बिना मान्यता लिए चल रहे स्कूल शिक्षा के अधिकार अधिनियम को दिखा रहे ढेंगा-
चौकाने वाली बात जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के बाबू जो शिक्षा का अधिकार का पटल देख रहे है ने बताया कि स्कूल इस अधिनियम के तहत मुफ्त शिक्षा देने के प्रवेश के प्रार्थना पत्र इस बात पर भी लौटा देते है कि उन्होंने बेसिक शिक्षा विभाग के कोई मान्यता नहीं ली है लिहाजा उनके ऊपर कोई कानून नहीं लागू होता| मगर जानकारी के लिए बता दे कि ये अधिनियम सभी प्रकार के स्कूलों पर लागू किया गया है| ऐसी हालात में भी अगर जिले स्तर के अधिकारी जिनके कंधो पर इस अधिनियम को लागू कराने की जिम्मेदारी है (जिलाधिकारी, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी और जिला विद्यालय निरीक्षक) कान में तेल डाले बैठे है इससे भी इन सब की बच्चो की शिक्षा के प्रति सम्वेदनशीलता का अंदाजा लगाया जा सकता है|
अफसर कहते है उन्हें जानकारी नहीं-
इतना ही नहीं शायद ही कोई अधिकारी हो जिनके बच्चे इन प्री प्राइमरी में न पढ़ते हो मगर ये कह देना कि उनकी जानकारी में स्कूल नहीं है शायद बेहयाई और अपने पद के प्रति जबाबदेही से बचने की इससे बड़ी मिशाल नहीं हो सकती| नगर क्षेत्र के खंड शिक्षा अधिकारी प्रवीण शुक्ल का कहना है कि मान्यता तो एक भी नहीं है मगर उनकी जानकारी में एक भी स्कूल नहीं है| लानत है कि इस अधिकार के तहत एक भी बच्चे का दाखिला नहीं हो पाया है|
इतना ही नहीं शायद ही कोई अधिकारी हो जिनके बच्चे इन प्री प्राइमरी में न पढ़ते हो मगर ये कह देना कि उनकी जानकारी में स्कूल नहीं है शायद बेहयाई और अपने पद के प्रति जबाबदेही से बचने की इससे बड़ी मिशाल नहीं हो सकती| नगर क्षेत्र के खंड शिक्षा अधिकारी प्रवीण शुक्ल का कहना है कि मान्यता तो एक भी नहीं है मगर उनकी जानकारी में एक भी स्कूल नहीं है| लानत है कि इस अधिकार के तहत एक भी बच्चे का दाखिला नहीं हो पाया है|
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