Friday, September 20, 2013

आरक्षण, दंगा और अब कर्मचारी आंदोलन


जागरण ब्यूरो, लखनऊ : सूबे में आरक्षण और दंगों के बाद अब कर्मचारियों ने प्रदेशव्यापी आंदोलन की जमीन तैयार कर दी है। डेढ़ साल से अपनी मांगों को लेकर संघर्षरत 13 लाख कर्मचारियों ने राज्य कर्मचारी अधिकार मंच बनाकर 12 नवंबर से कामकाज ठप करने का एलान कर दिया है। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद और राज्य कर्मचारी महासंघ के संयुक्त बैनर तले गठित अधिकार मंच के नेता 24 अक्टूबर से भूख हड़ताल शुरू करने की चेतावनी दी है।
राज्य कर्मचारी अधिकार मंच, उप्र के संयोजक हरि किशोर तिवारी और अजय सिंह ने शुक्रवार को पत्रकारों को बताया कि 19 साल बाद राज्य कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर संयुक्त रूप से एकजुट हुए हैं। 11 सूत्री मांगों के आधार पर कर्मचारियों ने आंदोलन की जमीन तैयार करने की कवायद शुरू कर दी है।
बकौल, तिवारी विधान भवन के सामने भूख हड़ताल पर 51 संगठनों के प्रदेश अध्यक्ष और महामंत्रियों ने बैठने का निर्णय किया है। अधिकार मंच का आरोप है कि 11 सूत्री मांगों को लेकर सात साल से विभिन्न संगठनों के बैनर तले कर्मचारी संगठन संघर्षरत है लेकिन सरकार गूंगी-बहरी बनी हुई है। कर्मचारियों का आरोप है कि सपा सरकार चुनावी घोषणा पत्र पर अमल करने के बजाए वादाखिलाफी कर रही है।
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कर्मचारियों की मांगें
-नियुक्ति की तिथि के आधार पर 10, 16 व 26 वर्ष में एसीपी का निर्धारण किया जाए।
-वेतन विसंगतियां सरकार दूर करे।
-केंद्र सरकार के बराबर राज्य कर्मियों की भत्ता निर्धारित करे।
-फील्ड कर्मचारियों को मोटरसाइकिल भत्ता शुरू करें।
-एसजीपीजीआइ में कर्मचारियों की चिकित्सा सुविधा नियमावली शीघ्र बनाई जाए।
-सभी विभागों में पदोन्नति का 26 फीसदी कोटा निर्धारित किया जाए।
-पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल की जाए।
-वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी का पद राजपत्रित घोषित किया जाए।
-संविदा कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन 11 हजार निर्धारित करे।

यूपी में नौकरी के लिए फॉर्म भरने वाले जरूर पढ़ें ये खबर


ब्यूरो शुक्रवार, 20 सितंबर 2013
अमर उजाला, हाथरसUpdated @ 5:00 PM IST
job application forms found on railway track
ग्राम पंचायत अधिकारी के पद पर नौकरी करने का सपना संजोए बैठे सैकड़ों युवाओं की उम्मीद पर डाक विभाग ने पानी फेर दिया।
इस पद के लिए आवेदन करने वाले युवाओं के पोस्ट किए गए फॉर्म गुरुवार को सासनी के रेलवे स्टेशन के पास ट्रैक पर पड़े मिले। इसकी जानकारी जब आवेदनकर्ताओं को हुई तो वह मुख्य डाकघर पहुंच गए।
युवाओं ने वहां जमकर हंगामा काटा। इस दौरान उनकी डाक अधिकारियों से नोकझोंक भी हुई।
पंचायत राज विभाग द्वारा इसी माह विभिन्न जिलों में ग्राम पंचायत अधिकारियों की नियुक्ति के लिए रिक्तियां निकाली थीं। इन रिक्तियों का प्रकाशन अखबारों के माध्यम से किया गया था।
इसके लिए हाथरस जनपद के काफी युवाओं ने 16 सितंबर को डाकघर के माध्यम से पंजीकृत डाक से बस्ती, अलीगढ़, आगरा, मथुरा, हाथरस व अन्य कई जिलों के लिए आवेदन किए थे। उनके यह आवेदन मंगलवार को सासनी के रेलवे स्टेशन के ट्रैक पर गांव हड़ौली के एक युवक को पड़े हुए मिले।
युवक ने आवेदन फॉर्मों पर पडे़ मोबाइल नंबर पर कॉल कर आवेदनकर्ताओं को इसकी जानकारी दी। यह लोग फॉर्मों और लिफाफों को ले आए। इनपर डाकघर हाथरस की मोहर भी लगी हुई थी। सभी युवा मुख्य डाकघर पर पहुंचे और वहां अफसरों से इसकी शिकायत की।
अफसरों ने झाड़ा पल्ला
मामला जानकर अफसरों ने इससे पल्ला झाड़ लिया। अफसरों ने बताया कि उनके डाकघर से जिन फॉर्मों की रजिस्ट्री हुई है वह फॉर्म तो अलीगढ़ पहुंच चुके हैं, वहां से जहां भी यह फॉर्म पहुंचने जाने हैं, वहां भेजा जा रहा है। यह सुनकर आवेदनकर्ता भड़क गए।
युवाओं का आरोप था कि डाक विभाग ने उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है। इसकी शिकायत वह उच्चाधिकारियों से करेंगे।
अलीगढ़ डाकविभाग के एसएसपी केडी मिश्रा का कहना है कि आवेदनकर्ताओं ने मुझसे शिकायत की है। मामला वाकई गंभीर है, इसकी जांच कराई जा रही है। जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

ग्राम पंचायत अधिकारी की नियुक्तियों पर लगाई जाए रोक


ग्राम पंचायत अधिकारी की नियुक्तियों पर लगाई जाए रोक
निज प्रतिनिधि, एटा-कासगंज: ग्राम पंचायत अधिकारी एवं विकास अधिकारी के पदों पर रिक्तियों के लिए निकाली गई सीधी भर्तियों पर ग्राम रोजगार सेवकों ने रोक लगाए जाने की मांग की है। रोजगार सेवकों ने खुद को नियमित राज्य कर्मचारी का दर्जा दिलाए जाने की मांग उठाई है।
मुख्यमंत्री के नाम संबोधित ज्ञापन में खंड विकास अधिकारियों को माध्यम बनाया है। ग्राम रोजगार सेवकों ने कहा है कि वर्ष 2005 में ग्राम रोजगार सेवकों को संविदा कर्मचारी के पदों पर भर्ती कराया गया था और उन्हें मानदेय दिया जाने लगा। आए दिन ग्राम पंचायत अधिकारियों व ग्राम विकास अधिकारियों की अनुपस्थिति रोजगार सेवकों को ही सारा काम देखना पड़ता है। ऐसे में उन्हें नियमित किया जाए। रोजगार सेवकों ने आंदोलन की चेतावनी दी है।
ज्ञापन देने वालों में दीपेश कुमार सिंह, मोहनलाल, महाराज सिंह, सुनील कुमार, मानपाल सिंह, राजवीर सिंह, जितेंद्र कुमार, नीरज कुमार, अखलेश, विजय कुमार, टीपी सिंह, जगदीश सिंह, जलसिंह, रामकुमार, पवन कुमार, अमित कुमार, पप्पी कुमारी, राजेंद्र कुमार, संतोष कुमारी, नितिन, मनमोहन, जगदीश प्रसाद, राजकुमार, रोहित कुमार, योगेश कुमार, नन्हेलाल है।


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रेट अब एक अक्टूबर को



Updated on: Fri, 20 Sep 2013 01:09 AM (IST)

गोरखपुर : वर्ष 2010 के बाद पहली बार होने जा रही पीएचडी प्रवेश परीक्षा यानी रेट अब एक अक्टूबर को संपन्न होगी। अब तक रेट के लिए 29 सितंबर की तिथि निर्धारित थी। शोध पात्रता परीक्षा के समन्वयक प्रो.एचएस शुक्ल ने बताया कि रेट की तिथि अब बदल गई है। अब यह एक अक्टूबर को सुबह सात से दस बजे तक आयोजित होगी।
परीक्षा के लिए आवेदन करने की तिथि 16 सितंबर को ही बीत चुकी है। इस बार सर्वाधिक विज्ञान वर्ग के विषयों सहित कुल 17 विषयों में पीएचडी सीटों के लिए प्रवेश परीक्षा कराई जानी है।




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नि:शक्तों को लुभाने में जुटी सरकार


-सरकारी महकमों मे नौकरी देने की कवायद हुई तेज
जागरण ब्यूरो, लखनऊ : लोकसभा चुनाव की आहट और छलांग लगाती महंगाई पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार ने भले ही भर्तियों पर रोक लगा दी है, लेकिन राज्य सरकार ने इससे इतर भर्तियों का पिटारा खोलने का निर्णय किया है।
दरअसल, यह कवायद सरकारी महकमों में डेढ़ दशक से खाली चल रहे नि:शक्तों के पदों को भरने के उद्देश्य से शुरू की गई है। सरकार छह माह के अंदर विभिन्न महकमों में 3500 नि:शक्तों को नौकरी देगी। महत्वपूर्ण बात यह है कि 455 नि:शक्तों को लोक सेवा आयोग के माध्यम से होने वाली भर्ती प्रक्रिया के तहत साहब बनने का भी मौका मिलेगा। मुख्य सचिव जावेद उस्मानी ने सभी पदों को छह माह में भरने की समय सीमा तय की है। उच्चाधिकारियोंसे कहा गया है कि तय सीमा में भर्ती प्रक्रिया पूरी कर सूचित करें। विदित हो कि पिछले दिनों नि:शक्तों के खाली पदों को भरने में सरकार की सुस्ती पर हाईकोर्ट ने भी नाराजगी जताई थी।
मॉनीटरिंग कमेटी रखेगी नजर : शासन ने भर्ती प्रक्रिया को तय अवधि में पूरा करने के लिए विकलांग कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव की अध्यक्षता पांच सदस्यीय मॉनीटरिंग कमेटी का गठन किया है। कमेटी में न्याय, कार्मिक और वित्त के सचिव को सदस्य, जबकि विशेष सचिव विकलांग कल्याण को संयोजक सदस्य नामित किया गया है।
कहां कितने पद हैं खाली : पंचायती राज-819, राजस्व-164, समाज कल्याण-22, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि-2, बेसिक शिक्षा-221, चिकित्सा शिक्षा-66, वन-17, श्रम 14, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास-53, वाणिज्यकर- 22, प्राविधिक शिक्षा 19, लघु उद्योग-7, नगर विकास-113, होमगार्ड- 16, न्याय-10, लघु सिंचाई 28, विकलांग कल्याण-2 खाली पद नि:शक्तों के चिह्नित किए जा चुके हैं। इसके अलावा शासन ने अन्य महकमों को तत्काल नि:शक्तों के खाली पदों को चिह्नित कर भर्ती प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए गए हैं।

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Upper Primary Teacher Recruitment UP : विसंगतियों के खिलाफ कोर्ट जाएंगे अभ्यर्थी


इलाहाबाद : सहायक अध्यापक उच्च प्राथमिक (गणित-विज्ञान) की भर्ती में सहायक अध्यापकों द्वारा विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण प्रमाण पत्र का प्रयोग करने पर बीएड मोर्चा ने आपत्ति जताई है। बीएड डिग्रीधारी विभिन्न विसंगतियों के खिलाफ हाईकोर्ट जाने की तैयारी में हैं।

बीएड मोर्चा का तर्क है कि इससे बीएड डिग्रीधारियों का इस भर्ती प्रक्रिया में अवसर सीमित हो गया है। बीएड मोर्चा ने इसके पीछे तर्क दिया है कि उच्च प्राथमिक कक्षा छह से आठ तक के लिए भर्ती हो रही है जिसके लिए बीएड खुद आधारभूत प्रशिक्षण है। विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण प्राप्त प्राथमिक विद्यालयों में नियुक्त शिक्षक इस भर्ती में विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण प्रमाण पत्र का प्रयोग कर रहे हैं। चूंकि यह भर्ती उच्च प्राथमिक विद्यालयों के लिए हो रही है जिसमें बीएड स्वयं आधारभूत प्रशिक्षण है जो इसके अध्यापकों के लिए पूर्ण प्रशिक्षण है।

अभ्यर्थियों का तर्क है कि इस प्रशिक्षण में सैद्धांतिक में मुश्किल से 20 फीसद प्रशिक्षुओं को सैद्धांतिक में प्रथम श्रेणी मिल पाती है। विशिष्ट बीटीसी का प्रशिक्षण महज छह माह का अर्हता प्रमाण पत्र है। यह प्रशिक्षण प्राथमिक विद्यालयों के लिए है। इस प्रशिक्षण में 99 फीसद प्रशिक्षुओं को सैद्धांतिक में प्रथम श्रेणी मिल जाता है। सहायता प्राप्त अनुदानित विद्यालयों में जहां पहले से सीधी भर्ती चली आ रही है वहां सिर्फ बीएड व बीटीसी ही योग्यता निर्धारित है। 1999 में विशिष्ट बीटीसी के शासनादेश में यह प्रशिक्षण मात्र अर्हता प्रमाण पत्र है। इसमें प्रशिक्षुओं को अंक पत्र तक नहीं दिया जाता। नियुक्त शिक्षक डायटों से अपना अंक पता करके आवेदन कर रहे हैं। बीएड डिग्रीधारकों ने अपने पक्ष में इसी तरह कई और तर्क दिए हैं। इन्हीं बिंदुओं और विसंगतियों को आधार बनाकर बीएड डिग्रीधारियों ने हाईकोर्ट जाने की योजना बनाई है

News Sabhaar : Jagran (19.9.13)


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विधान सभा में चार विधेयक पारित, परिषद की भी मुहर


जागरण ब्यूरो, लखनऊ : विधान सभा ने गुरुवार को चार विधेयकों को पारित कर दिया। इनमें उप्र गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक 2013, उप्र राज्य महिला आयोग (संशोधन) विधेयक 2013 और उप्र ग्रामीण आयुर्विज्ञान एवं अनुसंधान संस्थान, सैफई (संशोधन) विधेयक 2013 और उप्र कृषि उत्पादन मंडी (संशोधन) विधेयक 2013 शामिल हैं।
उधर विधान सभा से बुधवार को पारित चार विधेयकों को गुरुवार को विधान परिषद ने भी पारित कर दिया। विधान परिषद में पारित किये गए विधेयकों में उप्र चिकित्सा परिचर्या सेवाकर्मी और चिकित्सा सेवा संस्था (हिंसा और संपत्ति की क्षति का निवारण) विधेयक 2013, उप्र गो-सेवा आयोग (संशोधन) विधेयक 2013, उप्र मूल्य संवर्धित कर (संशोधन) विधेयक 2013 और उप्र लोक सेवा (अधिकरण) (संशोधन) विधेयक 2013 शामिल हैं। उप्र मूल्य संवर्धित कर (संशोधन) विधेयक 2013 को छोड़ बाकी तीन विधेयकों के बारे में नेता प्रतिपक्ष नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने सरकार से स्पष्टकीरण मांगा जिस पर सरकार के जवाब से असंतुष्ट होकर बसपा के सदस्यों ने बहिर्गमन किया।

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ई पोस्टिंग की चाह में दो महीने से वेतन नहीं



इलाहाबाद (ब्यूरो)। प्रदेश भर में अंतरजनपदीय स्थानांतरण के बाद जिलों को मिले शिक्षकों का अभी तक पदस्थापन नहीं हा सका है जिससे उनका वेतन जारी नहीं हो सका है। सभी शिक्षक जुलाई के पहले और दूसरे सप्ताह तक स्थानांतरण वाले जिलों में पहुंच गए हैं, ऐसे में उन्हें जुलाई और अगस्त माह का वेतन नहीं मिल सका है। अब 21 सितंबर से पदस्थापन के लिए काउंसलिंग तिथि घोषित हो जाने के बाद भी सितंबर का वेतन मिलने की उम्मीद कम है।

इससे स्कूलों में शिक्षण व्यवस्था पटरी से उतरी हुई है। अंतरजनपदीय तबादले के बाद लगभग 900 शिक्षक जिले को मिले हैं। यह शिक्षक जुलाई के मध्य तक अपनी मूल तैनाती से नई तैनाती के लिए रिपोर्ट कर चुके हैं। इन शिक्षकों को रिपोर्ट किए हुए दो महीने से अधिक का समय बीत जाने के बाद अभी तक नई पोस्टिंग नहीं हो सकी है। पोस्टिंग के लिए काउंसलिंग पूरी करने के बाद ही नई तैनाती दी जाएगी। प्रोन्नति एवं समायोजन पूरा नहीं होने से तैनाती पर असर पड़ रहा है।

उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश मंत्री देवेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि बृहस्पतिवार को बेसिक शिक्षा अधिकरी से मिला। इसके बाद बीएसए ने 21 सितंबर से काउंसलिंग कराने की घोषणा की है। 21 को महिला-पुरुष 22 सितंबर को विकलांग एवं 23 और 24 को सभी पुरुष उम्मीदवारों की काउंसलिंग होगी।

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