Monday, September 9, 2013

उर्दू शिक्षकों की भर्ती में आयु सीमा 62 वर्ष करने से लोग हैरान




नौकरी पाएंगे और चंद माह में हो जाएंगे रिटायर

अमर उजाला ब्यूरो

सीतापुर। शासन की ओर से उर्दू शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया 17 साल बाद हो रही है। भर्ती प्रक्रिया में आवेदन की आयु सीमा 62 साल निर्धारित कर दी गई है। 58 साल की उम्र पूरी कर चुके लोगों ने भी भर्ती प्रक्रिया में ऑनलाइन आवेदन कर दिया। कई ऐसे आवेदक भी हैं जिनकी उम्र 60 साल के आसपास है। 62 साल में रिटायरमेंट की अवधि रखी गई है। कई आवेदक तो नौकरी पाते ही चंद माह में सेवानिवृत्त भी हो जाएंगे। आवेदन करने वालों में ज्यादातर लोग 55 साल से ऊपर की आयु में हैं।

वहीं आवेदन के लिए अर्जी देने वाले युवा उर्दू स्नातक सरकार के इस फरमान से हैरत में हैं।

उर्दू स्नातकों की भर्ती के लिए निकाले गए विज्ञापन में आवेदकों की आयु सीमा बढ़ाकर 62 साल कर दी गई है। इस छूट के बाद कई उम्रदराज लोगों ने भी नौकरी की चाहत में ऑनलाइन आवेदन कर दिया। जिले में 107 उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति की जानी है, जबकि मौजूदा समय में जिले में 200 उर्दू स्नातक हैं। शर्त रखी गई है कि आवेदक ने 1997 से पूर्व उर्दू स्नातक की डिग्री ली हो। इसी का लाभ उठाकर कई उम्रदराज लोगों में भी नौकरी की हसरत जाग उठी। 58 साल की उम्र में ऑनलाइन आवेदन कर दिया। विभाग के एक अधिकारी की मानें तो उम्रदराज लोगों के चयन होने की स्थिति में ये लोग दूरदराज के इलाकों तक पढ़ाने कैसे पहुंचेंगे, इस पर भी मंथन होना चाहिए। विभागीय जानकारों के मुताबिक अक्तूबर 1996 के बाद पहला मौका होगा, जब खालिस उर्दू की तालीम पाने वाले आवेदकों को सरकारी नौकरी हासिल होगी।

मोआल्लिम--उर्द पास आवेदकों की आयु में छूट देकर 62 वर्ष कर दी गई है। कजियारा के सामाजिक कार्यकर्ता मंजर रिजवी कहते हैं कि संभव है कि नियुक्तियों का चुनावी लाभ मिले। पर बेहतरीन अवसर को कोई क्यों हाथ से जाने दे।

एक मदरसा संचालक कारी सलाउददीन का मानना है कि रिटायरमेंट की उम्र में बुजुर्ग शिक्षक दूरदराज के इलाकों में कैसे पढ़ाने जाएंगे। खुद थके होंगे, तो पढ़ाना मुश्किल भी होगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। वहीं कई अन्य आवेदकों का कहना है कि उम्रदराज लोग महज मेरिट बढ़ाएंगे। सरकार को सोचना चाहिए। इससे अन्य जरूरतमंदों को दिक्कतें होंगी।
 

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बेसिक स्कूलों में घट रहे बच्चे


लुभावनी योजनाओं से भी विश्वास नहीं जीत पा रही सरकार

वाराणसी। बेसिक स्कूलों में छात्र संख्या बढ़ाने के लिए सरकार भले ही विभिन्न प्रकार की योजनाएं चला रही हो लेकिन बच्चोें और अभिभावकों का विश्वास नहीं जीत पा रही है। शायद यही कारण है कि स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ने के बजाय घटती जा रही है। वाराणसी और मीरजापुर मंडल में पिछले तीन साल में 12 से 14 हजार बच्चे कम हो गए हैं जबकि पूरे प्रदेश के स्कूलों में 20 से 22 लाख बच्चों की संख्या घट गई है।
बेसिक स्कूलोें में विद्यार्थियों के लिए केंद्र और राज्य सरकार की ओर से नि:शुल्क किताबें, यूनिफार्म, छात्रवृत्ति एवं मध्याह्न भोजन जैसी योजनाएं संचालित की जा रही हैं। बच्चों को विद्यालयों से जोड़ने के लिए स्कूल चलो अभियान और आउट ऑफ स्कूल जैसे अभियान भी चलाए जा रहे हैं। बावजूद इसके सरकारी स्कूलों में न तो बच्चे पढ़ना चाहते हैं और अभिभावक पढ़ाना चाहते हैं। विभाग के सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में प्राथमिक और मिडिल स्कूलों में लगभग 20 से 22 लाख बच्चे कम हो गए हैं। सरकारी धनराशि डकारने के लिए बच्चों के दाखिले की फर्जी सूची स्कूलों से भेज दी जाती थी। शिकायत मिलने पर न्याय पंचायत से जिले स्तर तक इसकी मानीटरिंग शुरू कर दी गई, जिससे फर्जी प्रवेश पर कमी तो आई है लेकिन अभी पूरी तरह से नियंत्रण नहीं हो पाया।
रासेयो के स्वयंसेवकों ने किया जागरूक
वाराणसी। ‘कोई नहीं अशिक्षित हो, बच्चा-बच्चा शिक्षित हो’ एवं ‘पढ़े-लिखे हम बनें महान, भारत की हो ये पहचान’... आदि जोशीले नारों के साथ रविवार को राष्ट्रीय सेवा योजना की डीएवी पीजी कालेज की इकाई के स्वयंसेवकों ने साक्षरता रैली निकाली। यह रैली मैदागिन, कबीरचौरा, रामकटोरा होते हुए पुन: कालेज पहुंची।  Source: अमर उजाला ब्यूरो



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देश में आदर्श व्यवस्था का पालन कैसे हो ?


मेरे ख्याल से हमारे देश को ऐसा संविधान संसोधन करना चाहिए , जिस के तहत 
देश के प्रधान मंत्री और रास्ट्रपति  को देश की जनता सीधे चुन सके 

जिस से वह सिर्फ देश हित में अच्छे निर्णय ले सकें ( अमेरिका का कानून , इंग्लेण्ड  के कानून के बाद बना है और उसे इंग्लेण्ड  के कानून की खामियों को दूर करके ही बनाया गया होगा )


अभी जैसा  की संसद  में बिल पास हुआ  - दागी नेता पहले की तरह लड़ते रहेंगे चुनाव, चंद मिनटों में बिल पास - 



दागी नेता पहले की तरह लड़ते रहेंगे चुनाव, चंद मिनटों में बिल पास


मेरे ख्याल से -

राज्य सभा (उच्च सदन) में ऐसा प्रावधान होना चाहिए की उसके सदस्यों को  देश की जनता चुने और उनकी वोट डालने की न्यूनतम योग्यता स्नातक हो , अधिक योग्य जनता जैसे - परस्नातक  , डोक्टर 
इंजिनियर आदि  के वोट को अधिक अधिभार / वेटेज दिया जाये 

इस से  संविधान संसोधन वाले बिल देश हित में अच्छे तरह से पास हो सकेंगे । 

जनलोक पाल के दायरे में सभी लोग आयें सिर्फ ख़ुफ़िया विभाग / और डिफेन्स के महत्वपूर्ण विभाग , संवेदनशील विभाग आदि 

आर टी आई से सिर्फ सूचना प्राप्त की जा सकती है , मगर सही कार्य का पालन नहीं कराया जा सकता और पालन कराने के लिए  लिए फिर वही कोर्ट कानून कचहरी और सालों चक्कर लगाना 

जिस से देश के प्रधान मंत्री , रास्ट्रपति जनता के प्रति बेहतरीन  कार्य प्रस्तुत कर सकें और आदर्श के मामले में प्रथम स्थान पर हों 


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Outsourcing of Group D Employees is Unconstitutional : ग्रुप डी की भर्तियां बंद करना अवैधानिक चतुर्थश्रेणी पदों पर ‘आउट सोर्सिंग’ संबंधी शासनादेश रद्द


इलाहाबाद। सरकारी विभागों में चतुर्थश्रेणी कर्मचारियों की नियुक्ति बंद करने के फैसले को हाईकोर्ट ने अवैधानिक करार दिया है। कोर्ट ने प्रदेश सरकार द्वारा जारी आठ सितंबर 2010 के शासनादेश के पैरा दो को अवैधानिक और असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया है। इस आदेश के बाद से चतुर्थश्रेणी पदों पर आउट सोर्सिंग से काम कराने के सरकारी मंसूबे पर पानी फिर गया है। पुलिस विभाग में खानसामा और सफाईकर्मियों के पदों पर नियुक्ति के मामले में दाखिल की गई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने कहा कि सरकार का यह निर्णय संविधान के अनुच्छेद 14, और 16 के विपरीत होने के कारण असंवैधानिक है
‘आउट सोर्सिंग’ पर विस्तार से चर्चा करते हुए न्यायालय ने कहा कि इसका अर्थ है कि सरकार चतुर्थश्रेणी कर्मचारियों का कार्य मजदूर सप्लाई करने वाले ठेकेदारों के द्वारा कराना चाहती है। इस व्यवस्था से सिस्टम में तीसरे पक्ष का भी प्रवेश होगा। जाहिर है कि सरकार सेवा उपलब्ध कराने के लिए बाहर के लोगों का सहारा लेगी जिसके लिए उसे सेवाकर भी चुकाना होगा। इसलिए यह निर्णय मनमाना, अतार्किक और अकारण है तथा संविधान के अनुच्छेद 14 व 16 के विपरीत है
चतुर्थश्रेणी कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए सरकार ने विधायन बनाया है। इस वैधानिक व्यवस्था को एक शासनादेश के माध्यम से समाप्त करने को कोर्ट ने अवैधानिक करार दिया है।
पुलिस विभाग में चतुर्थश्रेणी के पदों पर आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों रावेंद्र सिंह और अन्य की याचिकाओं को स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति अग्रवाल ने पुलिस विभाग को निर्देश दिया है कि दो माह के भीतर याचीगणों को नियुक्तिपत्र जारी कर दिया जाए। याचीगणों ने खानसामा और सफाईकर्मी के पद पर आवेदन किया था। उनका चयन हो गया और सत्यापन भी करा लिया गया। इसके बाद भी नियुक्तिपत्र नहीं दिया गया। प्रदेश सरकार का कहना था कि छठवें वेतन आयोग की संस्तुतियों को स्वीकार करते हुए उसने ग्रुप डी के पदों पर नियुक्ति बंद कर दी है। इन पदों पर कार्यरत कर्मचारियों को गुप सी में प्रोन्नति दी जाएगी

News Sabhaar : अमर उजाला (7.9.13)
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Saturday, September 7, 2013

शिक्षक पदों के लिए चार लाख ने कराया पंजीकरण




जूनियर हाईस्कूल के लिए 30 सितम्बर तक एवं उर्दू शिक्षकों के लिए इच्छुक अभ्यर्थी 10 सितम्बर तक कर सकते हैं आवेदन
इलाहाबाद (एसएनबी) जूनियर हाईस्कूल में विज्ञान एवं गणित विषय के 29,334 शिक्षक पदों के लिए बृहस्पतिवार तक 4,29,289 पंजीकरण हुआ। 26,512 आवेदन प्राप्त हुए। परिषद को उम्मीद है कि इन पदों के लिए 10 लाख के आसपास आवेदन आयेंगे। इसके साथ ही प्राथमिक विद्यालयों में उर्दू शिक्षकों के 4,280 पदों के लिए 1,21,848 पंजीकरण हुए। 66,023 आवेदन आये। प्रदेश के जूनियर हाईस्कूलों के लिए बृहस्पतिवार को भी अभ्यर्थियों द्वारा आवेदन करने का सिलसिला जारी रहा। बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव संजय सिन्हा के मुताबिक बृहस्पतिवार को पंजीकरण काआकड़ा चार लाख, 29,289 पहुंच गया। साथ ही आवेदन पत्रों की संख्या भी 26,512 पहुंच गयी। शिक्षकों के गणित उर्दू विषय के लिए 28 तक पंजीकरण किये जा सकेंगे एवं 30 सितम्बर तक आवेदन पत्र भेजे जा सकते हैं। उर्दू शिक्षकों के लिए 10 सितम्बर तक पंजीकरण कर सकते हैं और 12 सितम्बर तक चालान जमा किये जा सकते हैं। आवेदन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि 16 सितम्बर निर्धारित की गयी है। अब नहीं करना होगा उत्तीर्ण प्रतिशत का उल्लेख : जूनियर हाईस्कूल में गणित-विज्ञान विषय के शिक्षक पदों के लिए आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों को अब उत्तीर्ण प्रतिशत नहीं लिखना पड़ेगा। अब उन्हें आवेदन करते समय सिर्फ पूर्णाक प्राप्तांक का उल्लेख करना होगा। यह जानकारी बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव संजय सिन्हा ने दी। उनके मुताबिक इस व्यवस्था को आज से ही प्रभावी बना दिया गया है। उनके मुताबिक ऐसा इसलिए किया गया कि विभिन्न विश्वविद्यालयों के पूर्णाक अलग- अलग होते हैं, जिसके वजह से अभ्यर्थियों को इसको निकालकर लिखने में दिक्कत हो रही थी।


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ग्रुप डी की भर्तियां बंद करना अवैधानिक

 
इलाहाबाद। सरकारी विभागों में चतुर्थश्रेणी कर्मचारियों की नियुक्ति बंद करने के फैसले को हाईकोर्ट ने अवैधानिक करार दिया है। कोर्ट ने प्रदेश सरकार द्वारा जारी आठ सितंबर 2010 के शासनादेश के पैरा दो को अवैधानिक और असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया है। इस आदेश के बाद से चतुर्थ श्रेणी पदों पर आउट सोर्सिंग से काम कराने के सरकारी मंसूबे पर पानी फिर गया है। पुलिस विभाग में खानसामा और सफाईकर्मियों के पदों पर नियुक्ति के मामले में दाखिल की गई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने कहा कि सरकार का यह निर्णय संविधान के अनुच्छेद 14, और 16 के विपरीत होने के कारण असंवैधानिक है।
आउट सोर्सिंगपर विस्तार से चर्चा करते हुए न्यायालय ने कहा कि इसका अर्थ है कि सरकार चतुर्थश्रेणी कर्मचारियों का कार्य मजदूर सप्लाई करने वाले ठेकेदारों के द्वारा कराना चाहती है। इस व्यवस्था से सिस्टम में तीसरे पक्ष का भी प्रवेश होगा। जाहिर है कि सरकार सेवा उपलब्ध कराने के लिए बाहर के लोगों का सहारा लेगी जिसके लिए उसे सेवाकर भी चुकाना होगा। इसलिए यह निर्णय मनमाना, अतार्किक और अकारण है तथा संविधान के अनुच्छेद 14 16 के विपरीत है।
चतुर्थश्रेणी कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए सरकार ने विधायन बनाया है। इस वैधानिक व्यवस्था को एक शासनादेश के माध्यम से समाप्त करने को कोर्ट ने अवैधानिक करार दिया है।
पुलिस विभाग में चतुर्थश्रेणी के पदों पर आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों रावेंद्र सिंह और अन्य की याचिकाओं को स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति अग्रवाल ने पुलिस विभाग को निर्देश दिया है कि दो माह के भीतर याचीगणों को नियुक्तिपत्र जारी कर दिया जाए।
याचीगणों ने खानसामा और सफाईकर्मी के पद पर आवेदन किया था। उनका चयन हो गया और सत्यापन भी करा लिया गया। इसके बाद भी नियुक्तिपत्र नहीं दिया गया।
Source:  अमर उजाला ब्यूरो



हाईकोर्ट ने चतुर्थ श्रेणी पदों परआउट सोर्सिंगसंबंधी शासनादेश किया रद्द


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पांच हजार पदों पर जल्द होगी भर्ती!...

 बीटीसी, विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षुओं से भरे जाएंगे पद....
इलाहाबाद। यूपी शिक्षक पात्रता परीक्षा-2013 को उत्तीर्ण करनेवाले बीटीसी और विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षुओं के लिए राहत भरी खबर है। परिषदीय विद्यालयों मेंसहायक अध्यापक बनने का उनका सपना जल्द ही पूरा होगा। टीईटी पास बीटीसी और विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षुओं के लिए पांच हजार पदों की भर्ती के लिए शिक्षा निदेशालय से प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज दिया गया है। बस वहां से अंतिम मुहर लगनी बाकी है।
बीटीसी और विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षुओं के लिए पूर्व में 9770 और 10800 पदों के लिए भर्तियां निकाली गईं थी। जिसमें9,770 पदों में 7,500 और 10,800 पदों में से 3500 पद ही भरे जा सके।इसकी वजह बीटीसी और विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षुओं का टीईटी पास होना था। टीईटी-2013 पास करने बाद एक बार फिर से इनके लिए नियुक्ति के रास्ते खुल गए हैं। तकरीबन पांच हजार बीटीसी और विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षुओं ने 2013 की टीईटी पास की है। बेसिक शिक्षा परिषद सचिव संजय सिन्हा ने इन पदों पर भर्ती के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा है। तैयारी है कि गणित और विज्ञान के 29 हजार पदों पर भर्ती के बाद इन पदों पर नियुक्तियां हो सकती हैं।


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