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साल में 90 से ज्यादा ने छोड़ा पद का मोह, ग्रेड पे कम होने से युवा हताश, मामला शासन
के पास |
लखनऊ।
लोकसेवा आयोग से सीधी भर्ती से आने वाले युवाओं को नायब तहसीलदारी नहीं भा रही है।
पिछले चार साल में 90 से अधिक युवाओं ने चयन होने के बाद या तो ज्वाइन नहीं किया या
ज्वाइन करने के बाद दूसरी जगह मौका मिलने पर नौकरी छोड़कर चले गए। राजस्व विभाग से
जुड़े अफसर बताते हैं कि कई ने नायब तहसीलदारी करने की जगह प्राइमरी स्कूल की मास्टरी
को प्राथमिकता दी। इस हालात से हैरान राजस्व प्रशासनिक अधिकारी संघ ने इस मामले को
शासन के सामने उठाया है। हालांकि ,शासन का रवैया अभी ठंडा है।
बताते
चलें कि राजस्व विभाग में नायब तहसीलदार की नियुक्ति राज्य लोक सेवा आयोग के जरिए पीसीएस
परीक्षा में एसडीएम, डिप्टी एसपी व असिस्टेंट कमिश्नर वाणिज्य कर आदि के साथ होती है।
न्यायिक जिम्मेदारी तो वह निभाता ही है, राजस्व वसूली व प्रशासनिक कामकाज में भी वह
अहम रोल अदा करता है।
लेकिन
जब बात वेतन व सुविधाओं की होती है तो तमाम संवर्गों से वह पीछे ठहरता है। मसलन, खाद्य
विभाग के वरिष्ठ पूर्ति निरीक्षक, वरिष्ठ विपणन निरीक्षक के साथ आशुलिपिक सहकारिता,
उप कारापाल कारागार, संयुक्त खंड विकास अधिकारी तक से उसे कम ग्रेड पे मिल रहा है।
नायब तहसीलदार संवर्ग के अधिकारी बताते हैं कि नायब तहसीलदार को जहां 4200 ग्रेड पे
मिल रहा है, वहीं इन पदधारकों को 4600 रुपये।
यही
नहीं, प्राइमरी स्कूल के प्राथमिक शिक्षक ग्रेड-2 को 4600 और प्राइमरी स्कूल के प्रधानाध्यापक
व जूनियर हाईस्कूल के सहायक अध्यापक का ग्रेड पे-4800 है।
एक
अन्य तथ्य यह है कि कारापाल, कारागार प्रशासन, सिस्टर चिकित्सा विभाग, सिस्टर ट्यूटर
व वैयक्तिक सहायक नियोजन विभाग का वेतन बैंड नायब तहसीलदारों के बराबर 5500-9000 है
लेकिन नायब तहसीलदार का ग्रेड पे 4200 है, वहीं बाकी कर्मियों का 4800। इस संवर्ग के
अधिकारी बताते हैं कि ऐसे हालात में कोई क्यों नायब तहसीलदार बनना चाहेगा? सरकार इस
समस्या को गंभीरता से नहीं लेगी तो राजस्व विभाग की बुनियादी व्यवस्था सुधरने वाली
नहीं है।
लगातार
उपेक्षा व प्रतिकूल परिस्थितियों में काम करने के बाद भी न्यायोचित ग्रेड-पे न मिलने
के कारण नायब तहसीलदार पद की प्रतिष्ठा व आकर्षण में कमी आ रही है। इस वजह से राज्य
लोक सेवा आयोग की त्रिस्तरीय परीक्षा से चयनित होने के बावजूद नायब तहसीलदार सेवा छोड़
कर जा रहे हैं। जो ज्वाइन कर रहे हैं वे मौका पाते ही छोड़ देते हैं। हालत ये है कि
शासन को सीधी भर्ती के ऊर्जावान, उत्साही व नायब तहसीलदार नहीं मिल रहे हैं। तहसीलों
की कार्यक्षमता पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। लिहाजा, सरकार को इस ओर तत्काल ध्यान
देना चाहिए और वेतन बैंड-2 के समान वेतनबैंड/ वेतनमान-9300-348 00 और ग्रेड वेतन-4200
को उच्चीकृत कर 4800 करना चाहिए।
-वीके
गुप्ता, प्रदेश अध्यक्ष, राजस्व प्रशासनिक अधिकारी संघ
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