अनिश्चित डगर पर
प्राथमिक शिक्षकों
की भर्ती
आशंका कि कहीं
बीटीसी-2001 जैसा हाल न हो जाए इस
परीक्षा का
हरिशंकर मिश्र, इलाहाबाद
मुकदमे पर मुकदमे
और तारीख
पर तारीख।
अब से
दो साल
पहले राज्य
शैक्षिक पात्रता
परीक्षा के
सहारे प्राथमिक
विद्यालयों में नौकरी की आस
संजोए लगभग
पौने दो
लाख अभ्यर्थियों
को अब
भविष्य की
राह अनिश्चित
सी नजर
आने लगी
है। इसी
हताशा ने
युवकों को
सड़क पर
उतरने के
लिए बाध्य
कर दिया
है, हालांकि
वे जानते
हैं कि
मामला अदालत
में है।
टीईटी को लेकर
शुरू से
ही उम्मीदें
जगने और
फिर अधर
में लटकने
का खेल
होता रहा
है। नवंबर
2011 में बसपा
सरकार में
यह परीक्षा
हुई थी
और उसके
बाद राज्य
सरकार ने
भर्ती की
नियमावली में
फेरबदल करके
ऐसे विवाद
को जन्म
दिया जो
लंबी अदालती
लड़ाई का
कारण बना।
परीक्षा का
परिणाम आने
के साथ
तो विवादों
की झड़ी
ही लग
गई। कहीं
परीक्षा में
अनियमितता का मामला उठा तो
कहीं पैसे
लेकर पास
कराने का।
तत्कालीन शिक्षा
निदेशक संजय
मोहन को
इन्हीं आरोपों
में जेल
तक जाना
पड़ गया।
इसके बाद
सपा सरकार
आई और
नए सिरे
से विज्ञापन
निकाला गया
जिसमें जिला
वार आवेदन
होने से
अधिकांश अभ्यर्थियों
को बीस
से पचीस
हजार रुपये
तक का
खर्च उठाना
पड़ गया।
हालांकि इसके
बाद भी
नियुक्तियां नहीं हो सकीं। विवादों
का साया
और गहराता
ही गया
और टीईटी
अभ्यर्थी अनिश्चितता
के ही
आलम में
फंसे रहे।
यहां तक
कि अदालत
में टीईटी
के औचित्य
तक को
चुनौती दी
गई। हालांकि
कोर्ट ने
प्राथमिक शिक्षकों
की नियुक्ति
में टीईटी
को अनिवार्य
करार दिया।
टीईटी अभ्यर्थियों
में एक
विकास पांडेय
कहते हैं
कि अभी
तक यह
तय नहीं
है कि
नियुक्तियों की स्थिति क्या होगी।
स्थितियां कुछ भी हों, विवाद
कुछ भी
हो, उससे
प्रभावित तो
अभ्यर्थी ही
हुए हैं।
इसी कारण विरोध-प्रदर्शन की
आग सूबे
के कई
जिलों में
फैलती जा
रही है।
गौरतलब है
कि टीईटी
अभ्यर्थी लखनऊ
समेत आजमगढ़,
सुल्तानपुर, देवरिया, रायबरेली आदि कई
जनपदों में
प्रदर्शन कर
चुके हैं
जिनमें कई
स्थानों पर
उन्हें लाठियां
भी खानी
पड़ी हैं।
इलाहाबाद में
तो लगातार
अभ्यर्थियों का प्रदर्शन चल रहा
है। 1बीटीसी-2001
का भी
ऐसा ही
हुआ था
हाल : बीटीसी-2001
की परीक्षा
में भी
अभ्यर्थियों को कमोबेश ऐसी ही
स्थिति का
सामना करना
पड़ा था।
भाजपा शासन
में हुई
इस परीक्षा
का परिणाम
विवादों में
फंस गया
था। विजलेंस
जांच हुई
थी, निदेशक
पर आरोप
लगे थे
और परिणाम
रद होने
के बाद
अदालत के
हस्तक्षेप पर दोबारा घोषित हुई
था। लेकिन
इस पूरे
विवाद में
अभ्यर्थियों के आठ साल लग
गए थे।
अब अभ्यर्थियों
को आशंका
है कि
कहीं उन्हें
दोबारा ऐसी
ही स्थितियों
से दो-चार न
होना पड़े।
हाईकोर्ट की शरण
लेंगे टीईटी
उत्तीर्ण अभ्यर्थी
इलाहाबाद : प्रशासनिक उपेक्षा
से आहत
टीईटी उत्तीर्ण
अभ्यर्थी न्याय
के लिए
हाईकोर्ट की
शरण में
जाएंगे। अभ्यर्थी
सोमवार को
सामूहिक रूप
से हाईकोर्ट
में न्यायमूर्ति
एवं वरिष्ठ
अधिवक्ताओं से मुलाकात करके नियुक्ति
के लंबित
मामले का
अतिशीघ्र निस्तारण
कराने की
गुजारिश करेंगे।
वहीं शिक्षा
निदेशालय पर
अभ्यर्थियों का क्रमिक अनशन रविवार
को छठें
दिन भी
जारी रहा।
अभ्यर्थियों के समर्थन में शिक्षक
संगठन भी
खुलकर सामने
आने लगे
हैं। उत्तर
प्रदेश माध्यमिक
शिक्षक संघ
शर्मा गुट
के शिक्षक
विधायक सुरेश
त्रिपाठी ने
कहा कि
सरकार जानबूझकर
नियुक्ति के
मामले को
लटकाए है,
वह अभ्यर्थियों
का पूरा
सहयोग करने
के लिए
तैयार हैं।
शर्मा गुट
के वरिष्ठ
नेता शैलेश
पांडेय ने
बीटीसी उत्तीर्ण
अभ्यर्थियों की नियुक्ति प्रक्रिया लटकने
से लाखों
लोग प्रभावित
हो रहे
हैं, हजारों
युवाओं के
सपने टूट
रहे हैं,
जिससे उन्हें
मानसिक व
आर्थिक समस्या
का सामना
करना पड़
रहा है।
कहा कि
अभ्यर्थियों के समर्थन में सरकार
के खिलाफ
आंदोलन छेड़ा
जाएगा। अनशन
का नेतृत्व
कर रहे
मनोज मौर्य
ने कहा
कि प्रशासनिक
उपेक्षा से
अभ्यर्थी आहत
हैं, बावजूद
इसके हमारा
संघर्ष जारी
रहेगा। अनशन
में रणविजय
सिंह, कुंवर
सिंह यादव,
आशीष कुशवाहा,
सत्य प्रकाश
सिंह, राजेंद्र
गुप्त, सुनील,
सुभाष सरोज,
विजय शामिल
रहे।
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