘‘क्यों भाई साहब, आपने मुन्ना को देखा है?’’
‘‘कौन मुन्ना?’’
‘‘वही जिसके हम मामा हैं।’’
लोग बोले, ‘‘मैं समझा नहीं।’’
‘‘अरे, हम जिसके मामा हैं वो मुन्ना।’’
वे तौलिया लपेटे यहां से वहां दौड़ते रहे।
मुन्ना नहीं मिला।
ठीक उसी प्रकार...
भारतीय नागरिक और भारतीय वोटर के नाते हमारी यही स्थिति है!
चुनाव के मौसम में कोई आता है और हमारे चरणों में गिर जाता है।
"मुझे नहीं पहचाना!
मैं चुनाव का उम्मीदवार। होने वाला एम.पी.।
मुझे नहीं पहचाना...?"
आप प्रजातंत्र की गंगा में डुबकी लगाते हैं।
बाहर निकलने पर आप देखते हैं कि वह शख्स जो कल आपके चरण छूता था,
आपका वोट लेकर गायब हो गया।
वोटों की पूरी पेटी लेकर भाग गया।
समस्याओं के घाट पर हम तौलिया लपेटे खड़े हैं।
सबसे पूछ रहे हैं — "क्यों साहब, वह कहीं आपको नज़र आया?
अरे वही, जिसके हम वोटर हैं।
वही, जिसके हम मामा हैं।"
पांच साल इसी तरह तौलिया लपेटे, घाट पर खड़े बीत जाते हैं।

अपने वोट की कीमत जानें, आगामी चुनावों में ऐसे नेताओं को अपना कीमती वोट न दें।


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पीएचडी प्रवेश परीक्षा का कार्यक्रम जारी


लखनऊ (ब्यूरो)। लखनऊ विश्वविद्यालय ने नॉन जेआरएफ अभ्यर्थियों के लिए पीएचडी प्रवेश परीक्षा की तिथि घोषित कर दी हैं। प्रवेश परीक्षा 18, 22 और 23 नवंबर को दो पालियों में होगी। दोनों पालियों के लिए परीक्षा का कार्यक्रम विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर भी डाल दिया गया है। प्रवेश समन्वयक प्रो. नवीन खरे के अनुसार अभ्यर्थियों को परीक्षा के आधे घंटे पहले केमिस्ट्री विभाग में संपर्क करना होगा। परीक्षार्थियों को गेट नंबर चार से प्रवेश करना होगा। उन्होंने बताया कि परीक्षा कार्यक्रम से जुड़ी सारी जानकारी विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर डाल दी गई।
•नॉन जेआरएफ अभ्यर्थी परीक्षा में होंगे शामिल
•18, 22 और 23 नवंबर को होगी प्रवेश परीक्षा
तारीख समय विषय
18 नवंबर9:30 बजे हिंदी, सोशियोलॉजी, एआईएच एंड आर्कोलॉजी, कॉमर्स, अर्बन डेवलपमेंट, पीईआरडी
18 नवंबर12:00 बजे मीडिवियल एंड मॉडर्न हिस्ट्री, पॉलीटिकल साइंस, सोशल वर्क, बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन,एजुकेशन
22 नवंबर9:30 बजे केमिस्ट्री, पर्शियन, लिंग्विस्टिक, इंग्लिश, बॉटनी
22 नवंबर12:00 बजे बायोकेमिस्ट्री,फिजिक्स, अरेबिक, एंथ्रोपॉलोजी, फाइन आर्ट्स, पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन,फिलॉसफी
23 नवंबर9:30 बजे संस्कृत, वीमेन स्टडीज, फिजिकल एजुकेशन, जियोलॉजी, अप्लाइड इकोनॉमिक्स, कॉमर्सिशल आर्ट्स, लॉ, डिफेंस स्टडीज
23 नवंबर12:00 बजे ओरिएंटल स्टडीज इन संस्कृत, सॉइकोलॉजी, एन्वार्यमेंटल साइंस, बॉटनी, एन्वार्यमेंटल साइंस जियोलॉजी, जूलॉजी स्टैटिस्टिक्स,ज्योतिर्विज्ञान, मैथ्स, वेस्टर्न हिस्ट्री।

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उर्दू शिक्षकों ने कलेक्ट्रेट में किया प्रदर्शन


Updated on: Thu, 14 Nov 2013 10:14 PM (IST)
उर्दू शिक्षकों ने कलेक्ट्रेट में किया प्रदर्शन
सुल्तानपुर : शिक्षण पात्रता परीक्षा (टीइटी) उत्तीर्ण होने के बावजूद अभ्यर्थियों को जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान प्रमाणपत्र नहीं दे रहा है। मार्च से ही अभ्यर्थी संस्थान परिसर का चक्कर लगा रहे हैं। गुरुवार को मोअल्लिम उर्दू एसोसिएशन के बैनर तले दर्जनों अभ्यर्थियों व उर्दू शिक्षकों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर डीएम को ज्ञापन सौंपा।
उर्दू एसोसिएशन व मोअल्लिम शिक्षकों ने संयुक्त रूप से कलेक्ट्रेट के समक्ष प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियोंने आरोप मढ़ा कि परीक्षा करीब छह माह पहले ही निपट चुकी है। परिणाम भी घोषित हो चुका है, लेकिन अभ्यर्थियों को प्रमाणपत्र नहीं प्रदान किया जा रहा है। न ही अंक पत्र ही दिया जा रहा है। दर्जनों अभ्यर्थी रोजाना जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान का चक्कर लगा रहे हैं। डायट प्राचार्य भी प्रकरण को लेकर मौन हैं। वे संतोषजनक जवाब नहीं दे रही हैं। अभ्यर्थियों का कहना है कि ऐसा सिर्फ अपने जिले में ही हो रहा है। जबकि प्रदेश के अन्य जिलों में टीइटी प्रमाणपत्र वितरित किया जा चुका है। अभ्यर्थियों ने जिलाधिकारी को ज्ञापन प्रेषित करके प्रकरण में शीघ्र प्रभावी कदम उठाने की मांग की है। इस मौके पर असहाब, खालिदा खानम, महबिश, इरशाद अहमद आदि मौजूद रहे।


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उर्दू पर सरकार मेहरबान, प्राथमिक स्कूलों में संस्कृत और अंग्रेजी शिक्षको की भर्ती का कोई प्रस्ताव नहीं


uptetफर्रुखाबाद: जीवन की सबसे अनिवार्य जरुरतो को पूरा करने में भी अब सरकारे वोट तलाशती नजर आती है| भोजन, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओ को मुहैया कराने में भी वोट बैंक का ध्यान रखा जा रहा है| मिड डे मील के लिए एस सी बच्चो हेतु कंवर्जन कास्ट जारी, अन्य इन्तजार करें| आपकी बेटी उसका कल योजना में गरीब ढूंढ़ने में केवल अल्पसंख्यको को वरीयता और प्राथमिक स्कूलों में संस्कृत और अंग्रेजी भाषा के शिक्षको की भर्ती का कोई प्रस्ताव नहीं अलबत्ता उर्दू शिक्षको की भर्ती के लिए तीन तीन बार कॉउंसलिंग जिसमे भी पांच पांच गुना अभ्यर्थी बुलाये जा रहे है| क्योंकि उर्दू शिक्षक बन्ने के लिए पात्र नहीं मिल पा रहे है| क्या होगा इस देश की जनता का| क्या मिड डे मील पिछड़ी जाती और सामान्य जाती के बच्चे नहीं खाते| क्या केवल उर्दू भाषा के शिक्षक भर्ती करके देश को उन्नति के रस्ते पर ले जाया जा सकेगा| उत्तर प्रदेश में यही हो रहा है| बेरोजगार सर पीट रहा है|
उ0प्र0शासन की ओर से वर्ष 2013 में टी0ई0टी0 परीक्षा कराई गई, उक्‍त टी0ई0टी0 परीक्षा 04 स्‍तरों पर कराई गई। जिसमें टी0ई0टी0 प्राथमिक एवं जूनियर स्‍तर की सामान्‍य परीक्षा तथा टी0ई0टी0 उर्दू, संस्‍कृत एवं अंग्रेजी भाषा से प्राथमिक एवं जूनियर स्‍तर की परीक्षा कराई गई। सामान्‍य टी0ई0टी0 परीक्षा में उत्‍तीर्ण प्रतिशत कम होने अधिकांश अभ्‍यर्थी निराश हुए।
  
ठग महसूस कर रहे है अंग्रेजी और संस्कृत भाषा के टेट पास अभ्यर्थी-
उर्दू, संस्‍कृत एवं अंग्रेजी भाषा से टी0ई0टी0 उत्‍तीर्ण अभ्‍यर्थियों में से उर्दू भर्ती की कार्यवाही वर्तमान में गतिमान है, परन्‍तु संस्‍कृत एवं अंग्रेजी भाषा से टी0ई0टी0 उत्‍तीर्ण अभ्‍यर्थियों का भविष्‍य अधर में लटक गया है, उक्‍त भाषा से उत्‍तीर्ण किये अभ्‍यर्थियों का कहना है कि उर्दू, संस्‍कृत एवं अंग्रेजी भाषा से टी0ई0टी0 परीक्षा कराकर सरकार ने अच्‍छा कार्य किया था, परन्‍तु आज हम अपने को ठगा सा महसूस कर रहे है। निराश अभ्‍यर्थियों का यहां तक कहना है कि मेरे साथ ठगी की गई है। भाषा का लापीपाप दिखाकर सरकार द्वारा अनदेखी की गई। वैसे भी बी0एड0 उत्‍तीर्ण अभ्‍यर्थी नौकरी के चक्‍कर में हताश व निराश हो चुके है, टी0ई0टी0भर्ती सम्‍बन्धित प्रकरण मा0 न्‍यायालय में लम्बित है। ऐसे में संस्‍कृत एवं अंग्रेजी भाषा शिक्षा से टी0ई0टी0 उत्‍तीर्ण अभ्‍यर्थियों द्वारा अपने जीवन को अंधकार में देखा जा रहा है, साथ में यह भी जानकारी प्रकाश में आई है कि अगली टी0ई0टी0 परीक्षा में भाषा परीक्षा होने की सम्‍भावना कम है।


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धोखा........ अखिलेश राज में नहीं हो पाई एक भी भर्ती

शैलेंद्र श्रीवास्तव शुक्रवार, 15 नवंबर 2013 लखनऊ
प्रदेश के युवाओं के साथ तारीख पर तारीख मिलने जैसा खेल हो रहा है।
युवा आवेदन पर आवेदन किए जा रहे हैं, फिर भी शिक्षक नहीं बन पा रहे।
प्रदेश में पहले प्राइमरी स्कूलों में 72,825 शिक्षकों की भर्ती फंसी और अब जूनियर हाईस्कूलों में 29,334 शिक्षकों की भर्ती फंस गई है।
ऐसे में सवाल उठता है कि इसके लिए आखिर कौन जिम्मेदार है? वे युवा जो नौकरी पाने के लिए उधार लेकर भी फॉर्म भर रहे हैं या फिर वह सिस्टम जिसने यह नीति तैयार की जिसके चलते भर्ती प्रक्रिया का यह हश्र हुआ?
प्रदेश के बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में पहले से ही शिक्षकों की भारी कमी थी। शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद नए मानक से यह संख्या और बढ़ गई।
उत्तर प्रदेश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद नवंबर 2011 में प्राइमरी स्कूलों में 72,825 सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला गया।
तत्कालीन बसपा सरकार ने शिक्षक भर्ती के लिए चयन का आधार टीईटी मेरिट रखा।
टीईटी में धांधली होने और विधानसभा चुनाव की घोषणा होने के चलते यह भर्ती प्रक्रिया फंस गई।
प्रदेश में सत्ता बदली तो अखिलेश सरकार ने भी 72,825 सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला। इसमें चयन का आधार बदल दिया गया।
टीईटी मेरिट के स्थान पर शैक्षिक मेरिट को भर्ती का आधार रखा गया। यही नहीं, टीईटी की धांधली की जांच भी किसी स्वतंत्र एजेंसी से नहीं कराई गई।
शिक्षक बनने की चाहत में एक-एक अभ्यर्थी ने 30 से 40 जिलों में आवेदन किए। बेसिक शिक्षा विभाग के पास 69 लाख आवेदन गए।
बेसिक शिक्षा परिषद ने मेरिट जारी करते हुए 4 फरवरी 2013 से काउंसलिंग शुरू कराई, लेकिन हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी। मामला आज भी हाईकोर्ट में विचाराधीन है।
जूनियर हाईस्कूल में गणित विज्ञान के शिक्षकों के 29,334 पदों के लिए जब विज्ञापन निकाला गया, तो उस समय भी सवाल उठा कि आगे चलकर यह भर्ती भी फंस सकती है।
इसके दो कारण बताए गए। पहला, 72,825 शिक्षकों के मामले में हाईकोर्ट का आदेश आने से पहले भर्ती का विज्ञापन निकाला गया और दूसरा, प्राइमरी स्कूलों के शिक्षकों के विरोध की अनदेखी।
जूनियर हाईस्कूलों में सहायक अध्यापक का पद पदोन्नति से भरा जाता था, पर बेसिक शिक्षा विभाग ने आधे पदों को सीधी भर्ती और आधे पदों को पदोन्नति से भरने का निर्णय कर लिया। कुछ शिक्षकों को यह नागवार लगा मामला कोर्ट में गया और भर्ती फंस गई।
 


लटक गयी विज्ञानं और गणित शिक्षको की भर्ती- जानबूझकर या अनजाने में उलझती है भर्ती?

teacher 1लखनऊ: बेसिक शिक्षा परिषद के जूनियर हाईस्कूलों में गणित और विज्ञान के अध्यापकों की नियुक्ति पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। हालांकि चयन प्रक्रिया जारी रहेगी लेकिन उसके क्रम में कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी। न्यायमूर्ति विक्रमनाथ ने बृहस्पतिवार को यह आदेश नीलम कुमारी गौतम की याचिका पर दिया। याचिका में चयन के लिए प्रोन्नति और सीधी भर्ती, दोनों प्रक्रियाएं अपनाए जाने को चुनौती दी गई है। कोर्ट ने संबंधित अधिकारियों को समस्त रिकॉर्ड के साथ 26 नवंबर को अदालत में हाजिर होने का आदेश दिया है।
याचिका में कहा गया है कि सरकार ने जूनियर हाईस्कूलों में गणित तथा विज्ञान के सहायक अध्यापकों के 50 फीसदी पद सीधी भर्ती तथा 50 फीसदी पद प्रोन्नति के माध्यम से भरने का निर्णय लिया है। जबकि कला वर्ग के पद शत प्रतिशत प्रोन्नति से भरे जाने हैं। इसलिए विज्ञान और गणित के पदों को आरक्षित करना दोषपूर्ण तथा भेदभाव पूर्ण है।
  
इस मामले पर पक्ष रखने के लिए अदालत ने सचिव बेसिक शिक्षा नीतीश्वर कुमार एवं सचिव बेसिक शिक्षा परिषद संजय सिन्हा को तलब किया था। अधिकारियों द्वारा बताया गया कि कर्मचारियों की हड़ताल के कारण संबंधित रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं कराया जा सकता है। कोर्ट ने दोनों अधिकारियों को अगली तारीख पर सभी रिकॉर्ड के साथ मौजूद रहने का आदेश दिया है।
यूपी में ऐसा क्यों हो रहा है?
प्रदेश के युवाओं के साथ तारीख पर तारीख मिलने जैसा खेल हो रहा है। युवा आवेदन पर आवेदन किए जा रहे हैं, फिर भी शिक्षक नहीं बन पा रहे। प्रदेश में पहले प्राइमरी स्कूलों में 72,825 शिक्षकों की भर्ती फंसी और अब जूनियर हाईस्कूलों में 29,334 शिक्षकों की भर्ती फंस गई है।
ऐसे में सवाल उठता है कि इसके लिए आखिर कौन जिम्मेदार है? वे युवा जो नौकरी पाने के लिए उधार लेकर भी फॉर्म भर रहे हैं या फिर वह सिस्टम जिसने यह नीति तैयार की जिसके चलते भर्ती प्रक्रिया का यह हश्र हुआ? प्रदेश के बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में पहले से ही शिक्षकों की भारी कमी थी। शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद नए मानक से यह संख्या और बढ़ गई। उत्तर प्रदेश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद नवंबर 2011 में प्राइमरी स्कूलों में 72,825 सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला गया। तत्कालीन बसपा सरकार ने शिक्षक भर्ती के लिए चयन का आधार टीईटी मेरिट रखा। टीईटी में धांधली होने और विधानसभा चुनाव की घोषणा होने के चलते यह भर्ती प्रक्रिया फंस गई।
प्रदेश में सत्ता बदली तो अखिलेश सरकार ने भी 72,825 सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला। इसमें चयन का आधार बदल दिया गया। टीईटी मेरिट के स्थान पर शैक्षिक मेरिट को भर्ती का आधार रखा गया। यही नहीं, टीईटी की धांधली की जांच भी किसी स्वतंत्र एजेंसी से नहीं कराई गई। शिक्षक बनने की चाहत में एक-एक अभ्यर्थी ने 30 से 40 जिलों में आवेदन किए। बेसिक शिक्षा विभाग के पास 69 लाख आवेदन आ गए।
बेसिक शिक्षा परिषद ने मेरिट जारी करते हुए 4 फरवरी 2013 से काउंसलिंग शुरू कराई, लेकिन हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी। मामला आज भी हाईकोर्ट में विचाराधीन है। जूनियर हाईस्कूल में गणित व विज्ञान के शिक्षकों के 29,334 पदों के लिए जब विज्ञापन निकाला गया, तो उस समय भी सवाल उठा कि आगे चलकर यह भर्ती भी फंस सकती है। इसके दो कारण बताए गए। पहला, 72,825 शिक्षकों के मामले में हाईकोर्ट का आदेश आने से पहले भर्ती का विज्ञापन निकाला गया और दूसरा, प्राइमरी स्कूलों के शिक्षकों के विरोध की अनदेखी।
जूनियर हाईस्कूलों में सहायक अध्यापक का पद पदोन्नति से भरा जाता था, पर बेसिक शिक्षा विभाग ने आधे पदों को सीधी भर्ती और आधे पदों को पदोन्नति से भरने का निर्णय कर लिया। कुछ शिक्षकों को यह नागवार लगा व मामला कोर्ट में गया और भर्ती फंस गई।


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जारी रहेगी अध्यापकों की चयन प्रक्रिया



जागरण ब्यूरो, इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के जूनियर हाईस्कूलों में सहायक अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया जारी रखने की अनुमति दे दी है। हालांकि चयन के बाद नियुक्ति पर रोक रहेगी। कोर्ट ने सचिव बेसिक शिक्षा नितेश्वर कुमार व सचिव बेसिक शिक्षा परिषद संजय सिन्हा को अगली सुनवाई की तारीख पर भी हाजिर रहने का निर्देश दिया है। याचिका की अगली सुनवाई 26 नवंबर को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने नीलम कुमारी गौतम की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने चयन से संबंधित रिकार्ड भी तलब किया है। याचिका में जूनियर हाई स्कूल में विज्ञान व गणित विषय के सहायक अध्यापकों की चयन में 50 फीसदी सीधी भर्ती एवं शेष 50 फीसदी प्राथमिक विद्यालय के सहायक अध्यापकों से प्रोन्नति से भरे जाने की प्रक्रिया को चुनौती दी गई है।
 


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शिक्षा मित्रों को गुमराह कर रही है यूपी सरकार

  • मानदेय बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार से अनुमति मांगने का मामला
नई दिल्ली । उत्तर प्रदेश सरकार शिक्षा मित्रों को मानदेय बढ़ाने के नाम पर गुमराह कर रही है। प्रदेश के शिक्षा मंत्री बार-बार मानदेय बढ़ाने की अनुमति के लिए मानव संसाधन मंत्रालय को पत्र भेज देते हैं जबकि सच यह है कि मानदेय बढ़ाने का फैसला खुद प्रदेश सरकार को लेना है।
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उत्तर प्रदेश में 1.72 लाख शिक्षा मित्र प्राइमरी स्कूलों में तैनात हैं। सर्व शिक्षा अभियान के तहत इन शिक्षा मित्रों को प्रतिमाह मात्र 3500 रुपये मानदेय दिया जाता है। मानदेय बढ़ाने की शिक्षा मित्रों की मांग पर प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोबिन्द चौधरी पिछले डेढ़ दो साल में आधा दर्जन पत्र मानव संसाधन मंत्रालय को भेज चुके हैं। चौधरी अपने पत्र में शिक्षा मित्रों का मानदेय पांच हजार से बढ़ाकर 8500 रुपये मासिक करने के लिए मंत्रालय से आदेश मांग रहे हैं।
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मानव संसाधन मंत्रालय की ओर से हर पत्र के जवाब में कहा जा रहा है कि मानदेय तय करने का फैसला राज्य सरकार को ही लेना है। केंद्रीय मानव संसाधन राज्यमंत्री जितिन प्रसाद ने राम गोबिन्द चौधरी को भेजे जवाबी पत्र में कहा है कि शिक्षा मित्रों के मानदेय बढ़ाने के बारे में केंद्र की कोई भूमिका नहीं है। राज्य सरकार को ही इस पर फैसला लेना है। विभिन्न राज्य इसी आधार पर मानदेय में वृद्धि पहले ही कर चुके हैं। अखिल भारतीय अस्थाई अध्यापक संघ के प्रवक्ता कौशल कुमार सिंह ने बताया कि वे शिक्षा मंत्री का पत्र लेकर कई बार खुद मानव संसाधन मंत्रालय के चक्कर लगा चुके हैं। शिक्षा मित्रों की अस्थायी शिक्षक के रूप में वर्ष 2001 में भर्ती शुरू की गई थी। बाद में इन्हें सर्व शिक्षा अभियान में शामिल कर लिया गया। अभियान के कुल बजट का 65 फीसदी केंद्र तथा 35 फीसदी को देना होता है।
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  • शिक्षा मित्रों का वेतनमान -:
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राज्य                     पदनाम                   मानदेय
यूपी                       शिक्षा मित्र               3500
हिमाचल                असि. टीचर               8900
राजस्थान              विद्यार्थी मित्र              4800
हरियाणा                गेस्ट टीचर              14400


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