Thursday, October 17, 2013

अब 11 नवंबर तक करें आवेदन



-व्यावसायिक शिक्षा के लिए शिक्षकों के बच्चों को केंद्र सरकार देगी मदद

डेली न्यूज नेटवर्क
लखनऊ। सूबे के माध्यमिक बेसिक विालयों के शिक्षकों के उन बच्चों को अब केंद्र सरकार वित्तीय मदद देगी जो सिविल, मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल जैसे अन्य पाठ्यक्रमों में व्यावसायिक शिक्षा ग्रहण कर रहे हों। यह वित्तीय सहायता अधिकतम 15 हजार रुपए तक दी जाएगी। इसके लिए राज्य सरकार ने आवेदन करने की तिथि बढ़ाकर 11 नवंबर तक कर दी है। योजना का लाभ लेने के लिए शिक्षकों को आवेदन फार्म भरकर राष्ट्रीय अध्यापक कल्याण प्रतिष्ठिान शिविर कार्यालय, 18 पार्क रोड में भेजना होगा। इस बाबत माध्यमिक शिक्षा निदेशक बासुदेव यादव ने आदेश जारी कर दिया है।
विदित हो कि पहले आवेदन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि 15 सितंबर तय की गई थी। राष्ट्रीय अध्यापक कल्याण प्रतिष्ठान उप्र की ओर से स्कूल शिक्षकों के व्यावासयिक शिक्षा ग्रहण कर रहे बच्चों को वित्तीय सहायता देने का फैसला लिया गया है। यह योजना केवल माध्यमिक बेसिक विालयों के शिक्षकों के लिए ही होगी। इसमें शिक्षकों के वे पुत्र-पुत्री पात्र होंगे जो व्यावसायिक शिक्षा से संबंधित चार वर्षीय (आठ सेमेस्ट) डिग्री पाठ्यक्रम-सिविल, मेकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स और टेलीकम्यूनिकेशन, कम्प्यूटर साइंस, आटोमोबाइल और केमिकल इंजीनियरिंग, आर्कीटेक्चर, टेक्सटाइल्स, माइनिंग, रबर टेक्नॉलॉजी, प्रिटिंग केमेकिल टेक्नालॉजी, मेटासर्जिकल इंजीनियरिंग, नेवल आर्किटेक्चर, पेट्रोलियम इंजीनियरिंग फार्मेसी, इंस्ट्मेंटेशन और कंट्रोल, एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में अध्यनरत हों। डिप्लोमा कोर्स की अवधि तीन वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा चिकित्सीय कोर्स में एलोपैथिक, होम्योपैथिक एवं आयुर्वेदिक फार्मस ऑफ मेडिसिन, पशु चिकित्सीय कोर्स भी व्यावसायिक शिक्षा कोर्स माने जाएंगे। इस योजना का लाभ लेने के लिए बीफार्मा डिप्लोमा कोर्स दो वर्ष से कम वाला मान्य नहीं होगा। साथ ही मैनेजमेंट कोर्स डिग्री कोर्स के बाद कम से कम दो वर्ष का होना अनिवार्य होगा।
राज्यपाल, मुख्यमंत्री ने दी बकरीद की बधाई
लखनऊ। उत्तर-प्रदेश के राज्यपाल बीएल जोशी, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव, प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, विधान सभा अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय, विधान परिषद के सभापति गणेश शंकर पाण्डेय, शिवपाल सिंह यादव समेत कई वरिष्ठ मंत्रियों ने ईद-उल-अजहा (बकरीद)के अवसर पर प्रदेशवासियों को मुबारकबाद दी है। सभी ने उन्होंने कहा कि यह त्याग और बलिदान का त्यौहार है इसको आपसी सद्भावना के साथ मनाना चाहिए। प्रदेश के नगर विकास एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मो. आजम खां ने दिली मुबारकबाद देते हुए इस पावन पर्व को हषरेल्लास शांतिपूर्वक मनाने की अपील की है।व्यावसायिक शिक्षा के लिए शिक्षकों के बच्चों को केंद्र सरकार देगी मदद
 


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जॉब नहीं अब मांग रहे जान देने की इजाजत




नवभारतटाइम्स.कॉ | Oct 15, 2013, 07.47PM IST
प्रमुख संवाददाता
इलाहाबाद।। प्रदेश के लाखों टीईटी पास अभ्यर्थी नौकरी की लटकती आस को देखकर अब राष्ट्रपति को खत भेजकर जान देने की इजाजत मांग रहे हैं। एक-दो नहीं अब तक 21 टीईटी पास अभ्यर्थी अपनी इच्छा मृत्यु के लिए राष्ट्रपति को खत भेज चुके हैं। शिक्षा निदेशालय के सामने पिछले तीस दिन से धरना-प्रदर्शन के दौरान कई बार लाठी खा चुके टीईटी पास अभ्यर्थियों की आरोप है कि प्रदेश सरकार राजनीति के चक्कर में हाई कोर्ट से लगी रोक हटाने में प्रभावी पैरवी नहीं कर रही है।
आर्थिक मानसिक शोषण के कारण परेशान अंशुल मिश्रा ने सबसे पहले राष्ट्रपति को खत भेजकर इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी, उसके बाद कतार लग गई है। कृष्ण कुमार मिश्र, आशीष मिश्रा, अमित दुबे, पुनीत अवस्थी, राहुल प्रताप सिंह भदौरिया, मनीष शुक्ला, शशांक मिश्र, नवीन त्रिपाठी, निशांत दुबे, नुपूर दीक्षित, दिव्या दीक्षित, आसिफ अंसारी, विक्रांत पोरवाल, अमित गुप्ता, योगेश बब्बू, ज्योति पोरवाल, राघव शुक्ला गौरव मिश्रा भी राष्ट्रपति के पास इच्छा मृत्यु के लिए प्रार्थनापत्र भेज चुके हैं।
राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु मांग रहे अंशुल का कहना है यह सिर्फ हमारी नहीं बल्कि उन साठ लाख अभ्यर्थियों की पीड़ा है जो पिछले कई साल से ट्रेनी टीचर बनने के लिए आवेदन किए बैठे हैं। ट्रेनी टीचर बनने के लिए लंबे समय से कोर्ट-कचहरी का चक्कर काट रहे यह छात्र प्रदेश सरकार से गुहार लगाते-लगाते थक गए है। जॉब नहीं दे पा रही यूपी सरकार से हम लोगों निराश होकर राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु मांग रहे हैं। कोर्ट-कचहरी के चक्कर के साथ ट्रेनी टीचरों की भर्ती में पहले सरकार की तरफ देरी फिर हाईकोर्ट के स्टे के कारण पिछले एक साल से आर्थिक रूप से टूट चुके युवाओं की आखिरी उम्मीद राष्ट्रपति के चौखट पर टिकी है।
टीईटी पास अभ्यर्थी नौकरी की मांग करते-करते थक जाने के बाद जिस तरह परेशान होकर राष्ट्रपति के पास इच्छा मृत्यु की अनुमति देने की प्रार्थना कर रहे हैं, कमोबेश नौकरी मिलने के कारण ऐसी ही पीड़ा से लाखों लोग है। प्रदेश में बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में ट्रेनी टीचर बनने के लिए टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट पास बीएड डिग्रीधारकों के 72 हजार 825 पद के लिए आवेदन किए हैं। ट्रेनी टीचर की सीधी भर्ती के लिए प्रदेश में करीब साठ लाख फॉर्म भरे गए हैं। ट्रेनी टीचरों की सीधी भर्ती के आवेदन के बाद काउंसिलिंग प्रक्रिया प्रारंभ होने के साथ हाई कोर्ट की ओर से इस पर रोक लग गई है।
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इन छात्रों का आरोप है कि प्रदेश सरकार की ढिलाई के कारण हाई कोर्ट से अभी तक रोक नहीं हट पाई है। प्रदेश सरकार लोकसभा चुनाव के मद्देनजर रोक को हटवाने को लेकर गंभीर नहीं है। शिक्षा निदेशालय पर आयोजित धरने में प्रमुख रूप से मनोज, दीपेंद्र बहादुर सिंह, राजदीप, सुनील मिश्र, भारत सिंह, अजयेंद्र रंजन सहित कई प्रमुख छात्र हिस्सा लिए।
 


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जांच के घेरे में फंसे डायट के प्रवक्ता


Updated on: Tue, 15 Oct 2013 09:12 PM (IST)

फीरोजाबाद: डायट के एक प्रवक्ता जांच के घेरे में फंस गए हैं। बीटीसी प्रशिक्षणार्थी ने उपस्थिति कम होने पर डायट के प्रवक्ता पर शोषण करने के प्रयास का आरोप लगाया है। बताया जा रहा है इस मामले की जांच के लिए जिलाधिकारी ने एक तीन सदस्यीय टीम का गठन किया है तथा टीम ने जांच भी शुरू कर दी है।

मामला बीटीसी बैच 2013 से जुड़ा है। गैरहाजिरी के लिए चर्चित रहे इस बैच की कुछ अभ्यर्थियों को कम उपस्थिति पर पहले सेमेस्टर की परीक्षा में भी बैठना खतरे में पड़ गया था। बाद में हाजिरी पूरी कर लेने पर इन छात्राओं को बैठने की अनुमति दे दी। इधर अब दूसरे सेमेस्टर में भी दो छात्राओं की हाजिरी कम है। बताया जा रहा है इस मामले में एक छात्रा ने डायटप्रवक्ता पर शोषण के प्रयास करने का आरोप लगाते हुए कई शिकायतें की हैं। बताया जाता है उक्त शिकायतें जिलाधिकारी के यहां की गई हैं तथा उक्त शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी ने तीन सदस्यीय एक जांच कमेटी भी गठित कर दी है। मंगलवार को जांच टीम ने जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में पहुंच कर इस संबंध में बयान भी दर्ज किए। इस संबंध में जिलाधिकारी से संपर्क करने का भी प्रयास किया, लेकिन संपर्क नहीं हो सका। बताया जा रहा है उक्त आरोपों की जांच काफी गोपनीय ढंग से की जा रही है। डायट में चर्चा है उपस्थिति कम होने पर आरोपों का फंदा बनाया गया है।

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Sunday, October 13, 2013

सीटीईटी का ऑनलाइन आवेदन शुरू


देश भर में सेंट्रल टीचर एलिजिबेलिटी टेस्ट (सीटीईटी) के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया शुक्रवार से शुरू हो गई है। ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया 31 अक्तूबर तक चलेगी।
आवेदन के बाद कंफरमेशन पेज प्राप्त करके इसे सीबीएसई भेजने की अंतिम तिथि 7 नवंबर है। परीक्षा के लिए जुलाई में बढ़ाई गई समयावधि के मुताबिक ही ढाई घंटे की परीक्षा होगी।
अरूणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा, लाहौल और स्पीती जिला व हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले का पांगी सब-डिवीजन, अंडमान और निकोबार द्वीप एवं लक्षद्वीप जैसे दूर-दराज के क्षेत्रों के उम्मीदवारों से पुष्टि पृष्ठ (कंफरमेशन पेज) की प्राप्ति के लिए 7 दिनों की रियायत अवधि अर्थात 15 नवंबर तक का समय मिलेगा।
सीबीएसई ने बीते साल सीटीईटी की परीक्षा के लिएजनवरी व जुलाई के आखिरी रविवार को परीक्षा के लिए निर्धारित किया था। उसी कड़ी में इस साल की आखिरी परीक्षा 28 जुलाई को हो चुकी है।
अब 16 फरवरी 2014 में यह परीक्षा आयोजित होगी। सीबीएसई ने इसके लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इस बार भी पेपर-1 व पेपर-2 के लिए ढाई घंटे का समय ही मिलेगा। उम्मीदवार साइट पर जाकर जाकर आनॅलाइन आवेदन कर सकते हैं।
उम्मीदवार को ‘ऑनलाइन’ आवेदन भरते समय सभी विवरण देने होंगे। डाटा के सफलता पूर्वक प्रस्तुत हो जाने पर, उम्मीदवारों को कंप्यूटर द्वारा जनरेटिड पुष्टि पृष्ठ (कन्फर्मेशन पेज) का प्रिंट आउट लेना होगा।
इस पर उन्हें पासपोर्ट आकार का फोटोग्राफ लगाकर और हस्ताक्षर करके बैंक ड्राफ्ट के साथ सीबीएसई सीटीईटी यूनिट को भेजना है। यदि शुल्क चालान के माध्यम से भुगतान किया है तो चालान की मूल सीबीएसई प्रति भी इस कार्यालय को भेजनी होगी।
सामान्य और ओबीसी के उम्मीदवारों को पेपर-1 या पेपर-2 देने के लिए 500 रुपये का भुगतान करना होगा जबकि दोनों पेपर देने के लिए भुगतान 800 रुपये होगा।
वहीं एससी-एसटी को पेपर-1 या पेपर-2 के लिए 250 रुपये का भुगतान करना होगा, दोनों पेपर के लिए 400 रुपए चुकाने होंगे। शुल्क चालान के माध्यम से, सिंडिकेट बैंक के सीबीएसई खाता में या फिर डेबिट/क्रेडिट कार्ड द्वारा किया जा सकता है।
 


UPTET : राष्ट्रपति ने मुख्यमंत्री के सचिव से मांगा जवाब


औरैया : दो बार आवेदन करने के बावजूद टीचर बनने को तीन साल से भटक रहे टीईटी पास बीएड अभ्यर्थियों ने प्रत्यावेदन भेजकर राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी थी। इस मामले में राष्ट्रपति ने मुख्यमंत्री के सचिव से जवाब मांगा है।

प्रथम बैच में टीईटी उत्तीर्ण करने वाले कई अभ्यर्थियों ने कुछ दिन पहले राष्ट्रपति को प्रत्यावेदन भेजा था। उनका कहना था कि दो बार शिक्षकों की भर्ती निकाली गई और उन सबने आवेदन किए। पहली बार रोक लगा दी गई थी और दूसरी बार भी मामला हाईकोर्ट में पहुंच गया। अभ्यर्थियों का आरोप यह है कि प्रदेश सरकार प्रभावी पैरवी नहीं कर रही है इससे सालों से मामला लटका है। अभ्यर्थी अंशुल मिश्रा, पुनीत अवस्थी, नूपुर दीक्षित, अमित गुप्ता, निशांत दुबे, नवीन त्रिपाठी, अतुल मिश्रा, ज्योति पोरवाल, राहुल भदौरिया, शशांक मिश्रा आदि ने कहा कि विगत तीन वर्षो से उनका आर्थिक व मासिक शोषण हो रहा है। इस मामले में राष्ट्रपति ने प्रदेश को मामला भेजते हुए मुख्यमंत्री के सचिव से जवाब मांगा है।

News Sabhaar : Jagran (13.10.13)


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परिषदीय स्कूलों के बच्चे खेल-खेल में पढ़कर बनेंगे होशियार


  • कक्षा 1 के बच्चों को दिखाई जाएगी कार्टून फिल्म
  • कक्षा 6 के बच्चे नाटक के जरिये करेंगे पढ़ाई
  • बेसिक स्कूलों में नये सत्र से लागू करने की तैयारी
लखनऊ। पढ़ोगे लिखोगे तो होगे नवाब, खेलोगे कूदोगे तो बनोगे खराब...। यह बीते जमाने की बातें होंगी। अब बच्चे जितना खेलेंगे उतना ही पढ़ाई में अच्छे होंगे। यही नहीं, बच्चों को ऐसी कार्टून फिल्में भी दिखाई जाएंगी जो बच्चों में समझ विकसित करेंगी। इसके लिए न पाठ्यक्रम संशोधित होगा और न ही नई किताबें छापी जाएंगी। इस हेतु बेसिक शिक्षा विभाग विशेषज्ञों की एक टीम तैयार करेगा। नई व्यवस्था अगले शिक्षण सत्र जुलाई 2014 से लागू करने की तैयारी है। शासन स्तर पर इस संबंध में सहमति बन गई है। नई व्यवस्था ब्लाक संसाधन केंद्र के कक्षा एक व छह तथा कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में लागू की जाएगी। इनमें सफलता के बाद इसे अन्य स्कूलों में लागू किया जाएगा।
प्रदेश में बेसिक शिक्षा का बहुत बड़ा दायरा है। 1,54,272 प्राइमरी स्कूलों में 2.61 करोड़ बच्चे पढ़ते हैं। 76,782 उच्च प्राइमरी स्कूलों में 92.15 लाख बच्चे पढ़ते हैं। इसके बाद भी यहां पढ़ाई व्यवस्था बहुत अच्छी नहीं है। अभिभावक बच्चों का नाम लिखाते तो जरूर हैं, लेकिन काफी बच्चे पढ़ाई बीच में ही छोड़ देते हैं। स्कूल आने वालों की भी बौद्धिक क्षमता अच्छी नहीं होती। कई बच्चों को अक्षर का ज्ञान तक नहीं होता। इसलिए सरकार चाहती है कि कुछ ऐसा किया जाए जिससे बच्चे खेल-खेल में पढ़ने लगें।
शासन स्तर पर इस बारे में बैठक बुलाई गई थी। इसमें परिषदीय स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई का स्तर सुधारने पर विचार-विमर्श किया गया। यह सहमति बनी है कि प्राइमरी स्कूलों में कक्षा एक के बच्चों को कार्टून फिल्म व खेल के माध्यम से शिक्षा दी जाए। कार्टून के माध्यम से हिंदी, अंग्रेजी व खेल से गणित की पढ़ाई कराई जाए। कार्टून फिल्मों का निर्माण बेसिक शिक्षा विभाग के राज्य शैक्षिक तकनीकी संस्थान से कराया जाए। इसी तरह कक्षा छह व कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों की इस कक्षा की लड़कियों को हिंदी नाटक के माध्यम से पढ़ाया जाए। इसके लिए ऐसा फॉर्मूला विकसित किया जाएगा कि नाटक में बच्चे भी शामिल होंगे। इससे उनकी समझ विकसित होगी।
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