Saturday, August 3, 2013

जिले में चल रहे प्ले ग्रुप, नर्सरी और केजी स्कूल अवैध


RTEफर्रुखाबाद: नगर में ढिंढोरा और घर में धरो बोरा, यह देशी कहावत जिले में राजस्व के झूझ रहे अधिकारिओ के लिए सही साबित हो रही है| जिले में चल रहे लगभग सभी 300 प्री प्राइमरी स्कूल बिना मान्यता लिए बिना संचालित हो रहे है| मुख्य सचिव के वर्ष 2011 के शासनादेश के मुताबिक शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत प्री प्राइमरी (हिंदी मीडियम एवं अंग्रेजी मीडियम दोनों) स्कूलों को बिना मान्यता लिए संचालित करना अवैध कर मान्यता के लिए नियम शर्तो का हवाला जारी किया गया था| किन्तु बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी इस आदेश को कूड़ेदान में डाल चुप्पी साध गए| अलबत्ता जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय फर्रुखाबाद द्वारा उपलब्ध करायी गयी जानकारी के अनुसार जनपद में एक भी स्कूल ने अभी तक मान्यता नहीं ली है| बिना मान्यता के स्कूल संचालित करने पर 1 लाख तक का जुर्माने का प्राविधान शिक्षा के अधिकार अधिनियम में किया गया है| यदि इन 300 स्कूलों पर जुर्माना कर दिया जाए तो सरकार के खाते में 3 करोड़ रुपये एक मुस्त आ सकते है|
  
बिना मान्यता लिए चल रहे स्कूल शिक्षा के अधिकार अधिनियम को दिखा रहे ढेंगा-
चौकाने वाली बात जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के बाबू जो शिक्षा का अधिकार का पटल देख रहे है ने बताया कि स्कूल इस अधिनियम के तहत मुफ्त शिक्षा देने के प्रवेश के प्रार्थना पत्र इस बात पर भी लौटा देते है कि उन्होंने बेसिक शिक्षा विभाग के कोई मान्यता नहीं ली है लिहाजा उनके ऊपर कोई कानून नहीं लागू होता| मगर जानकारी के लिए बता दे कि ये अधिनियम सभी प्रकार के स्कूलों पर लागू किया गया है| ऐसी हालात में भी अगर जिले स्तर के अधिकारी जिनके कंधो पर इस अधिनियम को लागू कराने की जिम्मेदारी है (जिलाधिकारी, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी और जिला विद्यालय निरीक्षक) कान में तेल डाले बैठे है इससे भी इन सब की बच्चो की शिक्षा के प्रति सम्वेदनशीलता का अंदाजा लगाया जा सकता है|
अफसर कहते है उन्हें जानकारी नहीं-
इतना ही नहीं शायद ही कोई अधिकारी हो जिनके बच्चे इन प्री प्राइमरी में न पढ़ते हो मगर ये कह देना कि उनकी जानकारी में स्कूल नहीं है शायद बेहयाई और अपने पद के प्रति जबाबदेही से बचने की इससे बड़ी मिशाल नहीं हो सकती| नगर क्षेत्र के खंड शिक्षा अधिकारी प्रवीण शुक्ल का कहना है कि मान्यता तो एक भी नहीं है मगर उनकी जानकारी में एक भी स्कूल नहीं है| लानत है कि इस अधिकार के तहत एक भी बच्चे का दाखिला नहीं हो पाया है|


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Friday, August 2, 2013

यूपी: 4260 उर्दू शिक्षकों की भर्ती, जानिए कौन होंगे पात्र?

 उत्तर प्रदेश के लखनऊ में राज्य सरकार मोअल्लिम-ए-उर्दू वालों को प्राइमरी स्कूलों में उर्दू शिक्षक के पद पर इसी माह तैनाती प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी में है।
मोअल्लिम वालों के लिए 4280 शिक्षक के पद आरक्षित कर दिए गए हैं। आवेदन ऑनलाइन ही लिए जाएंगे। ऐच्छिक जिलों में आवेदन की छूट होगी।
इसके लिए 11 अगस्त 1997 से पूर्व वाले ही पात्र होंगे। बेसिक शिक्षा परिषद ने जिलेवार पदों के साथ शासन को प्रस्ताव भेज दिया है। टीईटी रिजल्ट आने के तुरंत बाद भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी, ताकि उन्हें शीघ्र ही शिक्षक बना दिया जाए।
 
उत्तर प्रदेश में मोअल्लिम वालों को शिक्षक पद के लिए अपात्र मान लिया गया था। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में वाद भी चल रहा था, लेकिन इसे वापस लेकर मोअल्लिम को शिक्षक पद के लिए पात्र मान लिया गया।
अल्पसंख्यक समुदाय के पास यह उपाधि होने की वजह से सरकार इन्हें जल्द शिक्षक बनाना चाहती थी, लेकिन टीईटी के चलते इसमें अड़ंगा आ रहा था। राज्य सरकार ने बीच का रास्ता निकालते हुए मोअल्लिम वालों के लिए भाषा टीईटी आयोजित की।
टीईटी का रिजल्ट 10 अगस्त को आने की संभावना है। इसके पहले बेसिक शिक्षा परिषद मोअल्लिम वालों को शिक्षक पद पर भर्ती प्रक्रिया के लिए सभी जरूरी औपचारिकताएं पूरी कर लेना चाहती है।
बड़े जिलों में उर्दू शिक्षक के अधिक पद हैं। मोअल्लिम वालों के लिए मेरिट का मानक नहीं रखा गया है। इसके लिए केवल 11 अगस्त 1997 के पहले वाले ही पात्र होंगे।

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आरक्षण का मामला न्यायालय में निस्तारित



इलाहाबाद(ब्यूरो)। लोक सेवा आयोग द्वारा सिविल सेवा परीक्षाओं में आरक्षण लागू करने की नई नीति के मामले पर हाईकोर्ट में दाखिल याचिकाएं बृहस्पतिवार को निस्तारित कर दी गईं। न्यायालय ने कहा कि आयोग द्वारा दाखिल हलफनामे से साफ है कि उसने 27 मई 2013 का प्रस्ताव वापस ले लिया है। इस स्थिति में याचिका पर अब विचार करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि विवाद का कारण समाप्त हो चुका है। सुधीर कुमार सिंह और अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति लक्ष्मीकांत महापात्रा और न्यायमूर्ति राकेश श्रीवास्तव की खंडपीठ ने दिया है।
याची के अधिवक्ता सुरेश चंद्र श्रीवास्तव ने आयोग के हलफनामे की ओर न्यायालय का ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि आयोग ने हलफनामे में स्वयं स्वीकार किया है कि प्रस्ताव लागू करने के बाद और वापस लेने के बीच में कई बदलाव हुए हैं। पीसीएस 2011 मुख्य परीक्षा का परिणाम इस दौरान घोषित किया गया। फैसला लागू करने के गंभीर परिणाम सामने आने के बाद इसे वापस लेना पड़ा। आयोग ने निर्णय तब वापस लिया जब समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने उनको लखनऊ तलब करके वार्ता की। इस प्रकार से यह निर्णय राजनीतिक दबाव में वापस लिया गया है। कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक मामलों से न्यायालय का कोई लेना देना नहीं है। चूंकि निर्णय वापस हो चुका है इसलिए वाद का कोई आधार नहीं बचा है।उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग द्वारा सिविल सेवा परीक्षाओं में आरक्षण का त्रिस्तरीय फार्मूला लागू करने संबंधी प्रस्ताव 27 मई को लागू किया था।
आरक्षण समर्थकों ने बरेली पैसेंजर में लगाई आग
इलाहाबाद। लखनऊ में प्रदर्शन कर लौट रहे आरक्षण समर्थकों ने बृहस्पतिवार की भोर में बरेली पैसेंजर में भी जमकर बवाल काटा। एमएनएनआईटी के पास चेन पुलिंग कर ट्रेन रोक ली और गाड़ी पर पथराव शुरू कर दिया। यात्रियों के उतरने के बाद नारेबाजी कर रहे आरक्षण समर्थकों ने ट्रेन के एक कोच में आग लगा दी। इसके बाद वे मौके से भाग गए। ट्रेन के ड्राइवर और गार्ड ने किसी तरह आग पर काबू पाया। इसके बाद ट्रेन को प्रयाग स्टेशन पहुंचाया जा सका। बाद में जले हुए कोच को पीआरएल पैसेंजर से लखनऊ रवाना कर दिया गया। घटना में ट्रेन के गार्ड एसएन यादव ने जीआरपी में अज्ञात लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई है।
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मोअल्लिम के लिए अरक्षित हुए 4280 शिक्षक के पद

बेसिक शिक्षा परिषद ने शासन को भेजा प्रस्ताव
टीईटी रिजल्ट आते ही शुरू होगी भर्ती प्रक्रिया
ऑनलाइन लिए जाएंगे आवेदन

लखनऊ। राज्य सरकार मोअल्लिम-ए-उर्दू वालों को प्राइमरी स्कूलों में उर्दू शिक्षक के पद पर इसी माह तैनाती प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी में जुट गई है। मोअल्लिम वालों के लिए 4280 शिक्षक के पद आरक्षित कर दिए गए हैं। मोअल्लिम वालों से भी ऑनलाइन आवेदन लिए जाएंगे। ऐच्छिक जिलों में आवेदन की छूट होगी। इसके लिए 11 अगस्त 1997 से पूर्व वाले ही पात्र होंगे। बेसिक शिक्षा परिषद ने जिलेवार पदों के साथ शासन को प्रस्ताव भेज दिया है। टीईटी रिजल्ट आने के तुरंत बाद भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी, ताकि उन्हें शीघ्र ही शिक्षक बना दिया जाए।
अखिलेश सरकार के एजेंडे में अल्पसंख्यक हैं। इसलिए इनके लिए योजनाएं लाने से लेकर सौगात तक देने में कोई देरी नहीं की जा रही है। उत्तर प्रदेश में मोअल्लिम वालों को शिक्षक पद के लिए अपात्र मान लिया गया था। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में वाद भी चल रहा था, लेकिन इसे वापस लेकर मोअल्लिम को शिक्षक पद के लिए पात्र मान लिया गया। अल्पसंख्यक समुदाय के पास यह उपाधि होने की वजह से सरकार इन्हें जल्द से जल्द शिक्षक बनाना चाहती थी, लेकिन टीईटी के चलते इसमें अड़ंगा आ रहा था। राज्य सरकार ने बीच का रास्ता निकालते हुए मोअल्लिम वालों के लिए भाषा टीईटी आयोजित किया।
टीईटी का रिजल्ट 10 अगस्त को आने की संभावना है। इसके पहले बेसिक शिक्षा परिषद मोअल्लिम वालों को शिक्षक पद पर भर्ती प्रक्रिया के लिए सभी जरूरी औपचारिकताएं पूरी कर लेना चाहती है। परिषद ने जिलेवार रिक्तियों का प्रस्ताव शासन को भेज दिया है।


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4th Aug Lucknow chalo

Thursday, August 1, 2013

जिला प्रशासन ने कूड़ेदान में डाल दिया शिक्षा का अधिकार अधिनियम, प्रगति शून्य


Right ro Educationफर्रुखाबाद: गरीबो और कमजोर वर्ग की जनता को मुफ्त शिक्षा दिलाने के लिए बनाया गया शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 कम से कम फर्रुखाबाद के अफसरों ने तो कूड़े के ढेर में डाल दिया है| शासन से आई चिट्ठियो को एक दूसरे अधिनस्थो को मार्क करने के सिवाय इस अधिनियम का लाभ जनता को दिलाने के लिए कोई काम नहीं किया गया| अलबत्ता नतीजा ये है कि फर्रुखाबाद में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (अधिनियम में वर्णित जिला शिक्षा अधिकारी) और जिला शिक्षा समिति के अध्यक्ष (जिलाधिकारी) के पास अपनी सफलता बताने के लिए एक भी एडमिशन इस योजना में 1 अगस्त तक नहीं है|
ऐसा नहीं कि अफसर काम नहीं कर रहे| हर रोज दौड़ रहे है| मगर गरीब और कमजोर वर्ग की जनता के बच्चो के लिए जितना प्रयास होना चाहिए था, शायद नहीं हुआ| इतना ही नहीं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी तो ये आकड़े जुटाने तक में नाकामयाब रहे कि जिले में स्व वित्त पोषित विद्यालयों में कक्षावार कितनी सीटे है| इन्ही सीटो के आधार पर 25 प्रतिशत कमजोर और गरीब श्रेणी के बच्चो को स्कूल में प्रवेश दिलाना जिला शिक्षा समिति की जिम्मेदारी थी| मगर जिले में 1 अगस्त 2013 तक एक भी प्रवेश इस योजना में नहीं हो पाया|
 



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UPTET 2013 Declaration of Result till 10th August 2013

एक स्कूल ऐसा भी जहां सजा के रूप में छात्राओं को देना होता है सचिव को चुंबन

Kissदिल्ली: तमिलनाडू के तिरुपुर में एक निजी स्कूल के एक 43 वर्षीय सचिव के कार्यों का वर्णन करने के लिए बहुत सूक्ष्म एक शब्द है ‘घिनौना’| .यहा देर से आने के लिए सजा के रूप में स्कूल की कक्षा 10 में अध्ययनरत छात्राओं चुंबन के रूप में यातना भुगतनी होती है|
त्रिपुर पुलिस के अनुसार कथिरेसान विद्यालय प्रबंध समिति का सचिव है, जो कि देर से आने वाली छात्राओं को अपने कक्ष में बुलाता है व वहां उनको देर से आने की सजा के तौर पर ‘चुम्बन’ की यातना से गुजरना पड़ता है। एक पुलिस अधिकारी के अनुसार लड़कियो ने बताया है कि कथिरेसान कहता है कि चुम्बन देर से आने की सजा है। लड़कियों ने इस घटना की जानकारी अपनी क्लास टीचर ल़क्षमी को दी, परंतु उन्होंने भी कोई सकारात्मक उत्तर नहीं दिया। तब लड़कियों ने मामले के विषय में अपने अभिभावकों को जानकारी दी।
प्रकरण की जानकारी होने पर अभिभावकों ने विद्यालय में प्रदर्शन कर विद्यालय सचिव की गिरफ्तारी की मांग की। अभिभावकों ने विद्यालय सचिव कथिरेसान को उसके कार्यालय में जाकर दबोच लिया व जमकर धुनाई भी की। सूचना पर उत्तरी त्रिपुर पुलिस के उपनिरीक्षक क्रष्णावेणी ने पुलिस बल के साथ मौके पर पहुचं कर कथिरेसान को अपनी कस्टडी में लिया व बाद में गिरफ्तार दिखा दिया।


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