लखनऊ:
उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) का रिजल्ट 25 से 27 जुलाई के
बीच जारी करने की तैयारी है। इस बार खास बात यह होगी कि उत्तर पुस्तिकाओं
का दोहरा यानी दो एजेंसियों से मूल्यांकन कराया जाएगा, ताकि किसी प्रकार की
गड़बड़ी की संभावना न रहे। रिजल्ट आने के तुरंत बाद इसके प्रमाण पत्रों का
वितरण शुरू कर दिया जाएगा।
सूबे में 27 और 28 जून को 872 केंद्रों पर टीईटी का आयोजन हुआ था। इसमें 7,65,634 परीक्षार्थी शामिल हुए। परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने आंसर शीट जारी कर दी है। इस पर आपत्तियां मांगी गई हैं। इनका निस्तारण किया जाएगा।
इस बार टीईटी में काफी कठिन सवाल पूछे गए थे, इसलिए अधिकतर परीक्षार्थियों के कई सवाल छूट गए हैं।
परीक्षा नियामक प्राधिकारी शासनादेश के मुताबिक टीईटी का रिजल्ट जारी करेगा। शासनादेश में परीक्षा के 30 दिन के अंदर रिजल्ट जारी करने की व्यवस्था दी गई है।
इसके आधार पर उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन शुरू करा दिया गया है। टीईटी का रिजल्ट आने के बाद इसमें पास होने वाले मोअल्लिम-ए-उर्दू वालों के शिक्षक बनने का रास्ता साफ हो जाएगा।
इसके अलावा जूनियर हाईस्कूलों में सीधी भर्ती के लिए भी टीईटी पास बीएड डिग्रीधारी पात्र हो जाएंगे।
सूबे में 27 और 28 जून को 872 केंद्रों पर टीईटी का आयोजन हुआ था। इसमें 7,65,634 परीक्षार्थी शामिल हुए। परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने आंसर शीट जारी कर दी है। इस पर आपत्तियां मांगी गई हैं। इनका निस्तारण किया जाएगा।
इस बार टीईटी में काफी कठिन सवाल पूछे गए थे, इसलिए अधिकतर परीक्षार्थियों के कई सवाल छूट गए हैं।
परीक्षा नियामक प्राधिकारी शासनादेश के मुताबिक टीईटी का रिजल्ट जारी करेगा। शासनादेश में परीक्षा के 30 दिन के अंदर रिजल्ट जारी करने की व्यवस्था दी गई है।
इसके आधार पर उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन शुरू करा दिया गया है। टीईटी का रिजल्ट आने के बाद इसमें पास होने वाले मोअल्लिम-ए-उर्दू वालों के शिक्षक बनने का रास्ता साफ हो जाएगा।
इसके अलावा जूनियर हाईस्कूलों में सीधी भर्ती के लिए भी टीईटी पास बीएड डिग्रीधारी पात्र हो जाएंगे।


जागरण
ब्यूरो, नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि
घोषणा पत्रों में मुफ्त लैपटॉप, टीवी, मिक्सर ग्राइंडर, बिजली का पंखा और
सोने की थाली देने जैसी लोक लुभावन घोषणाएं भले जनप्रतिनिधित्व कानून में
भ्रष्टाचार की परिभाषा में न आती हो, लेकिन इनसे लोग प्रभावित होते हैं। ये
चुनाव प्रक्रिया दूषित करती हैं। कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया है
कि वह घोषणा पत्रों में मुफ्त उपहार की लोक लुभावन घोषणाएं रोकने के लिए
दिशा-निर्देश जारी करे। कोर्ट ने आयोग से कहा कि वह इसे महत्वपूर्ण मानते
हुए जल्द से जल्द अंजाम दे। कोर्ट ने राजनैतिक दलों को नियमित करने के लिए
अलग कानून बनाने की जरूरत पर भी बल दिया। 1न्यायमूर्ति पी. सतशिवम व
न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की पीठ ने शुक्रवार को यह फैसला तमिलनाडु विधानसभा
चुनाव में द्रमुक और अन्नाद्रमुक के घोषणा पत्रों में मुफ्त उपहारों की
घोषणा को चुनाव के भ्रष्ट तरीके बताने वाली एस सुब्रमण्यम बालाजी की याचिका
का निपटारा करते हुए सुनाया। पीठ ने कहा कि अनुच्छेद 324 के तहत निष्पक्ष
और स्वतंत्र चुनाव कराने और विभिन्न उम्मीदवारों के बीच बराबरी का मौका
स्थापित करने के लिए चुनाव आयोग आदर्श चुनाव संहिता जैसे दिशा-निर्देश जारी
कर सकता है। 1पीठ ने कहा कि उन्हें मालूम है कि चुनाव आयोग सिर्फ चुनाव की
तिथि घोषित होने के बाद ही कोई कार्रवाई कर सकता है और चुनाव घोषणापत्र
चुनाव की तिथि लागू होने से पहले जारी होते हैं। ऐसी स्थिति में इस मामले
को अपवाद माना जाएगा क्योंकि चुनाव घोषणा पत्र सीधे तौर पर चुनाव प्रक्रिया
से जुड़ा होता है। हालांकि, कोर्ट ने याचिका पर सीधे तौर पर कोई आदेश देने
से इन्कार करते हुए कहा कि जब तक ऐसी घोषणाएं योजना का रूप न ले लें,
उन्हें लागू करने के लिए उचित विधेयक और पैसा न जारी हो तब तक कोर्ट उसमें
दखल नहीं दे सकता। कोर्ट सरकार के कामकाज में तभी दखल दे सकता है जबकि वह
काम असंवैधानिक या गैरकानूनी हो। 1 सरकारी बंगलों से अवैध कब्जा हटाए
सरकार-
