Thursday, July 18, 2013

शिक्षकों के रिटायरमेंट की उम्र 65 साल नहीं होगी

नई दिल्ली। डिग्री कॉलेज शिक्षकों की रिटायरमेंट की उम्र 65 वर्ष किए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को बड़ी राहत प्रदान की है। सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि रिटायरमेंट की उम्र तय करने का अधिकार सूबे की सरकारों को है। छठे वेतन आयोग में शिक्षकों के कार्यकाल की अवधि को बढ़ाए जाने की सिफारिश को लागू करना या न करना राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में है। याद रहे कि उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार को छोड़कर अन्य राज्यों ने शिक्षकों की रिटायरमेंट की उम्र को 65 साल नहीं किया है।
चीफ जस्टिस अल्तमस कबीर, जस्टिस एफएमआई कलीफुल्ला व जस्टिस विक्रमजीत सेन की पीठ ने उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों के डिग्री कॉलेज अध्यापकों की ओर से दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया। पीठ ने कहा कि वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने का अधिकार राज्य सरकार को है। इन सिफारिशों में सेवानिवृत्ति की उम्र को बढ़ाया जाना भी शामिल है। साथ ही उसने साफ किया कि इस मामले में यूजीसी का कोई लेना देना नहीं है और राज्य सरकारें इस मामले में फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं। इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि यूपी में सरकारी डिग्री कॉलेजों में शिक्षकों की रिटायरमेंट की उम्र 60 जबकि अन्य डिग्री कॉलेजों में 62 साल ही रहेगी। इन याचिकाओं में छठे वेतन आयोग में केंद्र की ओर से शिक्षकों के रिटरयरमेंट की उम्र की अवधि 65 साल किए जाने की सिफारिश लागू किए जाने के लिए राज्य सरकारों को निर्देश देने की मांग की गई थी। हालांकि 14 अगस्त, 2012 को केंद्र ने 65 वर्ष तक कार्यकाल किए जाने की सिफारिश को वापस ले लिया था। यूपी सरकार ने 2009 में अधिसूचना जारी कर 65 वर्ष तक कार्यकाल किए जाने की सिफारिश को छोड़कर अन्य सभी को लागू कर दिया। केंद्र ने 31 दिसंबर, 08 में छठा वेतन आयोग 2006 से लागू करने के संबंध में अधिसूचना जारी की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा उम्र तय करना राज्य सरकारों का अधिकार

 
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बीटीसी : गलती सुधार के लिए नहीं होगी जेब ढीली

  • दोबारा आवेदन कर सकेंगे लेकिन इसके लिए नहीं देना होगा शुल्क

  • बेसिक शिक्षा मंत्री ने सशर्त अनुमोदित किया प्रस्ताव1


जागरण ब्यूरो, लखनऊ : बीटीसी 2013 के लिए ऑनलाइन आवेदन करने में गलती करने वाले अभ्यर्थियों के लिए यह राहत भरी खबर है। उन्हें अब अपनी गलती सुधारने का मौका मिलेगा लेकिन इसके लिए उन्हें जेब नहीं ढीली करनी होगी। 1बीटीसी 2013 चयन प्रक्रिया के बारे में राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने शासन को प्रस्ताव भेजा था। प्रस्ताव के मुताबिक अभ्यर्थियों को बीटीसी में दाखिले के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा। प्रस्ताव में अभ्यर्थियों को ऑनलाइन आवेदन में की गई गलती को सुधारने की भी सुविधा दी गई है। यदि अभ्यर्थी फार्म भरकर उसे लॉक करने के बाद भी अपने पूर्व में भरे गए आवेदन पत्र में गलती के कारण नया फार्म भरना चाहता है, तो उसे पूर्व प्रक्रिया के तहत आनलाइन पंजीकरण कराते हुए आवेदन पत्र भरकर तथा उसका शुल्क भी फिर से जमा करना होगा। 1ऐसी स्थिति में अभ्यर्थी द्वारा पूर्व के आवेदन पत्रों को अमान्य करते हुए केवल अंतिम आवेदन पत्र को ही मान्य किया जाएगा। 1गौरतलब है कि प्रस्ताव में बीटीसी के ऑनलाइन आवेदन के लिए सामान्य और अन्य पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों से 300 रुपये तथा अनुसूचित जाति/जनजाति से 200 रुपये फीस लेने का इरादा जताया गया है। 1बेसिक शिक्षा मंत्री ने प्रस्ताव को इस शर्त के साथ अनुमोदित किया है कि अभ्यर्थियों को ऑनलाइन आवेदन में गलती को सुधारने के लिए फिर से ऑनलाइन आवेदन की सुविधा तो दी जाए लेकिन इसके लिए उनसे दोबारा शुल्क न जमा कराया जाए। मंत्री द्वारा प्रस्ताव को अनुमोदित करने के बाद जल्द ही शासनादेश जारी होने की संभावना है।


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25 जुलाई तक बीटीसी शिक्षको को नियुक्ति के आदेश

FARRUKHABAD : परि‍षिदीय प्राथमिक विद्यालयों में 10800 सहायक अध्‍यापकों के चयनोपरान्‍त नियुक्ति आदेश जारी करने की अन्‍ति‍म ति‍थि‍ 25 जुलाई कर दी गई है. इस सम्बन्ध में सचिव, उ0प्र0 बेसिक शिक्षा परि‍ष्‍द, इलाहाबाद द्वारा आदेश जारी कर दिए गए है.
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उत्‍तर प्रदेश द्वारा संचालित प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्‍यापकों के पदों पर द्विवर्षीय बी0टी0सी0/वि0बी0टी0सी0/द्विवर्षीय बी0टी0सी0उर्दू प्रवीणताधारियों के डिजिटल हस्‍ताक्षरोपरान्‍त नियुक्ति आदेश जारी करने के आदेश सचिव, उ0प्र0 बेसिक शिक्षा परि‍ष्‍द, इलाहाबाद द्वारा जारी कर दिये गये है, जारी आदेश के क्रम में अवगत कराया है कि जिन अध्‍यापकों की काउन्‍सलिंग दि0 21 जून  एवं 28 जून 2013 को कराई गई और मूल अभिलेख जमा कर लिये गये है, उनको रिक्तियों के सापेक्ष विद्यालय आवटिंत कर डिजिट हस्‍ताक्षरयुक्‍त नियुक्ति पत्र तत्‍काल निर्गत कर दिये जाये| नि‍युक्‍ि‍त प्रक्रि‍या दि‍0 25 जुलाई 2013 तक अनि‍वार्य रूप से पूर्ण कर ली जाये।


Wednesday, July 17, 2013

अब फेल छात्रों को नहीं मिल सकेगा मौका


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लखनऊ: यूपी बोर्ड ने हाईस्कूल परीक्षा परिणाम को लेकर कुछ महत्वपूर्ण फैसले किए हैं। अगली परीक्षा से फेल परीक्षार्थियों को परिणाम सुधारने का मौका नहीं मिलेगा। बोर्ड इम्प्रूवमेंट, कंपार्टमेंट व क्रेडिट के लाभ पर ताला लगाने जा रहा है।
हाईस्कूल परीक्षा परिणाम व व्यक्तिगत प्राप्तांक प्रतिशत सुधारने के लिए बोर्ड ने 2009-10 में ग्रेडिंग प्रणाली लागू कर फेल छात्रों को उत्तीर्ण होने के कुछ और अवसर दिए। यह प्रयोग फेल साबित हुए तो बोर्ड ने इस बार की आम सभा में उन्हें बंद करने का फैसला किया। पिछले सत्र तक लागू व्यवस्था के मुताबिक हाईस्कूल परीक्षा में हिंदी समेत पांच विषयों में न्यूनतम डी ग्रेड पाने वाले छात्रों के अंकपत्र पर उत्तीर्ण लिखा होता है। इससे नीचे ई-1 व ई-2 ग्रेड पाने वाले छात्र अनुत्तीर्ण माने गए। तीन या तीन से अधिक विषयों में फेल के अंकपत्र पर ‘फेल एंड इजबिल फार क्रेडिट’ लिखा जा रहा है। ऐसे छात्र अगले तीन साल में फेल विषयों की परीक्षा दे सकते हैं। यह अवसर उसे मुख्य परीक्षा में ही दिया जा रहा है। तीन साल के बाद व्यक्तिगत परीक्षा दे सकते हैं। बोर्ड ने अनुत्तीर्ण छात्रों को मिल रहे इन सभी अवसरों को बंद करने का फैसला किया है। परीक्षा में लागू ग्रेडिंग प्रणाली में हिंदी में उत्तीर्ण (न्यूनतम 33 फीसद अंक) होना अनिवार्य है। हिंदी से इतर अन्य एक विषय में फेल को जुलाई में इंप्रूवमेंट परीक्षा का मौका मिलता है यह व्यवस्था अगले साल से खत्म हो जाएगी। आम सभा में पारित प्रस्तावों को बोर्ड शासन के पास भेज रहा है।
  
हाईस्कूल परीक्षा परिणाम में लगातार सुधार हो रहा है। पिछले सालों में तीन से चार हजार बच्चे ही इंप्रूवमेंट या कंपार्टमेंट के लिए मिले। उनकी पूरे प्रदेश में परीक्षा कराने में दिक्कत होती है। इसीलिए अगले सत्र से इन्हें खत्म करने का फैसला लिया गया है।
-वासुदेव यादव, निदेशक यूपी बोर्ड
 
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अनुदेशक भर्ती में हुई शिकायत: शिक्षक नेता के पुत्र ने कैरियर की शुरुआत ही फर्जीवाड़े से की

फर्रुखाबाद: अनुदेशक भर्ती में भी सैकड़ो शिक्षक फर्जीवाड़े की दम पर नौकरी पाने में कामयाब हो गए| हालात और चौकाने वाले तब कहे जा सकते है जब जोइनिंग से पहले ही विभाग को शिकायत मिल गयी हो और बाबजूद इसके नियुक्ति पत्र थमा दिया जाए| जनपद में बेसिक शिक्षा में नियुक्ति पा गए ऐसे दो और अनुदेशको की शिकायत जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से की गयी है जो डायट से बी टी सी का प्रशिक्षण भी पा रहे है और अनुदेशक के तौर पर भी नौकरी ज्वाइन कर ली है| ये है मोहित यादव और अर्दीप| मोहित यादव शिक्षक नेता विजय बहादुर यादव के पुत्र बताये जा रहे है| शिकायत की प्रतिया मुख्यमंत्री से लेकर बेसिक शिक्षा परियोजना निदेशालय तक भेजी गयी है| खबर है कि दोनों ने जोइनिंग तो कर ली है मगर बच्चो को इसका लाभ नहीं पा रहा है क्योंकि ये दोनों स्कूल भी नहीं जा रहे है|
शिकायतकर्ता सौरभकान्त चतुर्वेदी, प्रदीप यादव और सचिन गंगवार ने संयुक्त रूप से जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को गत ६ जुलाई को लिखित सूचित किया कि अंशकालीन अनुदेशक के शारीरिक शिक्षा के पद पर काउंसलिंग करा चुके मोहित यादव पुत्र विजय बहादुर यादव (क्रम स 19) और अर्दीप पुत्र नरेन्द्र सिंह (क्रम स० 11) डायट छिबरामऊ से बी टी सी की ट्रेनिंग प्राप्त कर रहे है| ट्रेनिंग के दौरान अभ्यर्थी के सभी मूल शैक्षिक प्रमाण पत्र डायट में जमा होते है| इसके बाबजूद दोनों ने डायट को गुमराह करके मूल दस्ताबेज हासिल किये और काउंसलिंग कराने में कामयाब हो गए| एक ही समय पर दोनों काम कैसे सम्भव है| बी टी सी की ट्रेनिंग की रेगुलर कक्षाए और बच्चो को स्कूल में पढ़ाने का काम एक साथ कैसे हो सकता है| इन दोनों ने नियमवाली के विरुद्ध काम किया है| लिहाजा वे मांग करते है कि दोनों का आवेदन निरस्त किया जाए या वे बी टी सी छोड़े|
  
बात फर्जीवाड़े की है| शिक्षक संघ का नेता का पुत्र ये करे तो सवाल उठना लाजिमी है| क्या इसीलिए शिक्षक नेतागिरी करता है ताकि उसके प्रभाव से गलत काम को करा सके| शायद इसीलिए अब जनपद में बेसिक शिक्षा परिषद् की नेतागिरी बेअसर हो गयी है| यदि ये आरोप सही है तो न केवल दोनों के आवेदन निरस्त किया जाना चाहिए बल्कि दोनों के विरुद्ध धोखाधड़ी का मामला भी दर्ज किया जाना चाहिए| इसी के साथ दोनों की काउंसलिंग से पहले विभाग को सूचना देने के बाबजूद काउंसलिंग और नियुक्ति पत्र जारी करने के पीछे की मंशा की भी सतकर्ता विभाग से जाँच की जानी चाहिए| गड़बड़ी की सूचना मिलने के बाबजूद नियुक्ति पा जाना निश्चित रूप से भ्रष्टाचार में संलिप्तता का संदेह खड़ा करता है| विभागीय सूत्रों के मुताबिक फिलहाल सोमवार तक मामले की जाँच शुरू नहीं हुई थी|


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UPTET : नियुक्ति के लिए शिक्षकों का हल्लाबोल



कौशाम्बी : शासन के निर्देश के बाद भी जनपद के विद्यालयों में शिक्षकों की तैनाती न किए जाने से नाराज शिक्षकों ने बीएसए कार्यालय में मंगलवार को प्रदर्शन किया और बीएसए को ज्ञापन सौंपकर तैनाती की मांग की। बीएसए ने शीघ्र कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है।

सूबे की सरकार ने बीटीसी व टीईटी की परीक्षा पास 125 शिक्षकों की तैनाती का निर्देश कौशाम्बी बीएसए को दिया है। इसके बाद भी शिक्षकों की तैनाती नहीं की जा रही है। इससे नाराज शिक्षकों ने बीएसए को ज्ञापन सौंपकर शासनादेश से अवगत कराया। साथ ही विद्यालयों में तैनाती की मांग की


Sabhaar : Jagran (16.7.13)


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UPPSC : किसी के साथ नहीं होगी नाइंसाफी : शिवपाल


इलाहाबाद : लोकसेवा आयोग में आरक्षण के मुद्दे पर मचे बवाल के बीच इलाहाबाद आए काबीना मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि किसी के साथ नाइंसाफी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि हर मामले पर सरकार की पूरी नजर है, उसका सही ढंग से निस्तारण किया जाएगा। हमारा प्रयास हर वर्ग के अभ्यर्थियों को संतुष्ट करना है, आगे उसी के अनुरूप काम किया जाएगा जिससे किसी को कोई दिक्कत न हो। उन्होंने कहा कि सपा सरकार समाज के हर वर्ग व जाति के हित के लिए काम करती है, लोकसेवा आयोग के कुछ अभ्यर्थियों को जो समस्या है सरकार उसका हल निकालने का पूरा प्रयास करेगी

News Sabhaar : Jagran (16.7.13)

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UPPSC : दूसरे दिन भी अटकी रहीं सांसें


इलाहाबाद : लोकसेवा आयोग की नई आरक्षण नीति के विरोध में सोमवार को हुए बवाल के दूसरे दिन भी शहरी दहशत में रहे। मंगलवार को सुबह घर से निकलने से पहले लोग परिचितों और दोस्तों से प्रदर्शन के बारे में जानकारी लेते रहे। कई स्कूलों में तो पहले ही अवकाश घोषित कर दिया गया था मगर जो विद्यालय खुले थे, वहां भी अभिभावकों ने बच्चों को नहीं भेजा। इसके चलते नगर के अधिकांश बड़े विद्यालयों में सन्नाटा पसरा रहा।

पांच दिनों से चल रहे लोकसेवा आयोग के आरक्षण के विरोध ने सोमवार को उग्र रूप धारण कर लिया था। दोपहर तकरीबन बारह बजे से दो बजे तक उपद्रवी छात्रों ने सिविल लाइंस इलाके में जमकर तोड़फोड़ की। दर्जनों चार पहिया वाहन, आधा दर्जन रोडवेज बसें, शॉपिंग मॉल व होटलों पर पथराव किया गया। आरक्षण विरोधियों के गुस्से का शिकार राहगीर भी हुए थे। जिसने भी यह दृश्य देखा उसके रोंगटे खड़े हो गए थे। प्रदर्शनकारियों की भीड़ में फंसे स्कूली बच्चों को निकालने में अभिभावकों के पसीने छूट गए थे। दफ्तरों के लिए निकले लोग भी पथराव की जद में आए थे। ऐसे में दूसरे दिन लोग घर से निकलने का साहस नहीं जुटा पा रहे थे। शहर में दिनभर फैली अराजकता की छाया फेसबुक और ट्वीटर जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट पर भी देखने को मिली। शहर के तमाम यूजर आरक्षण के विरोध में गए उग्र प्रदर्शन पर अपनी रायशुमारी करते नजर आए। दिनभर सब कुछ सामान्य रहने पर शहरियों ने शाम को राहत की सांस ली।

रिश्तेदारों और दोस्तों ने लिया हाल

शहर में सोमवार को हुए हंगामे की खबर समाचार पत्रों और टीवी चैनलों के जरिए आसपास के जिलों तक पहुंची तो लोग अपने परिचितों की खैरियत जानने को बेकरार हो गए। सुबह से ही लोग फोन के जरिए अपनों का हाल लेते नजर आए। यह सिलसिला ढलने तक चलता रहा।


News Sabhaar : Jagran (16.7.13)

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